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विभिन्न विधाओं मे करोड़ों के पुरस्कार बाँटेगा संघ

भारतीय मेधा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोकेस करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बड़ी योजना बनाई है। संघ का आनुषांगिक संगठन संस्कार भारती अगले साल वाराणसी में दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करेगा। इसे संस्कृति नैमिष्य सम्मेलन का नाम दिया गया है। इसमें करीब 68 करोड़ रुपये के अवार्ड बांटने की तैयारी है।

आयोजन के तहत तीन दिन तक बुद्धिजीवियों, संतों और कलाकारों के विभिन्न कार्यक्रम बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में होंगे। विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वालों को 11 अंतरराष्ट्रीय नैमिष्य सम्मान दिए जाएंगे। संस्कार भारती का दावा है कि नैमिष्य सम्मान गरिमा और राशि के लिहाज से किसी नोबेल या ऐसे अन्य ग्लोबल अवार्ड से इक्कीस होगा। इस साल नोबेल अवार्ड की पुरस्कार राशि 80 लाख स्वीडिश क्रोनर (6.24 करोड़ रुपये) थी। संस्कार भारती 68 करोड़ के पुरस्कार बांटेगा।
आयोजन काशी में ही क्यों
इस आयोजन को उतर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखने के सवाल को संघ ने खारिज किया है। संघ का कहना है कि तीन साल में एक बार प्रस्तावित यह आयोजन उन लोगों को भी जवाब है, जो कहते हैं कि दक्षिणपंथियों में बौद्धिक गहराई नहीं होती। संघ के वरिष्ठ प्रचारक और संस्कार भारती के सहायक संगठन सचिव अमीर चंद के अनुसार काशी तो कला, अध्यात्म और ज्ञान की संगम नगरी रही है। कला के आदि देव नटराज, भगवान शिव की नगरी है ये।
दुनिया में कला और ज्ञान का ऐसा अन्य केंद्र नहीं है। आयोजन को संस्कृति नैमिष्य नाम, उत्तर प्रदेश के सीतापुर में स्थित नैमिषारण्य से लिया गया है। बताया जाता है कि आदिकाल में विभिन्न विषयों पर बौद्धिक समागम के तहत 80000 संत और विद्धान नैमिषारण्य में जुटे थे।
गांधी-अम्बेडकर अवार्ड
दिए जाने वाले अवार्ड महात्मा गांधी
से लेकर डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर हैं।
शांति सम्मान (बुद्ध)
मानवाधिकार सम्मान (महात्मा गांधी)
साहित्य सम्मान (कालिदास)
दृश्य कला (भरत मुनि)
विज्ञान (आर्यभट्ट)
राजनीति (कौटिल्य)
अंतरराष्ट्रीय एकता (सरदार पटेल)
आध्यात्मिक एकता (शंकराचार्य)
अखंड मानवता (दीनदयाल उपाध्याय)
शिक्षा (मदनमोहन मालवीय)
सामाजिक उत्थान ( डॉ. अम्बेडकर)