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वो दिन भी आएगा जब कैलाश मानसरोवर हमारा होगा

आज हर भारतवासी देशभक्त के मन मस्तिष्क में अनेक प्रश्न घूम रहे हैं।
क्या हम बिना वीजा परेशानी के कैलाश यात्रा कर सकेंगे?
क्या तिब्बत की निर्वासित सरकार बहाल हो सकेगी?
क्या दक्षिण हिमालय जो सदियों से हमारा है, वह ड्रैगन के दखल से मुक्त हो सकेगा?
क्या भारत चीन को उसकी भाषा में जवाब दे सकेगा?

राष्ट्रभक्त का उत्तर निश्चय ही हाँ में होगा। उसके उतर के कुछ आधार है।

आज आनेक आशंकाओं और आशाओं के बीच भारतीय जनमानस झूलता दिखाई दे रहा है।ऐसे कठिन प्रश्नों का उत्तर तो कोई विदेशनीति विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री और सैन्य विशेषज्ञों का पैनल ही दे सके। किंतु एक आशावाद भारतीय को आशा की किरण दिखाई देने लगी है। उसे लगने लगा है कि उसने सही हाथों में केंद्र की सत्ता सौंपी है। जिसके कदम कैलाश की ओर बढ़ने ही वाले हैं।

लगता है देश के नेतृत्व ने कैलाश मानसरोवर में स्नान कर कैलाश पर्वत पर विराजित महादेव के पूजन के पंचपात्र तैयार कर लिए हैं। गंगाजली भी भर कर रखी हुई है।

आइए जानते हैं, क्या है नेतृत्व के पंचपात्र? एक एक कर क्रमशः समझते हैं:-
1) पहला पात्र विदेशनीति:-
पिछले 6 वर्षों में विश्व में भारत में अच्छी बढ़त बना ली है जो विपरीत विचार के राष्ट्र के मध्य संतुलन बनाकर भारत में संबंधों में न केवल सुधार किया बल्कि पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है इस्लामी राष्ट्रों के प्रमुख सऊदी अरब द्वारा अपनेे कर्ज को पाकिस्तान से तत्काल मांगा गया। वर्तमान मेंं सऊदी अरब ने अपने तीन अरब में से एक अरब डॉलर का कर्ज पाकिस्तान से तत्काल मांंग लिया, साथ ही उधार में तेल और दीर्घावधि के ऋण का समझौता रद्द कर दिया। हाल ही में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष सऊदी अरब के सशनाध्यक्ष अध्यक्ष से मिलने के लिए गए थे। उन्हें दो दिन इंतजार करने के बाद भी सफलता नहीं मिली। इधर चीन की स्थिति भी बदतर हो रही है। आज विश्व में चीन बदनाम हो रहा है। रूस और अमेरिका विरोधी राष्ट्र भारत के साथ हैं। इजरायल और अरब देश विरोधी राष्ट्र भारत के साथ हैं। जबकि चीन निरंतर दुनिया में अलग अलग-थलग होने की राह पर बढ़ चला है। कोविड-19 के पश्चात चीन से अनेक अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपने फैक्ट्रियों को अन्य देशों में जाने लगी है।

2) दूसरा पात्र अर्थनीति :-
6 वर्षो से लगातार एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय समझौते करते हुए भारत विश्व की आर्थिक शक्तियों में अपना स्थान बना रहा है विश्व की तीसरी बड़ी शक्ति की ओर बढ़ने को तैयार है। दूसरी तरफ नोटबंदी ने पाकिस्तान को बर्बाद कर दिया। भारत की अर्थव्यवस्था में समानांतर घुसपैठ बनाकर बैठे हुए दीमक खत्म होने लगे हैं। इधर भारत लगातार आगे बढ़ते हुए चीन को भी सबक सिखाने की स्थिति में आ गया है। वर्तमान में तीसरे दौर मेंं पब्जी सहित 118 चीनी एप प्रतिबंधित करने के बाद चीन की तिलमिलाहट उसको हुए नुकसान को दर्शाती है। वहां क अखबार निरंतर चीख रहे हैं। भारतीयों में भी जागृति जागृति आई है। भारत के व्यापार संघ भी सजग हुए हैं। जिससेेे चीन को निरंतर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

3) तीसरा पात्र सैन्य तैयारियां :- भारत लगातार अपनाा रक्षा बजट बढ़ा रहाा है। निरंतर विश्व से उत्कृष्ट श्रेणी केेेे हथियार खरीदने का कार्य चल रहा है । राफेल डील जो बहुत चर्चित हुई, यह भारत की वायु सेना की शक्ति को बढ़ाएगा। इज़राइल से भी निरंतर हथियार खरीदने के सौदे हो रहे हैं। फ्रांंस, रुस विश्व में जहां भी श्रेष्ठ हथियार मिल रहे हैं, उन्हें खरीदने में तत्परता से कार्य हो रहे हैं। इतनाा ही नहीं भारत में निरंतर स्वदेशी तकनीक पर आधारित हथियारों के विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पिछले 6 वर्ष में सैन्य खरीद तीव्रता से हुई है।

