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पापाचार व अहंकार से बचने से परम की प्राप्ति संभवः मंत्री मुनिश्री सुमेरलाल जी

नई दिल्ली।  मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी ‘लाडनूं’ के सान्निध्य में तेरापंथी सभा-शाहदरा तथा सनातन धर्मसभा के संयुक्त तत्वावधान में विशेष प्रवचन रखा गया। विवेक विहार स्थित राम मंदिर के सत्संग हाॅल में ‘निष्काम योग एवं वीतरागता’ विषयक इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

मंत्री मुनिश्री ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि हमारे जीवन में मन, वचन व शरीर रूप योग की प्रवृत्ति चलती रहती है। इसके साथ कामना व लालसा को मत जोड़ो। आत्मा की उज्ज्वलता हेतु परम अर्थात वीतरागता की साधना आवश्यक है। धर्म के सिवाय ऐसा कोई पथ नहीं है जो वीतरागता की प्राप्ति में सहायक बन सके। परम से साक्षात् तभी संभव होता है जब आत्मा पर आए कलुष को हटाया और समाप्त किया जाए। इस प्रक्रिया पर ध्यान देना होगा और इस दिशा में सलक्ष्य प्रयास करना होगा। परम की प्राप्ति में जो भी सहायक तत्व हैं उनका अवलंबन लें। ठगी, पापाचार, अहंकार, लालच से बचो। सद्गुणों का जीवन में अवतरण हो। इससे धर्म रूपी कल्पवृक्ष फल देने वाला बन जाएगा।
    
गीता प्रवचनकार डाॅ. नरेन्द्र वेदालंकार ने कहा कि जीवन को सार्थक बनाने के अनेक सूत्र हैैं। काम, इच्छा व सेक्स से मुक्त होना निष्काम है। सभी अच्छे व उत्तम मार्ग पर चलें, समभाव रखें तभी अनंत सुख को प्राप्त करने की दिशा में  आगे बढ़ सकते हैं।
    
कार्यक्रम में उपस्थित दिल्ली विधानसभा के स्पीकर श्री रामनिवास गोयल ने कहा कि संत सदैव जागरण के प्रतीक होते हैं। स्वयं जागते हुए हम सबको जागने की शिक्षा देते हैं। मैं लंबे समय से तेरापंथ के निकट हूं। मैंने आचार्य तुलसी के भी दर्शन किए हैं। हमारे जीवन में धर्म का प्रभाव बना रहे। 
    
तेरापंथ महिला मंडल की बहनों के मंगल संगान के बाद मुनि विजयकुमारजी ने गीत प्रस्तुत किया। शाहदरा सभा के अध्यक्ष श्री भानूप्रकाश बरडि़या, सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष श्री दिनेश गुप्ता, मंत्री श्री शिव भगवान सरावगी के प्रासंगिक वक्तव्य हुए। कार्यक्रम का संचालन श्री बाबूलाल दुगड़ ने किया।

प्रेषकः

(ललित गर्ग)
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