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हाईवे पर फैला लूट व ठगी का जाल

लोगों के घरों व दुकानों में जाकर तथा रास्ता चलते राहगीरों को बहला-फुसला कर या उन्हें झांसा अथवा लालच देकर ठगने अथवा लूटने की दास्तानें तो हम अक्सर सुनते ही रहते हैं। कभी कोई शातिर ठग अथवा लुटेरा किसी के आभूषणों को साफ करने के बहाने उसके सोने व चांदी के ज़ेवरात उड़ा ले जाता है। कोई ठग किसी व्यक्ति के कपड़ों पर गंदगी लगी होने की बात कहकर उसका बैग लेकर चंपत हो जाता है। कोई किसी को नोट दुगनी किए जाने की लालच देकर ठगता सुनाई देता है तो कोई किसी को सस्ते दामों में सोना,लोहा,सीमेंट जैसे वस्तुएं देने के बहाने ठग कर ले जाता है। ठगी के इस प्रकार के फार्मूले तो अब हमारे देश में शायद पुराने पड़ चुके हैं। अब इन ठगों व लुटेरों ने बदलते समय के साथ-साथ ठगने व लूटने के नए तरीके खोज निकाले हैं। ज़ाहिर है आम लोगों को ऐसे लुटेरों व ठगों से भी बचकर रहने की ज़रूरत है।

        
देश में शातिर चोरों का एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो एक बड़े सूटकेस में एक छोटे आकार के दस-बारह साल के बच्चे को बंद कर देता है। उस बच्चे के हाथ में एक मोबाईल व एक टार्च थमा दिया जाता है। उसके पश्चात वह सूटकेस वाल्वो अथवा दूसरी ऐसी बसों में जिनमें बसों के पिछले हिस्से में सामान रखने की जगह बनी होती है उसमें एक व्यक्ति (यात्री) द्वारा रख दी जाती है। इस प्रकार बच्चा सूटकेस में बैठकर सामान रखने वाले स्थान पर पहुंच जाता है। उधर उस सूटकेस को रखने वाला व्यक्ति यात्री के रूप में बस में बैठकर अपनी यात्रा शुरु कर देता है। बस के चलते ही वह लडक़ा भीतर से सूटकेस की चेन खोलकर बाहर निकल आता है तथा टार्च के द्वारा पीछे रखे सारे सूटकेस देखकर उनमें अपने पास रखी चाबियां लगाकर उन्हें बारी-बारी खोलता है तथा उनमें रखे सभी कीमती सामान अपने सूटकेस में डालकर स्वयं अपने सूटकेस में वापस बैठ जाता है और भीतर से चेन बंद कर अपने आका को फोन पर ‘मिशन’ पूरा होने की सूचना दे देता है। और लडक़े द्वारा सूचना पाते ही अगले ही स्टॉप पर वह यात्री बस से उतर जाता है तथा कंडकटर से कहकर अपना वह सूटकेस जिसमें वह शातिर बच्चा बैठा हुआ है उसे अपने साथ ले जाता है। ज़ाहिर है बस में बैठे अन्य यात्रियों को पता ही नहीं चलता कि उनकी बस में पीछे रखे वे सूटकेस जिन्हें वे सुरक्षित समझ रहे हैं उनमें हाथ साफ किया जा चुका है।
        
इसी प्रकार पुणे-मुंबई राजमार्ग पर शातिर अपराधियों,लुटेरों व ठगों का एक बड़ा गिरोह सक्रिय है जोकि कार यात्रियों को विभिन्न तरीकों से अपना शिकार बनाता है। एक समाचार के अनुसार एक लडक़ी ने मुंबई से पुणे जाते समय एक पैट्रोल पंप पर पैट्रोल डलवा कर जैसे ही अपनी कार पैट्रोल पंप से पुन:स्टार्ट कर आगे बढ़ानी चाही वैसे ही एक अंजान व्यक्ति एक विजि़टिंग कार्ड लेकर उसके मुंह के पास पहुंचा और अपना हाथ उसके मुंह के करीब ले जाकर विजि़टिंग कार्ड दिखाकर उसमें लिखा पता पूछने लगा। लडक़ी ने उस कार्ड को देखकर अपनी जानकारी के अनुसार उसे पता समझाया। उसके बाद वह लडक़ी कार चलाती हुई पैट्रोल पंप से आगे बढ़ गई। कुछ ही दूर पहुंचने पर उस युवती को चक्कर आने लगा और उसने अपनी कार हाईवे के किनारे सन्नाटी जगह पर मजबूरीवश खड़ी कर दी। चंद सैकेंड में वह लडक़ी बेहोश हो गई। इतने में पीछे से वही अपराधी जिन्होंने पैट्रोल पंप पर विज़टिंग कार्ड दिखाकर उससे पता पूछा था वे अपनी कार से जा पहुंचे और लडक़ी के पास मौजूद नकद पैसे व उसके आभूषण आदि कीमती सामान लूट लिए। होश आने पर लडक़ी ने अपनी आपबीती पुलिस को बताई। फिर पता चला कि अपराधियों ने उस विज़टिंग कार्ड में कोई ऐसा नशीला रसायन लगा रखा था जो उस लडक़ी के नाक के करीब आते ही उसकी श्वास नली में चढ़ गया और मात्र पांच से दस मिनट के अंदर उसने उस लडक़ी को बेहोश कर दिया।
       

