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जिन्होंने कथा को धंधा बनाया वो अब बचाव की मुद्रा में

चाहे इन अरबपति कथा वाचकों ने धंधा ठप होने के डर से माफी मांग ली हो पर इनके वीडियो देख कर ये महसुस ही नही होता कि ये वाकई में अपने किये पर शर्मिंदा है, ये अरबो के मालिक लग्जरी गाड़ियों के काफिले के आदि लोग हिन्दू भावनाओं के लिए माफी नही मांग रहे बल्कि अपनी आमदनी घटने के डर से फार्मलिटी कर रहे हैं ऐसा लगता है इनके माफी वाले वीडियो को देख कर।

जिस खुले दिल से इन्होंने व्यासपीठ से अलिमोला बोल रहे थे उसी खुले दिल से ये माफी नही मांग रहे, बल्कि अगर मगर के साथ फार्मलिटी कर रहे है। खेर चाहे इन्होंने माफी की फार्मलिटी करली हो पर हिन्दुओं की नजर से ये सुविधा भोगी उतर चुके है।

मेरा तो निवेदन है कि हिन्दू समाज इन अरबों खरबों के मालिकों की बजाय उन सन्तों से कथा करवाए जिन्होंने अपना पूरा जीवन और पुरा शरीर सनातन के लिए समर्पित कर दिया है भृष्ट तो गिनती के है पर लाखों सन्त है जो आज भी सनातन के लिए अपनी हड्डियां गला रहे है उन्ही सन्तो को व्यासपीठ ओर सम्मान दोनो दीजिये। इन सुविधाभोगी अरबो के मालिकों ओर व्यासपीठ को छोटा और खुद को बड़ा बताने वाले इन अलीमौलाओ को अब छोड़िये। ओर सनातन की तपस्वी सन्तों से अपनी औलादों को परिचित करवाइए ताकि आने वाली पीढ़ी सेकुलर पाखंड की बजाय सनातनी बने।