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ब्रांड तिलामूक : छोटे से गांव के गौ पालक किसानों की पहचान

भारत में अमूल का नाम जबान पर आते ही उत्कृष्ट किस्म के दूध का ख्याल आ जाता है। इसे अमूल ब्रांड गुणवत्ता का प्रभाव कह सकते हैं. अमूल की कहानी पचास साल पहले गुजरात के अनजान से आणंद क्षेत्र के दुग्ध उत्पादक किसानों के सहकारिता अभियान से जुडी है. ठीक ऐसी ही कहानी अमरीका के तिलामूक ब्रांड की है. तिलामूक कहते ही उत्कृष्ट चीज (cheese) का नाम जबान पर आ जाता है.

तिलामूक ब्रांड का स्वामी आज भी तिलामूक काउंटी का सहकारी क्रीमरी एसोसिएशन है। यह काउंटी उत्तर पश्चिमी पैसिफ़िक तट पर अवस्थित है। तिलामूक ब्रांड चीज की यात्रा अबसे 107 वर्ष पहले हुई थी जिसे योरोप के दुग्ध उत्पादक देश हालैंड और स्विट्ज़रलैंड से आये प्रवासियों ने मिल कर शुरू किया था। आज भी इस इलाके की कुल आबादी मात्र 4700 है लेकिन गायों की आबादी उससे कई गुना ज्यादा है. भारत में जो लोग गौ संवर्धन की बात करते हैं उन्हें तिलामूक मॉडल समझना चाहिए कि किस तरह से यहाँ के मुठ्ठी भर निवासियों ने अपने दम ख़म पर गाय की कई सारी प्रजातियों के साथ ऐसा व्यवसाय विकसित किया है जो अब देश भर में फैला हुआ है.

हम भी पिछले 10 वर्षों से निरंतर अपने अमरीका प्रवासों के दौरान तिलामूक ब्रांड के चीज का इस्तेमाल कर रहे हैं, हमें भी उत्सुकता थी कि किस तरह से चंद किसान परिवारों ने यह दूध साम्राज्य खड़ा किया है. मौका इस बार मिला और हमने दूर दराज जंगलों, नदियों और खाड़ी के मध्य शहरी सभ्यता की चकाचौंध से परे इस क्षेत्र की यात्रा की और जा कर स्वयं चरागाहों, गायों के शेल्टर और चीज फैक्ट्री देखा।

ओरेगॉन अमरीका के उत्तर-पश्चिम में बसा राज्य है जिसमें प्रकृतिक सौंदर्य बेपनाह है. तिलामूक यहाँ के पोर्ट शहर पोर्टलैंड से घने जंगलों, नदियों को पार करके 70 मील की दूरी पर पश्चिम में पैसिफिक तट पर है , यह इलाका तिलामूक खाड़ी के आस पास फैला हुआ है. यहाँ सैलानियों के करने को बहुत कुछ है, रम्य प्राकृतिक इलाके में दर्जनों हिल-ट्रेल हैं, नौकायन के शौकीनों के लिए मीलों लम्बे जल मार्ग हैं , क्रैब और मछलियों में रूचि रखने वालों के लिए तो तिलामूक खाड़ी छोटा मोटा स्वर्ग ही है. थ्री केप्स सीनिक लूप पर ड्राइव का अलग मजा है. यहाँ से गुजरने वाला 101 सीनिक हाइवे तो अपनी नयनाभिराम दृश्यावलियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है.