 ठगी की ऐसी ही एक और घटना पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक भुक्तभोगी द्वारा पोस्ट की गई। एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ पुणे हाईवे पर यात्रा कर रहा था। पीछे से आ रहे दो मोटरसाईकल सवारों ने उसकी कार को ओवरटेक किया। और यह इशारा किया कि उसकी कार का पिछला पहिया पंक्चर हो गया है। पहले तो उस कारचालक ने ध्यान नहीं दिया और अपनी कार चलाता रहा। इतने में उन मोटरसाईकल सवारों ने जोकि बार-बार उसकी कार के आगे-पीछे हो रहे थे उन्होंने पुन: इसी आशय का इशारा किया। मोटरसाईकल सवारों के बार-बार इशारा करने पर उस कार चालक ने चलती कार में पीछे झांक कर देखने की कोशिश की। परंतु वह सुनिश्चित नहीं कर सका कि उसकी कार का पिछला पहिया पंक्चर है भी अथवा नहीं। उसने सोचा कि आगे किसी पंक्चर की दुकान पर कार का पहिया चेक करा लिया जाए। और जैसे ही पंक्चर लगाने की दुकान दिखाई दी उसने कार उस दुकान पर रोक दी। उसने पंक्चर लगाने वाले दुकानदार से अपनी कार के चारों पहिए चेक करने को कहा। तीन पहिए तो उस दुकानदार ने कार चालक की नज़रों के सामने चेक किए जिनमें हवा का दबाव बिल्कुल ठीक था। जैसे ही वह पीछे का आिखरी पहिया यानी चौथा पहिया चेक करने लगा उतने में उसी दुकान पर मौजूद एक व्यक्ति ने फुज़ूल की बातों में उस कार चालक का ध्याान आकर्षित कर लिया। बस इतने में ही उस पंक्चर लगाने वाला दुकानदार उस पहिए में पंक्चर होने की बात बोल बैठा। पंक्चर का संदेह होने पर उसने दुकानदार से कार का पहिया खोलकर पंक्चर लगाने को कह दिया। इधर वह पंक्चर लगाने की तैयारी कर रहा था तो उधर उस दुकान पर खड़े दो व्यक्ति कार चालक को फुज़ूल की बातों से उलझाए हुए थे। परिणामस्वरूप दुकानदार ने उस टयूबलेस टायर में सात-आठ पंक्चर दिखा दिए। कार चालक के पास टायर में पंक्चर लगवाने के सिवा और कोई चारा नहीं था। दुकानदार ने सभी सात पंक्चर लगाने की कीमत 2750 रुपये बताई। कार चालक के बहुत आग्रह करने पर उसने पंद्रह सौ रुपये लेकर सारे पंक्चर लगा दिए। बाद में कार चालक को पता चला कि हाईवे पर सक्रिय इस प्रकार के एक ठगी के नेटवर्क का वह शिकार हो चुका है। जिसमें कार में पंक्चर बताने वाले मोटर साईकल सवार से लेकर पंक्चर लगाने वाला दुकानदार व उसकी दुकान पर खड़े ग्राहक रूपी दो अंजान व्यक्ति सभी शामिल थे।

        
हाईवे पर अपराध की घटनाएं अंजाम देने वाले लोगों द्वारा लड़कियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं जिनसे यह पता चलता है कि हाईवे पर आकर्षक लिबास पहने कोई महिला किसी सुनसान क्षेत्र में खड़ी होकर कार अथवा ट्रक चालकों को हाथ से इशारा करके रोक रही है। यदि कोई मूर्ख व्यक्ति उस महिला के आकर्षण का शिकार होकर रुक गया तो बस आप उसे तो लुटा हुआ ही समझिए। उस महिला की आड़ में इधर-उधर पेड़ों के पीछे कुछ अपराधी छुपे होते हैं। जैसे ही वाहन महिला के पास रुकता है और वाहन से उतरकर कोई व्यक्ति महिला से बातें करने पहुंचता है उसी समय उस लुटेरे गिरोह के सदस्य वहां आ धमकते हैं और लूटपाट की घटना को उस सुनसान जगह पर अंजाम देते हैं। इसके अतिरिक्त हाईवे पर टैक्सी के रूप में देर रात चलने वाले गिरोह द्वारा कई घटनाएं अंजाम दी जा चुकी हैं। इनमें स्वयं को टैक्सी चालक बताने वाला व्यक्ति कार पर बैठे लोगों को यात्री बताता है तथा रास्ते में मिलने वाली किसी एक सवारी को उसी कार में बिठा लेता है। हकीकत में इस कार में बैठे सभी व्यक्ति एक ही गिरोह के सदस्य होते हैं तथा सभी लुटेरे होते हैं। और वे बड़ी आसानी से कार में बिठाई गई सवारी को अपनी मनचाही सन्नाटी जगह पर ले जाकर लूट लेते हैं। इस प्रकार के हादसे आमतौर पर राजमार्गों पर देर रात से लेकर प्रात:काल के मध्य अंजाम दिए जाते हैं। हाईवे पर चलने वाले लोगों को इस प्रकार की लूट व ठगी की घटनाओं से सवयं को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह चौकस व सचेत रहने की ज़रूरत है। क्योंकि ठगों व लुटेरों द्वारा देश के विभिन्न राजमार्गों पर लूटने व ठगने के अपने विभिन्न प्रकार के जाल बिछाए जा चुके हैं।