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जिन्दगी की जद्दोजहद : अवशेष प्रणय

‘अवशेष प्रणय’ राजा सिंह द्वारा लिखा गया कहानी संग्रह है जिसमें आधुनिक दौर के इन्सान की कहानियां हैं जो किसी भी गली-मोहल्ले की कहानियां कहला सकती हैं. इन कहानियों को पढ़ते-पढ़ते ये हमारी तुम्हारी कहानी कब बन जाती है इसका पता भी नहीं चलता. यह लेखक की सफलता मानी जा सकती है.

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बेरोजगारी एक ऐसा अभिशाप है. जिससे न जाने कितनी जिंदगियां बर्बाद कर दी है . बेरोजगार युवा की घर और समाज में क्या स्थिति होती है? एक बेरोजगार को किन-किन मानसिक पड़ताड़नाओं से गुजरना पड़ता है? लेखक ने उन बेरोजगार युवाओं की सामाजिक एवं मनोवेज्ञानिक स्थिथि का सजीव चित्रण किया है अपनी कहानी “बेरोजगार” में- “वह करीब-करीब हर दूसरे-तीसरे दिन इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज नौकरी की खोज में या किसी प्राइवेट फर्म में इंटरव्यू देने और वापस खाली हाथ या आश्वासनों का ढेर लिए घर वापस आ जाता है. बेचारा नौकरी के लिए परेशान है. बेचारा शब्द सुनना व महसूस करना दोनों ही उसे काफी खलते हैं.” “…बाप का रुखा बोलना किन्ही माईनों में गलत भी नहीं था. रिटायर्ड पोस्ट ऑफिस क्लर्क जिसे मिडिल पास होने पर ही नौकरी मिल गयी थी, उसका बेटा बी.ए. फर्स्ट डिविजन से पास होने पर भी बेकार है.”

‘उलझती जिन्दगी’ एक मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी है जो दिल्ली शहर के एक इलाके में रहता है. एक बड़े परिवार का दो पिंजड़ेनुमा कमरों में रहना और घर आई नई नवेली दुल्हन का पति को अलग रहने का आग्रह करना, और फिर अलग रहने पर भी संतुष्ट न होकर झगड़ा करके घर चले जाना. और फिर कभी लौटकर न आने की कहानी है. लेखक ने इस कहानी के माध्यम से शहरी जीवन के इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में नौकरी और परिवार में तालमेल बिठाने की कोशिश में टूटते परिवार की दर्दनाक स्थति को दिखाया है.

प्रेम निस्वार्थ होता है. प्रेम में जब स्वार्थ पैदा हो तो रिश्तों में दरार होना स्वाभाविक है. कहानी ‘आखिरी खत’ में एक लेखक अपने लेखन के शौक को पूरा करने के लिए नौकरी को छोड़ देने की बात पर सभी नाराज हो जाते हैं और प्रेमिका की दलील भी कुछ इस तरह होती है- “राज, नौकरी छोड़नी तुम्हारी अस्थिर मनोवृत्ति का परिचायक है. और जो व्यक्ति अपने भविष्य को इस तरह ठोकर मार सकता है, वह मुझे नाउम्मीदियों के सिवा दे भी क्या सकता है?” जिसके बाद उसकी शादी किसी और से हो जाती है और रह जाता है लड़के का शिकायत भरा खत.

इन्सान को जिन्दगी के हर मोड़ पर विभिन्न परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है. इन परिस्थितियों से संघर्ष के दौरान इन्सान के मन सैकड़ों सवाल उठते हैं. लेखक राजा सिंह ने अपने कहानी संग्रह में उसी आम इन्सानी जिन्दगी की जद्दोजहद को दर्शाने की कोशिश की है. लेखक राज सिंह कुछ हदतक इस में कामयाब भी हुए हैं. कुछ कहानियों में कहीं-कहीं पर भटकाव साफ़ नजर आता है. लेकिन कहानियों की जमीन बहुत मजबूत है इसलिए लेखक पाठक के दिल में आपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाता है.

अवशेष प्रणय : राजा सिंह | प्रकाशक : राष्ट्रीय पुस्तक सदन | कीमत 350 रुपये