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किस्सा नीतिन गड़करी और धीरु भाई अंबानी का

जब धीरूभाई ने गडकरी से कहा -मैं हार गया तुम जीत गए :-

साल था 1995 । महाराष्ट्र की युति सरकार में युवा नितिन गडकरी को लोक निर्माण मंत्री बनाया गया । उनके कार्यकाल में देश का सबसे महत्वाकांक्षी मुम्बई पुणे एक्सप्रेस वे बनाने की कार्य योजना तैयार गई ।

उस समय धीरुभाई अंबानी महाराष्ट्र के सबसे बड़े उद्योगपति थे । शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे से उनकी नजदीकी सभी को पता थी । तो इस एक्सप्रेसवे के निर्माण का टेंडर निकाला गया । धीरूभाई ने सबसे कम 3,600 करोड़ रुपये का टेंडर जमा किया । शिव सेना ने तय कर दिया था कि यह ठेका धीरूभाई को ही जायेगा

लेकिन नितिन गडकरी ने एक जबरदस्त पेंच फंसा दिया। उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में कह दिया कि सड़क 2,000 करोड़ रुपये से कम की लागत से पूरी होगी। लेकिन दिक्क्क्त यह थी सबसे कम निविदा 3,600 करोड़ रुपये की थी। कैबिनेट में सहयोगियों ने कहा कि जिसका सबसे कम टेंडर होगा उसे काम मिलना चाहिए लेकिन गडकरी ने उपमुख्यमंत्री मुंडे को कहा कि 2,000 करोड़ रुपये तक के काम के लिए 3600 करोड़ रुपये बहुत अधिक हैं। निविदा खारिज कर देना चाहिए ।

उस समय, धीरूभाई का मुम्बई में जबरदस्त दबदबा था।लेकिन गडकरी ने मुख्यमंत्री मनोहर जोशी और मुंडे को मना लिया कि वे सस्ती सड़कों का निर्माण करेंगे । उस समय सरकार के पास उतना पैसा नहीं था। तो जोशी ने पूछा कि पैसा कहां से आएगा। गडकरी ने कहा कि “मेरे ऊपर विश्वास करे । मैं करता हूँ बंदोबस्त ।”

मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने गडकरी की बात को मानते हुए टेंडर कैंसिल कर दिया । ये अम्बानी परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका था ।

धीरुभाई के बालासाहेब ठाकरे और प्रमोद महाजन के साथ बहुत अच्छे संबंध थे। धीरुभाई निविदा की अस्वीकृति से नाराज थे। उन्होंने नाराजगी भी जताई। प्रमोद महाजन ने नितिन गडकरी से कहा कि वे धीरूभाई से मिलें और समझें।

महाजन की बात गडकरी टाल नहीं सकते थे । नितिन गडकरी धीरूभाई से मिलने गए। अनिल, मुकेश और धीरूभाई तीनों के साथ गडकरी ने भोजन किया।

डिनर के बाद धीरूभाई ने नितिन से पूछा कि “सड़क कैसे बनानी है? यदि निविदा खारिज कर दी गयी है, तो अब यह कैसे होगा?” ऐसा कहकर धीरूभाई ने नितिन गडकरी को एक तरह से चुनौती दे दी। उन्होंने कहा “मैंने ऐसे कहने वाले बहुत लोगो को देखा है लेकिन कुछ नहीं होगा।”

नितिन गडकरी ने भी धीरूभाई की बात को दिल पे ले लिया और कहा कि “धीरूभाई, अगर मैं इस सड़क का निर्माण नहीं कर पाता हूं, तो मैं अपनी मूंछें कटा दूंगा । और अगर बना दिया तो आप क्या करोगे ? यह आप सोच लेना ।”

उनकी बैठक समाप्त हुई।और नितिन अम्बानी को चैलेंज देकर चले आये ।

अब सवाल यह था कि सड़क कैसे बनेगी और पैसा कहां से आएगा ?

नितिन गडकरी ने अपने कौशल के बल पर उस समय राज्य में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की स्थापना की। पब्लिक और कंपनियों के माध्यम से पैसे जुटाए गए । । मनोहर जोशी और गोपीनाथ मुंडे की मदद से और मुंग्रीवार इंजीनियर की देखरेख में काम शुरू हुआ। नितिन गडकरी ने 2,000 करोड़ रुपये से कम में काम करके दिखा दिया । सब लोग गडकरी की प्रतिभा के कायल हो गए। इसके बाद ही भाजपा शासित तथा अन्य राज्यों में राज्य सड़क विकास निगमों के माध्यम से रोड निर्माण की संकल्पना साकार हुई।

यह बात धीरूभाई के पास भी बात पहुँची । वे हेलीकॉप्टर से सड़क देखने निकले । एक्सप्रेस- वे देख वे आश्चर्य चकित हो गए । उन्होंने तुरंत नितिन गडकरी को मिलने के लिए बुलाया। वे मेकर्स चैंबर में फिर से मिले। जब वे मिले, तो धीरूभाई ने कहा, “नितिन, मैं हार गया, तुम जीत गए। आपने सड़क बनाकर दिखा दी ।”

धीरूभाई ने नितिन गडकरी से कहा कि अगर देश में आप जैसे 4-5 लोग हैं, तो देश का भाग्य बदल जाएगा। सरकारी धन को बचाने के लिए धीरुभाई जैसे बड़े व्यक्ति के साथ पंगा लेने वाले नितिन गडकरी ने जिस चुनौती देकर अपना काम किया वह आज भी याद किया जाता है ।

आज ये सारी बातें इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आज जन्मदिवस है।उनका जन्म 27 मई 1964 को हुआ था । उन्हें जन्मदिवस की हार्दिक बधाई। शुभकामनाएं

सादर साभार।

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