4) चौथा पात्र सामरिक:- पिछले दिनों 29-30 अगस्त की रात भारतीय सेना ने इतिहास रच दिया। कभी 1962 स निरंतर अपनी जमीन खोते हुए, विश्व में गिड़गिड़ाते हुए भारत की छवि थी। किंतु पिछले 6 वर्षों में निरंतर भारत उठ कर खड़ा हो रहा है। आज चीन सीख रहा है, चिल्ला रहा है कि भारतीय सेना हमारी सीमाा में घुस आई। खबर है कि भारतीय सेना जहां वर्तमान मेंं थी, वहां से चार-पांच किलोमीटर आगे बढ़कर अपने खोए हिस्से की भूमि को पुनः अपनेेेे कब्जे में लेे चुकी है। चीनी सेना की उत्तरी कमान का प्रवक्तता कर्नल झांग शुईली का अपनी छाती कूटते हुए बता रहा है कि भारतीय सेना रेकिन पहाड़ी दर्रे को पार कर गई है। ज्ञात हो कि इसे चीन ने भारत से 1962 में छीन लिया था। इसके अलावा सेना ने पेंगोंग झील स्थित भारत चीन सीमा के मध्यवर्ती स्थल के उस इलाके से चीनी सेना को खदेड़ दिया है, वहां वह जबरदस्ती घुस कर बैठी हुई थी। यह पूरा घटनाक्रम अद्भुत है, ऐतिहासिक है, अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है तथा उस पहेली का शायद उत्तर भी है कि 23 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री ने मोर को दाना क्यों खिलाया था।

सेना ने फिंगर 4 की पहाड़ियों पर कमांडिंग पोजीशन ले ली है। यानी पेंगोंगत्से में बैठे चीनी सैनिकों के ठीक सामने भारतीय सेना नजर तक रख सकती है। चीन के प्रमुख अखबार के हवाले से खबर है कि 1962 के युद्ध के दौरान जिस रेकिन पहाड़ी चोटी पर चीन ने कब्जा किया था, वह भारतीय SFF बटालियन 7 विकास ने उस पर पुनः कब्जा कर लिया है। भारतीय सेना ने सीपीईसी हाईवे पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। अब चीन पाकिस्तान के बीच जमीनी संपर्क बाधित हो गया है। हमें यह समझना चाहिए कि भारत अब डरने वाला नहीं है। वह डटकर सामना करने की स्थिति में आ गया है।

5) पांचवां पात्र मनोवैज्ञानिक:- युद्ध का मनोविज्ञान महत्वपूर्ण है। राम रावण युद्ध के पूर्व महाबली हनुमान ने जो मनोवैज्ञानिक कार्य किया वही कार्य वर्तमान में केंद्रीय नेतृत्व ने सेना के पराक्रम के माध्यम से किया है। श्री हनुमान ने सीता माता मैं मनोवैज्ञानिक विश्वास भरने का कार्य किया और साथ ही शत्रु सेना के मन में भय उत्पन्न किया। यही कार्य वर्तमान में केंद्रीय नेतृत्व ने सेना के पराक्रम द्वारा किया है। चीन के नाम से भारत में जो भय का माहौल बनाया जाता था, उससे मुक्ति पाना पहला कार्य था और भारतीय सेना ने इसे ठीक प्रकार से किया है।

वर्तमान में सेना के ऑपरेशन के द्वारा जनता में वर्षों से पैदा किए गए डर को नेस्तनाबूद किया है और नए युग का आगाज किया है। अब तक भारत में बैठे कुछ लोग चीन से जनता को निरंतर डराते आए हैं, देश को डराकर अराजकता का माहौल उत्पन्न करने का काम निरंतर किया जाता रहा है। चीन से डर कि देश में फ्रेंचाइजी चल रही थी।

लेकिन भारत की सेना, जो पहले से ही ढाई फ्रंट पर युद्ध करने में स्वयं को सक्षम मानती थी, उसने जनता में विश्वास उत्पन्न करने का कार्य किया है।

जिस प्रकार हनुमान ने लंका में जाकर, लंका को जला कर शत्रु सेना में भय उत्पन्न किया, वैसे ही सेना ने अपनी कार्यवाही द्वारा चीन में भय उत्पन्न कर दिया है।

गलवान घाटी की घटना ने यह काम प्रारंभ कर दिया। हाल ही में चीन की सीमा मैं घुसे अमेरिकी विमानों पर चीन ने चार मिसाइल दागी थी दो हवा में गई और दो चीन के क्षेत्र में ही वापस गिर गई। इस घटना ने चीनी हथियारों की पोल भी खोल कर रख दी। इस प्रकार आज चीन भयभीत है। मास्को में भारत के रक्षामंत्री राजनाथसिंह से बातचीत की गुहार लगाने को मजबूर है।

लगता है बहुत जल्द कैलाश पर शिव ताण्डव स्त्रोतम गुंजायमान होने वाला है।

मनमोहन पुरोहित
(मनुमहाराज)