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मुंबई के दो पत्रकारों को श्रध्दांजलि देने जुटे पत्रकार और रचनाधर्मी

मुंबई : सांताक्रुज पूर्व के नजमा हेपतुल्ला सभागार में मुंबई हिंदी पत्रकार संघ द्वारा दिवंगत पत्रकार साहित्यकार अलोक भट्टाचार्य और पत्रकार उमेश द्विवेदी की याद में श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम रखा गया। श्रद्धांजलि सभा में शहर के जाने माने पत्रकारों और साहित्यकारों ने अपने दिनों दिवंगत साथियों को भावपूर्ण आदरांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने कहा कि पत्रकार-साहित्यकार मर कर भी अपनी लेखनी की वजह से जिन्दा रहते हैं।

प्रतिष्ठित हिंदी कवि और जानेमाने मंच संचालक आलोक भट्टाचार्य का शनिवार रात हृद्यगति रुकने से निधन हो गया था। डोंबिवली के नवजीवन अस्पताल में रात आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। केंद्रीय हिंदी संस्थान के अहिंदी भाषी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सम्मान समेत सैंकड़ों पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया। राष्ट्रिय सहारा के वरिष्ठ पत्रकार उमेश द्विवेदी का भी पिछले दिनों कम आयु में निधन हो गया।


श्रद्धांजलि सभा में सामना (हिंदी) के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल ने भावविभोर हो कर कहा कि आलोक जी से हमारे बहुत वैचारिक मतभेद थे परंतु व्यक्तिगत संबंधों पर उसका कोई असर नहीं पड़ता था। उन्होंने मुंबई के साहित्य जगत को एक माला में पिरोकर रखा। बंगाली होने के बावजूद हिंदी साहित्य के लिए ढेरों काम किया। श्री शुक्ल ने इस आयोजन के लिए मुंबई हिंदी पत्रकार संघ कि सराहना की। अनिल त्रिवेदी ने कहा कि आलोक जी के कारण ही मेरा काव्य संग्रह 'भाषा नहीं है शब्दों की वैशाखी प्रकाशित हो सका।

रजनीश मिश्र ने कहा कि अलोक ने बहुत लोगों की ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया। वे एकमात्र ऐसे संचालक थे जो सभी तरह के मंचों के भी संचालन में निपुण थे। �कवि व साहित्यिक पत्रिका अनुष्का के संपादक रासबिहारी पांडे ने कहा कि आलोक जी की जगह कोई नहीं ले सकता,मुंबई के साहित्य और समाज की हुई इस क्षति की पूर्ति कोई नहीं कर सकेगा। आलोक जी की अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाशित करवा कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। पत्रकार विनोद यादव ने कहा कि उमेश जी के साथ उनके पारिवारिक संबंध थे और वे पत्रकार के साथ एक सच्चे सिपाही भी थे। इस अवसर पर कवि मुकेश गौतम ने आलोक भट्टाचार्य की याद में 'अलोक भट्टाचार्य प्रणाम इंटरनेशनल सम्मान' दिए जाने की घोषणा की। साहित्यकार ह्रदयेश मयंक ने कहा कि अलोक जी आंदोलन के साथी रहे हैं। मुंबई में हर जगह पर हमारे क़दमों के निशान मौजूद है। यहां का साहित्यिक माहौल उन्ही की वजह से बना।

वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि उमेश जी दबंग पत्रकार थे जबकि आलोक जी विनम्र स्वभाव के थे। आलोक जी का व्यक्तित्व कमाल का था,जिसके चलते उन्होंने बहुत लोगों को खड़ा किया है। अलोक जी के भाई वरिष्ठ पत्रकार तुषार भट्टाचार्य ने कहा कि अलोक जी पत्रकार साहित्यकार के साथ साथ अच्छे मूर्तिकार भी थे। वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश तिवारी ने कहा कि एक कड़वी सच्चाई यह है कि पत्रकारिता में रहते हुए आप साहित्य की सेवा नहीं कर सकते इसलिए अलोक जी ने साहित्य को महत्व दिया। । �कार्यक्रम में अब्सूलुट इण्डिया के संपादक द्विजेंद्र तिवारी, नवभारत के शहर संपादक ब्रजमोहन पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार सैयद सलमान, वागीश सारस्वत, साहित्यकार हस्तीमल हस्ती, कपिल आर्या,पंडित किरण मिश्र, सैयद रियाज, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

इस श्रद्धांजलि सभा में आलोक जी के परिजन भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार अभय मिश्र ने किया। कार्यक्रम में मुंबई हिंदी पत्रकार संघ के महासचिव विजय सिंह कौशिक, उपाध्यक्ष आदित्य दुबे, मंत्रालय पत्रकार संघ के कार्यकारिणी सदस्य सुरेन्द्र मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार रामकिशोर त्रिवेदी, सुनील मेहरोत्रा, आनंद मिश्र, अखिलेश तिवारी, एड. विजय सिंह, अनिल गलगली, आनंद श्रीवास्तव, सरताज मेहदी, धर्मेन्द्र पांडे, राकेश पाण्डेय, विनोद चौमाल सहित बड़ी संख्या में पत्रकार-साहित्यकार मौजूद थे।