दुग्ध क्रांति की शुरुआत

अमरीका के क्षेत्रीय और फेडरल भू -अधिकार अधिनियम के अंतर्गत ओरेगन के तटीय नदियों के निचले किनारों और उनके खड़ी क्षेत्र से सटे इलाकों में सन 1845 के आस पास योरोप से आये प्रवासियों ने बसना शुरू किया। इलाका चारे की खेती के लिए उपयुक्त था इसलिए गाय पालना और डेरी का काम सुविधाजनक पाया गया. यहाँ एक एकड़ में 5 से 6 टन तक पशु चारा आराम से हो जाता है। वैसे भी यहाँ मीलों तक फैले हरे भरे मैदानी इलाके गायों के लिए प्रकृति प्रदत्त चरागाह हैं। शुरुआती दौर में हेनरी विल्सन नाम का उद्द्मी यहाँ क्लेटसाप काउंटी से गाय लेकर आया उसी के नाम पर विल्सन नदी का नामकरण हुआ है। धीरे धीरे करके यहाँ 110 निजी फ़ार्म बन गए. यहाँ से सबसे करीब ी आबादी पोर्टलैंड और एस्टोरिया में थी, पर्वतीय रास्ते बहुत ही दुर्गम थे उधर से दूध ले कर जाना मुश्किल था क्योंकि दूध जल्दी ख़राब होने वाली चीज है, इसलिए किसानों ने मक्खन निकलना शुरू किया।वे उद्यमशील तो थे ही सो मिलकर स्थानीय लकड़ी और पुराने जहाजों के कबाड़ से 1855 में एक छोटा सा जलयान बना लिया, नाम रखा गया ‘मार्निग स्टार’ . इससे नजदीकी शहरों तक मक्खन ले जाना आसान हो गया। बरसों तक यह सिलसिला चलता रहा। आज भी तिलामूक चीज के लोगो पर मार्निंग स्टार बना हुआ है और उनकी चीज फैक्ट्री के बाहर मॉर्निंग स्टार की अनुकृति लगी हुई है.

अनुभव से इन गौपालक किसानों को लगा कि मक्खन की तुलना में चीज लम्बे समय तक टिक जाता है इसलिए दूध से चीज बनाना अधिक व्यवहारिक है। वर्ष 1889 में मैरीमेन फोलेन और बाब रिचर्ड्स नाम के किसानों ने पहली बार व्यावसायिक स्तर पर चीज बनाने की कोशिश की लेकिन गुणवत्ता में खरा नहीं उतरा। फोलेन और रिचर्ड्स ने हार नहीं मानी , अपने प्रयोगों का सिलसिला जारी रखा , कुछ ही वर्षों के भीतर वे छोटे स्तर पर ही सही लेकिन चीज बनाने की प्रक्रिया को स्वाद और गुणवत्ता की दृष्टी से खरा बनाने में सफल रहे.

1894 तक तिलामूक काउंटी के डेरी व्यवसाय में चीज की हिस्सेदारी बहुत कम थी. इन्ही दिनों चीज निर्माता हैरी ओगडेन और टी एस टाउनशिप ने आंटोरियो निवासी और चीज निर्माता पीटर मैकिंटॉश को राजी किया कि वह तिलामुक आकर चीज बनाना शुरू करे. पीटर के आते ही तिलामूक में चीज़ की गुणवत्ता में सुधार आ गया और व्यवसाय को और गति मिली। तिलमुक में शताब्दी के अंत तक चीज फैक्ट्रियों की संख्या बढ़ कर 36 हो गयी. 1909 में दस फैक्ट्रियों ने मिल कर सहकारी फेडेरशन बनाया और सुनिश्चित किया कि मैकिंटोश की विधि से चेडर चीज बनाया जाय ताकि गुणवत्ता में एकरूपता रहे , 1915 में इस फेडेरशन में 15 फैक्ट्री और जुड़ गयीं और निर्णय किया कि सभी फैक्ट्रियां खरीदने और बेचने का काम केंद्रिकृत व्यवस्था के अंतर्गत करेंगी . संयोगवश इसी दौरान सडकों की स्थिति में भी सुधार हुआ इस लिए काम और भी जोर से चल निकला।

लम्बी उड़ान

1918 में तिलामूक काउंटी क्रीमरी एसोसिएशन ने राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन अभियान शुरू किया जिससे उनके उत्पादों की मांग एकाएक बढ़ गयी , 1930 की शुरुआत में एसोसिएशन ने 35 लाख किलोग्राम चीज पश्चिमी अमरीका और अलास्का में बेच दिया जो उस समय के परिवहन और मार्केटिंग की सीमाओं को देखते हुए काफी बड़ी उपलब्धि थी ।

