1

फर्जी यात्रा बिल बनाने वालों पर सरकार ने कसी नकेल

केंद्र सरकार ने उन सरकारी कर्माचारियों को चेतावनी दी है जो फर्जी लीव ट्रैवल कंसेशन (एलटीसी) बिल लगाकर सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकारी कर्मचारियों को एलटीसी के लिए सरकार पैसा देती है। डीओपीटी की नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब एलटीसी लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को एक हलफनामा देना होगा जिसमें उन्हें उस जगह का नाम बताना होगा जहां वह और उसके फैमिली वाले जा रहे हैं। कर्मचारी को यह भी बताना होगा कि वह जहां गए हैं वहां के नजदीकी एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के बाद उन्होंने कैसे सफर किया है। जैसे अपनी कार से या फिर टैक्सी से।

डीओपीटी ने केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों को जारी एक निर्देश में कहा कि गलत जानकारी मिलने पर कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। केंद्र एलटीसी के इस्तेमाल में हो रही गड़बड़ियों को दुरूस्त करने के लिए एक पुख्ता सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहा है। कुछ समय पहले ऐसे कई मामले सामने आए थे जिनमें कथित तौर पर प्राइवेट ट्रैवल एजेंटों के साथ सांठगांठ कर विमान की टिकट, बोर्डिंग पास और होटल आदि के फर्जी बिल बनवाकर वह सरकार से रिफंड करा रहे थे। डीओटीपी ने कहा कि जहां कर्मचारी घूमने जा रहे हैं वहां से एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा है तो कर्मचारी को उसकी के अनुसार भुगतान किया जाएगा।

कैसे करते हैं फर्जीवाड़ा : सरकारी कर्मचारियों को 2 साल में एक बार लीव ट्रैवल कंसेशन मिलता है। इसके तहत कर्मचारियों को देश में ही किसी विशेष जगह आने जाने का किराया मिलता है। यही क्लेम करने के लिए सरकारी कर्मचारी ट्रैवल एजेंटों के जरिए फर्जी टिकट, बोर्डिंग पास का सहारा लेते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि ट्रैवल एजेंट ये खेल कैसे खेलते हैं। ट्रैवल एजेंट कर्मचारी को पोर्ट ब्लेयर की हवाई यात्रा के टिकट के साथ वहां रहने खाने और घूमने का पैकेज देते हैं। इस पूरे खर्च को हवाई टिकट में ही जोड़ दिया जाता है। और कर्मचारी टिकट का पैसा क्लेम कर लेता है। ट्रैवल एजेंट पोर्ट ब्लेयर का टिकट बनाता है। सामान्य तौर पर ये टिकट 8,000-10,000 रुपये में मिल जाता है। लेकिन एजेंट क्लेम करवाने के लिए पूरे 1 लाख रुपये का ई टिकट बनवाता है। और ये कर्मचारी को क्लेम करने के लिए देता है। अपना कमीशन काटकर बाकि पैसे एजेंट वापस कर देता है।

साभार- इंडियन एक्सप्रेस से