1

ऑटो चालक से पॉयलट बनने वाले श्रीकांत की कहानी

नागपुर के रहने वाले श्रीकांत पंतवणे एक वक्त में डिलिवरी ब्वॉय के तौर पर काम करते थे। इसके कुछ दिन बाद वे ऑटो चलाने लगे।पिता सिक्युरिटी गार्ड के तौर पर काम करते थे, इसलिए घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। श्रीकांत घर की हालत बेहतर करना चाहते थे, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।

लेकिन अचानक एक दिन कुछ यूं हुआ कि वे पायलट बनने की राह पर चल पड़े और आज वे लाखों लोगों की प्रेरणा बन चुके हैं। अब वे प्लेन उड़ाते हैं। कैसे बदली जिंदगी…
पहले श्रीकांत घर की हालत भी सुधारना चाहते थे और पढ़ाई भी करने की इच्छा थी। लेकिन खराब आर्थिक हालात की वजह से परेशान थे।

एक बार वह ऑटो से किसी सामान की डिलिवरी करने नागपुर एयरपोर्ट गए थे। वहीं पायलटों पर नजर पड़ी। एयरपोर्ट के बाहर चाय की दुकान पर खड़े लोगों से पूछ लिया पायलट कैसे बनते हैं? लेकिन उन्होंने जो बताया, उससे एक बार तो हिम्मत जवाब ही देने लगी।

unnamed (3)

जितना खर्च, जितनी पढ़ाई-लिखाई चाहिए थी, वह तो कुछ भी नहीं था। लेकिन अब तक ठान लिया था कि पायलट ही बनना है। उन्हीं लोगों में से किसी ने बताया था कि 12वीं की पढ़ाई के बाद ही पायलट की ट्रेनिंग के लिए सरकार से स्कॉलरशिप मिल जाती है। सो, फिर किताबें उठाईं और तैयारी शुरू कर दी।

श्रीकांत के फ्रेंड्स ने एक बार बताया था, वह कहा करता था, ‘तीन पहिए मेरी जिंदगी हैं। इन्हीं से दुनिया देखनी है।’ और वाकई, उसने अपने सपने को सच कर दिखाया। महज चार साल पहले वह नागपुर की सड़कों पर ऑटो चलाता था। आज एक बड़ी एयरलाइन्स कंपनी का विमान उड़ाता है।

2011 में स्कॉलरशिप मिल गई। उसी के दम पर सागर में एविएशन अकादमी में दाखिला भी मिल गया। लेकिन यहां नया संघर्ष। एक तो अंग्रेजी सीखना जरूरी था।

दूसरा किताबें खरीदना तो दूर उनकी फोटो कॉपी कराने के भी पैसे नहीं थे। इसलिए, लाइब्रेरी की मदद ली। हर रात दो बजे तक वहीं गुजरती। वहीं, बैठकर अंग्रेजी सीखते।

असेसमेंट की तैयारी करते। नतीजा, हर असेसमेंट में सबसे ऊपर नाम होता। दो साल में कोर्स पूरा हो गया पर नौकरी नहीं मिली। एक और स्कॉलरशिप की मदद से 2013 के आखिर में हैदराबाद के सेंट्रल ट्रेनिंग एस्टैब्लिशमेंट में दाखिला लिया। वहीं से सपनों को हकीकत के पंख लगे।