इन दिनों तिलामूक काउंटी क्रीमरी एसोसिएशन और तिलामुक चीज़ के मुख्य कार्यकारी और प्रेजिडेंट पैट्रिक क्रिटीज़र हैं. उनके पूर्वज सात पीढ़ी से ओरेगन के तटीय इलाके के रहने वाले हैं. उनके पुरखे विलामेट घाटी के रहने वाले हैं इसलिए जब चार साल पहले उन्हें तिलामूक के लिए काम करने का ऑफर मिला तो बहुत अच्छा लगा क्योंकि दोनों इलाके आस पास ही हैं. यह चुनौती लेने से पूर्व पैट्रिक नाइके, डिज्नी, प्राक्टर गेम्ब्ल में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं और तिलामूक से पूर्व काफी बीन इंटरनेशनल के सीईओ थे. प्रसंगवश पैट्रिक 107 वर्ष पुरानी कम्पनी के आठवें सीईओ हैं. उनके आने के बाद ब्रांड के प्रोडक्ट्स बढे हैं और बिक्री में में भी बढ़ोत्तरी हुई है.

वैसे भी पैट्रिक का अब तक का कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहा है क्योंकि 2014 में दूध के दाम एक दम ऊंचाई छू गए थे और इन दिनों गिरे हुए हैं, यही नहीं उन्हें मार्केट , पर्यावरण और राजनैतिक चुनौतियों से भी जूझना पड़ा है और इन्हे भली प्रकार से निबटने की कोशिश की है. दरअसल तिलामूक में 100 डेरी-किसान परिवार हैं जिनसे दूध खरीद कर विभिन्न डेरी उत्पाद बनाने से लेकर उनके वितरण और ब्रांड संवर्धन और पूरे आपरेशन को लाभप्रद बनाये रखने की जिम्मेवारी भी है.

पैट्रिक बताते हैं कि जब दूध का दाम गिरा होता है तब चुनौती बिक्री को लेकर डेरी किसानों के लिए लाभ बढ़ने की रहती है , जब दूध के दाम बढ़ते हैं तो बिक्री बढ़ा कर या फिर अन्य लागत को घटा कर लाभ को यथावत बनाये रहने की होती है. पैट्रिक के अनुसार इन चार वर्षों में लाभ 45 % बढ़ा है , बढ़ी बिक्री से प्रत्यक्ष रोजगार 650 से 850 हो गया है. यही नहीं कम्पनी ने 2014 में व्हे प्रोसेसिंग बढ़ने के लिए बोर्डमैन में $95 मिलियन निवेश से 64,000 वर्ग फुट क्षेत्र में प्लांट विस्तार किया।

107 वर्षों से धीरे धीरे तिलामूक ब्रांड लोगों के दिलोदिमाग पर कुछ इस तरह से छा गया है कि इसके चाहने वाले तिलामूक जा कर देखना चाहते हैं कि वहां किस तरह से ये सारे प्रोडक्ट बनाये जाते हैं. प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में लोग फैक्ट्री और उसके आसपास के बातावरण को देखने के लिए पहुँचते हैं. 2017 में 13 लाख लोग यहाँ आये थे.

हम जब तिलामूक पहुंचे तो सुबह के नौ ही बजे थे लेकिन दोनों पार्किंग लाट में हजार से ऊपर गाड़ियां लगी चुकी थीं , ज्यादातर लोग सपरिवार आये हुए थे. चीज फैक्ट्री दो मंजिला है दूसरे तल पर लम्बी लॉबी को आब्जर्वेशन डेक में बदल दिया है इसकी दीवारें कांच की हैं जिनसे झांक कर दही बनने से लेकर चीज बनने, उसे मनचाहे आकार में काटने, फिर सीजन करने के लिए भेजने, वजन करने और पैक करने की प्रक्रिया देखा जा सकता है , हर प्रक्रिया के यंत्रों सामने उससे जुडी जानकारी विस्तार से समझाई गई है. एक कक्ष तिलामूक काउंटी की गायों की विभिन्न ब्रीड और उनकी खूबियों, उनके पालने पोसने, देखभाल और दुहने की प्रक्रिया के बारे में है। यहां कुछ रोचक तथ्य भी प्रदर्शित किये गए हैं मसलन ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अपनी सिल्वर जुबली पर 1977 में तिलामूक चीज टेस्ट किया था !

