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मीठी यादें उस आयोजन की, जो हुआ तो नहीं मगर होने से ज्यादा रोमांचक रहा

देश के सबसे स्वच्छ शहर इन्दौर की अतिथि सत्कार की परंपरा भी देश में अपनी ही तरह की है। मालवा में और खासकर इन्दौर में कोई आए और खाने की यादों से बचकर लौट जाए संभव ही नहीं।

आयोजनों, उत्सवों और संस्कृति के विभिन्न रंगों से सराबोर इस शहर में एक ऐसे आयोजन पर लिख रहा हूँ जो हुआ तो नहीं मगर इसके बावजूद उसके होने न होने की खुशबू से तर-ब-तर होकर लौटा। इन्दौर के दैनिक प्रजातंत्र और मृत्युंजय भारत ट्रस्ट द्वारा 19 से 21 मार्च को आयोजित होने वाले लिट् चौक की आयोजन समिति में मैं भी शामिल था, लिहाजा आयोजन के एक सप्ताह पूर्व ही इन्दौर पहुँच गया।

प्रजातंत्र अखबार का कार्यालय भी एक अद्भुत व रोमांचक अनुभव देने वाला है। इस कार्यालय में प्रवेश करते ही आपको किसी कला दीर्घा सा अनुभव होता है। दुनिया की तमाम ऐतिहासिक घटनाओं को लेकर दुनिया भर के अखबारों में छपी खबरें बहुत ही करीने से कार्यालय की दीवारों पर इस खूबसूरती से लगाई गई है कि आप ठिठक कर खड़े होकर पढ़ने को मजबूर हो जाएँ। फिर वो गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर को नोबुल पुरस्कार मिलने की खबर हो या अपोलो के चन्द्रमा पर पहुंचने की खबर। ऐसी कई ऐतिहासिक खबरें आपको इतिहास के सुनहरे दौर से परिचित कराते हुए रोमांचित कर देती है। कार्यालय में काम करने वाले संपादकीय सहयोगियों को देखें तो ऐसा लगता है किसी मठ या मंदिर में मौन साधक बैठे हैं। बगैर किसी तरह के शोर शराबे के सभी अपने काम में ऐसे मग्न दिखाई देते है मानों उन्हें अपने आसपास जो कुछ भी हो रहा है उससे कोई मतलब ही नहीं है।

प्रजातंत्र के संपादक श्री हेमंत शर्मा, मृत्युंजय भारत ट्रस्ट के श्री निखिल दवे और श्रीमती धरा पाण्डेय दवे के साथ एक सप्ताह तक आयोजन की तैयारियों को लेकर बैठकें होती रही। बैठक में तैयारियों के साथ खान-पान का जलवा ज्यादा रहा। शुरु में कहीं से ऐसा नहीं लग रहा था कि आयोजन कोरोना की वजह से स्थगित हो जाएगा। लेकिन इन्दौर में कोरोना की दूसरी लहर की वजह से प्रशासन भी आतंकित था और शहर में बन रहे भय के माहौल की वजह से यही बेहतर था कि कार्यक्रम को स्थगित कर दिया जाए। कार्यक्रम जरुर स्थगित हो गया मगर उसकी तैयारियों में जो मस्ती और आनंद मिला उससे ऐसा कहीं नहीं लगा कि कार्यक्रम के आयोजन के बगैर ही लौटना हुआ है।

हेमंत शर्मा, धरा पाण्डेय दवे और निखिल दवे की तिकड़ी का यही एजेंडा रहता था कि खाना क्या खाया जाए। खाना हो जाए तो इसके बाद क्या खाया जाए और खाए जाने के बाद रात को कहाँ खाना खाया जाए। पूरा दिन यही विमर्श चलता था। उधर आयोजन से जुड़ी इवेंट प्रबंधन की टीम अपनी मस्ती के साथ तैयारियों में मस्त थी। पूरा माहौल ऐसा था कि कार्यक्रम हो या न हो मगर हम तो इसकी तैयारियाँ करते रहेंगे। इस टीम में शामिल ऋचा मालवीय, प्रद्युम्न पालीवाल,रौनक केसवानी, राधिका वर्मा, अर्पित पालीवाल,साक्षी ललवानी, जसमीत सिंह भाटिया, जतिन ललवानी, प्रखर दवे, पलकेश वर्मा, आकाँक्षा सिंह और जतिन लालवानी पूरे उत्साह से जुटे थे। सभी युवा, मगर मस्ती और धमाल के साथ अनुशासन भी गज़ब का, सबका आपसी तालमेल इतना बढ़िया जैसे अपने ही घर के किसी आयोजन की तैयारी कर रहे हैं।


तैयारियों के बीच ही देवास जिले के बागली स्थित विंड रिजॉर्ट में घूमने का कार्यक्रम भी बन गया। इन्दौर के श्री यश टोंग्या के अनविंड रिज़ॉर्ट में घुड़सवारी से लेकर मनपसंद खाने का जो मजा लिया वो अपने आप में एक सुनहरी याद बनकर रह गया। वहाँ पहुँचे सभी मेहमानों को किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए श्री यश टोंग्या लगातार श्री हेमंत शर्मा से फोन पर संपर्क में रहे और अपने एक प्रतिनधि को भी वहाँ भेज दिया।

आयोजन के लिए आने वाले मेहमानों में जनता स्टोर पुस्तक के चर्चित लेखक श्री नवीन चौधरी से से भी मुलाकात हुई और चार दिन उनके साथ बिताए। दिल्ली से लोकसभा टीवी के श्री अनुराग पुनेठा और कैलाश सत्यार्थी की जीवनी लिख रहे वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल पांडेय के आने के बाद तो ऐसा लगा मानों लिट् चौक स्थगित नहीं हुआ बल्कि चल ही रहा है। इनके आने के बाद हमारी मेहमान नवाज़ी का रंग और निखर गया। खाना खाने के लिए इन्दौर से दूर जसमीत के शुध्द शाकाहारी ढाबे पर भी गए जहाँ वहीं उगाई जाने वाली दाल-सब्जियों का प्राकृतिक स्वाद चखा। इन्दौर के प्रसिध्द लाकोड़ा ढाबे पर भी खाना खाया, जहाँ बैठने की जगह ढूँढने के लिए इंतजार भले ही करना पड़ता हो मगर खाना ऐसा कि आप खाने के बाद यही कहते रह जाएँगे कि ऐसी दाल और सब्जियाँ तो कई जगह खाई मगर ये स्वाद वाकई लाजावाब है।

लिट् चौक भले ही नहीं हुआ हो और इसकी तारीख अक्टूबर माह के लिए आगे बढ़ गई हो मगर रोज की साहित्यिक व राजनीतिक गपशप, मीडिया की दुनिया के कहे-अनकहे किस्सों में सात दिन ऐसे निकल गए जैसे सभी ने लिट् चौक का भरपूर मजा ले लिया।

पूरी टीम को पास में ही उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का भी मौका मिला और महाकाल का अद्भुत स्वरूप देखकर सब धन्य हो गए।

तो इन्दौर मात्र स्वच्छ शहर ही नहीं है बल्कि आयोजनों और उत्सवों का भी ऐसा शहर है कि आयोजन भले ही न हो पाए आप वहाँ रहकर उसका पूरा मजा लिये बगैर नहीं लौट सकते।