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स्नेह की साकार मूर्ति , साधुता के पर्याय महा श्रमण प्रवर्तक पूज्य श्री मदनमुनि जी

सन् 1974 में प्रथम बार महाश्रमण स्नेहमूर्ति , साधुता और सौजन्यता के पर्याय प्रवर्तक श्री मदनमुनि जी म . के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ । प्रथम दर्शनों में ही आपने अपने महान व्यक्तित्व की छाप मुझ पर ऐसी छोड़ी कि जब आपके देवलोक का संथारा के पश्चात समाचार प्राप्त हुआ तो मन गहराई से पीड़ा अनुभव करने लगा । अनेक बातें मेरे सामने ऐसे दिखाई देने लगी जैसे कल की ही बात हो । मैं भूल नहीं पाता हूँ कि पूज्य श्री मदनमुनि जी म . , साहित्य मनीषी आचार्य मम गुरुदेव श्री देवेन्द्रमुनि जी म . , महाश्रमणी श्री पुष्पवती जी म . सा . को अपना बड़ा भाई बहन मानते थे । जब भी मिलते थे अपनी मधुर बातों से अपने विनय धर्म से प्रभावित कर देते थे ।

आपने अपने सम्पूर्ण जीवन में पूज्य गुरुदेव श्री भारमल जी म . , मेवाड़ संघ शिरोमणि पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी म . , पूज्य प्रवर्तक श्री मगनमुनि जी म पूज्य प्रवर्तक श्री इन्द्रमुनि जी म . , श्रमण संघीय महामंत्री साहित्य रसिक पूज्य श्री सौभाग्य मुनि जी म . कुमुद एवं सेवाभावी संत श्री दर्शनमुनि जी आदि महान आत्माओं की खूब सेवा की , खूब भक्ति की ।

आपका व्यक्तित्व इतना मधुर था कि आप हमारे प्रति सदैव ही उदार रहे , स्नेह और सम्बंधों के प्रति सजग रहे । हम कहीं भी होते थे तो आपका बराबर समाचार मिलता रहता था , आशीर्वाद प्राप्त होता रहता था । आप हमें अपने बड़े जैसा ज्ञान – ध्यान पूछते रहते थे । प्रभावना और प्रगति के बारे में जानकारी लेते थे , साथ ही अपने स्नेह से हमें निहाल कर देते थे । आपके जाने से मेवाड़ परम्परा , अमर पुष्कर परम्परा की गहरी क्षति हुई है ।

हमें तो ऐसा ही लगता है जैसे हमने अपना एक स्नेह भरा हाथ और उसकी शीतल छाया खो दी हो । हमें अनुभव हो रहा है कि आपके जाने से आपके द्वारा दी जाने वाली हित मित शिक्षा अब हमें कौन देगा ? जहाँ तक आपकी साधना का प्रश्न है आप मौन , जप और साधना में लीन रहने वाले ऐसे महापुरुष थे जिनकी साधना का लाभ , जिनके आशीर्वादों का लाभ , जिनकी प्रेरणा का लाभ , मेवाड़ परम्परा के देश भर में फैले श्रावक – श्राविकाओं ने भरपूर लिया । हमनें देखा है कि आप जिस सरलता भक्तों को सहलाते संभालते थे ऐसा दृश्य कम ही देखने को मिलता है तो यह कहूँगा कि आज हमने मेवाड़ परम्परा के दो परिवारों का वर्चस्वी तेजस्वी कृपा भाव सम्पन्न संत खो दिया है जिनका अभाव हमें सदा होता पुण्य रहेगा । इन्हीं शब्दों के साथ मैं श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि , डॉ . द्वीपेन्द्र मुनि , डॉ . पुष्पेन्द्र मुनि आपके पावन चरणों में शत – शत नमन हैं एवं आपके निश्रायी संतों – साध्वियों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उनके दुःख में सहभागी है ।