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अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में पर्यटन की भूमिका महत्वपूर्ण

जीवन की आपघापी, उलझनों, तनाव, मुश्किलों के बीच आराम,शांति,सुकून,खुशी और उल्लास के लिये पर्यटन से बढ़ कर कोई दूसरा बेहतर विकल्प नहीं है। कोरोना महामारी ने जीवन शैली को ही बदल दिया हैं, खुशी एवं मुस्कान तो जैसे कहीं खो गई है। जब भी कोरोना महाप्रकोप से सुरक्षित हो जाये, खुशियों को फिर से गले लगाने के लिये पर्यटन पर जरूर निकलना चाहिए।

पर्यटन हमें खुशियां प्रदान कर तनावमुक्त तो करता ही है साथ ही स्थान विशेष की ख़ूबसूरती,पर्यावरण,इतिहास,भूगोल,कला-संस्कृति,परम्पराओं,खानपान और सम्पूर्ण परिवेश से जोड़ने में अपनी महत्ती भूमिका निभाता है ।पर्यटन से स्थानीय हज़ारों लोगों को रोजगार से जोड़ता है एवं देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। देश की पुरातात्विक विरासत या सांस्कृतिक धरोहर केवल दार्शनिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थल के लिए नहीं है बल्कि यह राजस्व प्राप्ति का भी स्रोत हैं। आज भारत जैसे देशों को देखकर ही विश्व के लगभग सभी देशों में पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण, संवर्द्धन किया जाने लगा है।

भारत अनन्त पर्यटन अनुभवों और मनोहारी स्थलों का देश है। भव्य स्मारक हों, प्राचीन मंदिर या मकबरे हों, किले,महल, छतरियां, नदी-झरने, प्राकृतिक मनोरम स्थल हो, पर्वत हो या समुंद्र, वन्यजीव हो या वन, सांस्कृतिक परम्पराएं या उत्सव,हस्तशिल्प या हमारा जनजातीय समाज सभी कुछ इतना आकर्षक और समृद्ध है कि पर्यटक यहां के जादूई सम्मोहन में बंधे चले आते हैं।
राजस्थान,उत्तरांचल,जम्मू-कश्मीर,लद्दाख,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, केरल, गोवा, महाराष्ट्र,गुजरात,पश्चिमी बंगाल,मध्य प्रदेश आदि कई राज्य अपनी अनूठी और निराली खूबियों से विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा चर्चा में रहते हैं। कई राज्य तो पर्यटन की दृष्टि से इतने समृद्ध हैं कि काफी वक्त लगता हैं सम्पूर्ण दर्शन करने में।

प्रत्येक राज्य अपनी समृद्ध और विलक्षण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक धरोहर से सेलानियों को लुभाने की शक्ति रखता है। पूरे विश्व में भारत ने पर्यटन के क्षेत्र में डंका बजा रखा हैं इतिहास,भूगोल,पर्यावरण,पुरातत्व, कला-शिल्प, संस्कृति, आध्यत्म-धर्म-दर्शन,साहसिक,वन्यजीव,समाज-संस्कृति प्रेमियों के लिए भारत पर्यटन का ख़ूबसूरत इंद्रधनुष खुला विशाल आकाश और केनवास लिए हुए है।पर्यटन के हर रंग देश में बिखरें हैं।

उत्तर में हिमालय के उत्तंग चमकते शिखर,पश्चिम,दक्षिण और पूर्व में अरब सागर,हिन्द महासागर एवं बंगाल की खाड़ी का समुंद्र तटीय सौन्दर्य की भौगोलिक विशेषताओं से सज्जित भारत की सुंदरता अकल्पनीय है। जम्मू-कश्मीर,लेह,लद्दाख, शिमला, अमृतसर,मसूरी,नैनीताल, हरिद्वार,ऋषिकेश, वाराणसी, मथुरा, आगरा,फतेहपुर, दिल्ली, जयपुर,उदयपुर,अजमेर,जोधपुर,जैसलमेर, उज्जैन,ग्वालियर,खजुराहो, कन्याकुमारी, रामेशवरम,गोवा, मुम्बई,कोलकाता,चेन्नई आदि प्रमुख नगर हैं जिन्हें देखने पर्यटक अवश्य जाते हैं। भारत में प्राचीन समय से प्रचलित तीर्थाटन आज पर्यटन का पर्याय बन गया है।