इस क्षेत्र के 100 किसान परिवार मुख्यत: होलेस्टेन, जर्सी, ब्राउन स्विस , आरिशायर और गुएरन्सी ब्रीड की गाय पालते हैं, हर ब्रीड की अपनी अलग खूबी है लेकिन ज्यादा दूध देने वाली जर्सी ही है, गुएरन्सी की विशेषता उसका सुनहरे रंग का दूध है. एक एक परिवार के पास सैकड़ों से हजारों की संख्या में गाय हैं इसलिए दोहन का काम मशीनों से किया जाता है, एसोसिएशन और किसान गाय के चारे की गुणवत्ता को लेकर काफी जागरूक हैं क्योंकि अच्छा चारा गाय के स्वास्थ और दूध की क्वालिटी की पहली कसौटी है. तिलामूक के किसानों का गायों के प्रति लगाव और समर्पण देखते बनता है, भारत में जो लोग गौ संवर्धन की बात करते हैं वे यहाँ के गौपालक किसानों से बहुत कुछ सीख सकते हैं , जिन्होने अपने श्रम, लगन, आगे बढ़ने की इच्छा से अरबों रूपये का व्यवसाय खड़ा किया है।

हजारों मील दूर से ड्राइव करके आये तिलामूक फैंस के लिए फैक्ट्री परिसर में विशाल कैफेटेरिया है जहां ज्यादातर डेलीकेसी तिलामूक क्षेत्र में उपलब्ध सामग्री से तैयार की जाती हैं। तिलामूक ब्रांड आइसक्रीम ने भी हाल ही के वर्षों में अपनी पहचान बनाई है,कैफेटेरिया का बड़ा हिस्सा आइसक्रीम के लिए है जहाँ आइसक्रीम के कोन भी ताजे बेक किये जाते हैं , जहाँ अन्य ब्रांड की आइसक्रीम में हवा भर कर उसे फुला दिया जाता है ताकि यानी जब आप उसे कहते हैं तो असली माल काम हवा ज्यादा खा जाते हैं। वहीँ तिलामूकआइसक्रीम भारत में अबसे तीस चालीस साल पहले तक छोटे शहरों में बिकने वाले मलाई बर्फ जैसी है , इसमें कई स्थानीय फ्लेवर हैं ओरेगन डार्क चेरी यहाँ की विशेषता है।

ब्रांड तिलामूक का फिलहाल जोर चीज से इतर आइसक्रीम, योगर्ट,सोर क्रीम जैसे प्रोडक्ट पर है. पूरी तरह तो नहीं लेकिन धीरे धीरे करके सिंथेटिक और आर्टिफिशियल घटकों को काम करने की कोशिश चल रही है – इन दिनों उनकी मिंट चॉकलेट चिप ज्यादा हरी नहीं दिखती, कारण यह कि इसमें सिंथेटिक हरा रंग डालना छोड़ दिया है.

अमरीका में जहाँ व्यवसाय में एक ओर एकाधिकार या अल्पाधिकार हावी है वहीँ 107 वर्षों से गौ पालक किसानों का एक सहकारी संगठन अपने आप को प्रासंगिक बनाये हुए है यह समझने के लिए तिलामूक जाना पड़ेगा और नजदीक से देखना होगा कि योरोप के स्विट्जरलैंड, हालेंड जैसे दुग्ध उत्पादक देशों से 160 वर्ष पहले आ कर बसे इन किसानों ने छोटे से गांव तिलामूक को किस तरह दुग्ध उद्योग में स्थापित कर दिया है। इन किसानों की सहकारी शक्ति ही ब्रांड तिलामूक है.

( प्रदीप गुप्ता ब्रांड सलाहकार हैं और विविध विषयों के साथ ही फिल्म व संगीत समीक्षाएँ भी लिखते हैं, इन दिनों अमरीका की यात्रा पर हैं)

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