आदिवासियों को शिकार पर जाने से ऐसे रोका इस महिला अधिकारी ने
कोलकाता । वन अधिकारियों के शिकारियों के साथ सांठगांठ की शिकायतें अक्सर मिलती रहती हैं लेकिन पश्चिम बंगाल की एक महिला अधिकारी ने जानवरों के शिकार को रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। राज्य के मिदनापुर जिले में अतिरिक्त मंडलीय वन अधिकारी पूरबी महतो गुरुवार को 5 हजार आदिवासियों का नेतृत्व कर रहे बुजुर्गों के चरणों में गिर गईं और शिकार नहीं करने की अपील की।
दरअसल, मिदनापुर के ये आदिवासी एक त्योहार मनाते हैं। इसमें वे जंगल में शिकार के लिए जाते हैं। पूरबी महतो को आशंका थी कि इस शिकार के दौरान एक टाइगर की जान जा सकती है जो लालगढ़ के जंगल में छिपा हुआ था। पूरबी ने टाइगर और अन्य जंगली जानवरों की जान बचाने के लिए आदिवासियों से अपील करने की ठानी। उन्होंने आदिवासियों को काफी समझाया लेकिन वे नहीं माने।
थक-हारकर पूरबी महतो आदिवासियों के रास्ते में बैठ गईं और कहा, ‘अगर आप अब भी अंदर जाना चाहते हैं तो आप अपना धनुष-बाण उठाइए और मुझे मार दीजिए।’ उनकी यह भावुक अपील काम कर गई। ज्यादातर आदिवासी जंगल के अंदर नहीं गए। कुछ लोग जंगल के अंदर गए लेकिन जंगली सूअर का शिकार करने के बाद लौट आए।
शिकारियों ने बताया कि शिकार करना उनकी परंपरा का हिस्सा है लेकिन बुजुर्गों के रास्ते में महिला अधिकारी के बैठ जाने और उनके आसूओं को देखकर वे वापस लौट आए। उन्होंने बताया कि यह संभवत: पहली बार है जब वे बिना शिकार के ही लौट आए। उधर, आदिवासियों के लौट पूरबी महतो काफी नजर आईं और बताया कि उनके 17 साल के करियर में ऐसा पहली बार हुआ है।