आज पर्यटन थीम बेस्ड अर्थात विषय पर आधारित हो गया है। वायवीय स्पोर्ट्स,ट्रेकिंग, क्लाइम्बिंग,वाटर स्पोर्ट्स साहसिक पर्यटन में शामिल हो गए हैं। जहां ये सुविधाएं मौजूद हैं वहां पर्यटक जाना अधिक पसंद करने लगे हैं। पिछले दशक में समुंद्री बीच नये आकर्षण के रूप में उभर कर आया है। पर्वतीय पर्यटन दशकों पुराना शगल बन गया है। धार्मिक पर्यटन पुराने समय से अपनी जमीन बनाये हुए है।

पर्यटन में भारत फूलों के एक ऐसे गुलदस्ते की तरह है जिसमें कश्मीर के केसर की महक है, चार लघु और बड़े धामों की आध्यात्मिकता की गन्ध हैं, द्वादश ज्योतिर्लिंगों की शक्ति है, देवी के इक्कावन शक्तिपीठों की भक्ति है,सात पुरियों की माया है, पंजाब के भांगड़े एवं गुजरात के गरबा की मोहकता है, राजस्थान के शौर्य, त्याग,बलिदान, आन-बान और स्वाभिमान की गाथाओं की गूंज है और देश की कला-संस्कृति की झलक है। गुलदस्ते का हर फूल कोई न कोई कहानी कहता दिखाई देता है।

भारतीय पर्यटन विभाग का ‘अतुल्य भारत’ एवं राजस्थान का ” अथिति देवो भवो” एवं ” पधारो म्हारे देस” जैसे अभियानों ने भारतीय पर्यटन को वैश्विक मंच प्रदान करने में बहुत हद तक सफल रहें हैं। राजस्थान पर्यटन विकास निगम की शाही रेलगाड़ी “पैलेस ऑन व्हील्स’ की शाही सवारी कराने के माध्यम से लोगों को पर्यटन का शाही लुत्फ उठाने का अनूठा अवसर प्रदान किया है।उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत के पर्यटन उद्योग से पर्यटन भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सहायता मिलती है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 2017 में पर्यटन से भारत ने लगभग 23 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया था। साल 2018 में 9.2 फीसदी जीडीपी में योगदान रहा, जिससे देश को 16.91 लाख करोड़ का फायदा हुआ था। देश में करीब 8.1 फीसदी रोजगार पर्यटन से मिल रहा है। अनुमान लगाया गया है कि भारत आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान आता है।

भारत में जहां पर्यटन के प्रति देशी और विदेशी पर्यटकों में गहरी रुचि बढ़ी है वहीं आज पर्यटन ने मुक्कमल उद्योग का रूप ले लिया है। हवाई सेवा, रेल सेवा और बस सेवा के विस्तार ने पर्यटन को बढ़ावा दिया है। आज सैलानी पर्यटन के लिहाज से सुदूर स्थलों की सैर भी आसानी से कर सकते हैं। सिमटती दूरियों के बीच लोग बाहरी दुनिया के बारे में भी जानने के उत्सुक रहते हैं। आलीशान होटल और रेस्तरां का तो कहना ही क्या,एक से बढ़ कर एक। इनमें पर्यटकों के लिए अकल्पनीय सुविधाएं और लजीज व्यंजनों की वेराइटीज बार-बार पर्यटकों को आने को बाध्य करते हैं। ट्रेवलर एजेंटों का जाल और उनके लुभावने पैकेज की जकड़ से बच नहीं पाते सैलानी। ये पर्यटकों को आरामदायक सेवाओं के साथ-साथ उनकी सुख-सुविधाओं का पूरा ख्याल जो रखते हैं। घर से चलने से लेकर वापस सकुशल घर पहुँचने तक किसी किस्म की कोई चिंता और परेशानी नहीं। पर्यटन को बढ़ावा देने में भारत में इनकी सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। कोरोना के खात्मे के साथ फिर से देश में पर्यटन को पंख लगेंगे और पर्यटन उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
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डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार
पूर्व जॉइंट डायरेक्टर,सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग,राजस्थान
1-F-18, आवासन मंडल कॉलोनी, कुन्हाड़ी
कोटा, राजस्थान
53prabhat@gmail. com
मो.9413350242