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लखनऊ का रूमी दरवाज़ा दरअसल लक्ष्मणपुर का राम द्वार है

-भगवान श्री राम के छोटे भाई श्री लक्ष्मण के लक्ष्मणपुर यानी लखनऊ को नवाबों की नगरी बताकर… इतिहास का सबसे बड़ा इस्लामिक प्रोपागेंडा चलाया गया

-पूरा का पूरा पुराना लखनऊ इस्लामिक हमले के पूर्व के हिंदू राजाओं के द्वारा बसाया गया था… यहां के महल जिन्हें अब इमामबाड़े (जहां कभी कोई इमाम नहीं रहा) कहा जाता है… हिंदू राजाओं के द्वारा बनवाए गए थे… इस पुराने लखनऊ में प्रवेश के लिए एक प्रवेश द्वार भी बनवाया गया था… जिसे राम द्वार कहा जाता था.. लेकिन छल प्रपंच से इस्लामिक नवाबों के कब्जे के बाद इसे बेहद चालाकी से रूमी दरवाजा कहा जाने लगा और इसकी हिंदू पहचान को पूरी तरह से मिटा दिया गया

– आगरा विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने ये बताया है कि लखनऊ के पहले नवाब सआदत अली खान ने हिंदुओं की इस प्राचीन नगरी पर कब्जा कैसे किया था ? आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की लिखी हुई किताबें भारत के विश्वविद्यालयों में कांग्रेसी राज के जमाने से पढाई जा रही हैं ।

-डॉ आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने अपनी किताब अवध के प्रथम दो नवाब के पेज नंबर 32-33 में लिखा है… मुहम्मद खान बंगश नाम के एक अफगान व्यक्ति ने सआदत खान (लखनऊ के नवाब वंश के संस्थापक) को सलाह दी थी कि वो पहले लखनऊ के शेखजादों के साथ मित्रता कर ले और फिर धोखे से शेखजादों पर हमला कर दे । (नवाबों से पहले लखनऊ पर शेखजादों का इस्लामिक कब्जा था) सआदत खान ने वैसा ही किया और गोमती नदी के गौघाट को पार किया और फिर चुपके से नगर में प्रवेश किया । शेखजादों ने मुख्य द्वार यानी शेखन दरवाजा पर एक नंगी तलवार लटका रखी थी । सआदत खान ने तलवार खींच ली और अचानक शेखजादों पर हमला कर दिया । अकबरी दरवाजे पर बहुत थोड़ा सा मुकाबला हुआ । शेखजादों ने हार मान ली और अपना राजमहल “पंचमहल” सआदत खान के लिए खाली कर दिया ।

-ऊपर लिखा हुआ पूरा वर्णन प्रसिद्ध इतिहासकार आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव ने उस वक्त मौजूद रहे मुस्लिम इतिहासकारों की किताबों से लिया है । लेकिन यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि आशीर्वादी लाल ने एक दरवाजे का नाम लिया है जिसे कभी शेखन दरवाजा तो कभी अकबरी दरवाजा कहा.. सवाल ये है कि ये शेखन दरवाजा या अकबरी दरवाजा लखनऊ में अब कहां है ? जवाब ये है कि दरअसल ये वही रूमी दरवाजा है… जिसे उस वक्त शेखन दरवाजा या अकबरी दरवाजा कहा जाने लगा था… और हिंदू राज में इसी दरवाजे को राम द्वार कहा जाता था ।

-लेकिन भारत के स्कूल की इतिहास की किताबों में ये झूठ पढ़ाया जाता है कि रूमी दरवाजे (हिंदू राज में राम द्वार) का निर्माण नवाब सआदत खान के वंशज नवाब आसफुद्दौला ने 1784 ईस्वी में करवाया था ।

-अब यहीं पर झूठ पकड़ा गया क्योंकि आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव के मुताबिक तो 1722 में रूमी दरवाजा मौजूद था । अगर नवाब आसफुद्दौला ने रूमी दरवाजा बनवाया था तो ये कथित रूमी दरवाजा आसफुद्दौला से भी 60 साल पहले कैसे मौजूद था ? तब तो आसफुद्दौला पैदा भी नहीं हुआ था । तो क्या वो गर्भ से ही रूमी दरवाजा बना रहा था… जब आप थोड़ा सा दिमाग लगाएंगे तो आपको ये पता चल जाएगा कि मुसलमानों के द्वारा लिखा गया इतिहास कितना झूठा और भानुमति का पिटारा है ।

-यहां पर नोट करने वाली बात ये भी है कि आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने पंचमहल शब्द का जिक्र किया है… अब एक और सवाल है कि आखिर ये पंचमहल अब लखनऊ में कहां है ? दरअसल ये वही इमामबाड़े हैं जिसे उस वक्त पंचमहल कहा जा रहा था जो विशुद्ध संस्कृत नाम है ।

-आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव इतिहास के जगत में एक बहुत बड़ा नाम हैं और उनकी लिखी हुई किताबें भारत के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं

-अपने छात्र जीवन में एक बार मैंने अपने इतिहास के प्रोफेसर से ये सवाल पूछा था कि अगर सारे महल मुसलमानों ने ही बनवाए जैसा कि इस्लामिक इतिहासकार झूठा दावा करते हैं… (पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने स्कूल की किताबों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी हिंदुओं को झूठ पढ़वाया) तो मुसमलानों से पहले राज करने वाले हिंदू राजाओं के प्राचीन राजभवन और राजमहल आखिर कहां गए ? उन्हें धरती निगल गई या आसमान खा गया ? मेरे सवाल का उन प्रोफेसर के पास कोई जवाब नहीं था ।

-राजपुताना यानी राजस्थान में कभी मुसलमानों का कब्जा नहीं हो सका इसीलिए सारे राजस्थानी राज महलों की राजपुतानी और हिंदू पहचान आज भी बाकी है लेकिन अगर वहां भी हिंदू वास्तुकला के अपहरणकर्ता नवाबों, सुल्तानों या बादशाहों ने कब्जा कर लिया होता तो वो मान सिंह पैलेस को भी अकबर पैलेस बता देते ।

-अभी ज्यादा दिन पहले की बात नहीं है.. 1947 में जब पाकिस्तान वाले इलाके से हिंदू अपने घरों और बड़ी बड़ी हवेलियों को छोड़कर भारत भाग आए… तब मुसमलानों ने हिंदुओं की उन बड़ी बड़ी हवेलियों पर कब्जा कर लिया… अब अगर आज कोई पाकिस्तान जाकर उन मुसलमानों से ये पूछे कि ये हवेली किसने बनाई ? तो जवाब यही मिलेगा ये हवेली किसी फलाने अली… फलाने अंसारी ने बनवाई है जो कि बिलकुल झूठ है ।

-ठीक इसी तरह आज का रूमी दरवाजा जो कभी राम द्वार था… हिंदुओं के द्वारा ही बनाया गया था… इस दरवाजे पर लगी अष्टकोणीय छतरी हिंदू वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है… जिस पर आज तक मुस्लिम इतिहाकार कोई जवाब नहीं दे सके हैं ।

-इसलिए हिंदुओं अपने आपको पहचानों… तुम्हारा सब कुछ लूट लिया गया और तुमको दीन हीन बनाकर छोड़ दिया गया है… आज सरकार मोदी-योगी की है तो ये सच लिखा जा रहा है… अगर सरकार बदल जाएगी तो ये सच लिखना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सत्य की खोज करो और सत्य के लिए संघर्ष करो ।