विदेशी मीडिया का एजेंडा

इंग्लैंड का समाचारपत्र गार्डियन ने एक विस्तृत लेख लिखकर भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि भारत सरकार की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ विदेशी ज़मीन पर अपने दुश्मनों के हत्या कराने का काम लगातार कर रही है।

गार्डियन ने अपने लेख में बताया है कि रॉ में दुबई और अग़ल अग़ल बग़ल के शहरों को अपना बेस बनाया हुआ है और वहीं से ये सारा काम अंजाम देते हैं।

पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक़ पुलवामा हमले के बाद भारत ने अपना रास्ता बदल दिया और उन्होंने दो साल के भीतर पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के अपना स्लीपर सेल बना लिया। उसके बाद उसने टार्गेट किलिंग करना शुरू किया जिसके अंतर्गत कम से कम बीस आतंकियों को मार गिराया। भारत ने इन हमलों को कैसे अंजाम दिया इस पर केस दर केस विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।

कथित तौर पर ख़ालिस्तानी आतंकियों को मारने के लिए स्थानीय जेहादियों को रॉ ने रिक्रूट किया और उन्हें पैसे दिये गए। उनको बताया गया कि सिक्ख काफिर होते हैं और इनको मारने से जन्नत मिलेगा। जेहादियों को लगा कि वह अल्लाह का काम कर रहे हैं। इसी तरह एक जेहादी आईएसआईएस में शामिल होना चाहता था तो उसे शर्त रखी गई कि फला आतंकी को मारकर यह सिद्ध करो की तुम उससे बड़े तुर्रम खाँ हो, जिसके बाद उसने एक बड़े आतंकी की हत्या कर डाली।

भारत सरकार की पहुँच आईएसआईएस तक पहले नहीं थी लेकिन बीच में एक आईएसआईएस का आतंकी पकड़ा गया जिसके माध्यम से एजेंसियों की पहुँच आईएसआईएस के तमाम व्हाट्स एप्प और टेलीग्राम ग्रुप में हो गई जहां से ये दोस्ती गाँठकर काटे से काँटा निकालने का काम कर रहे हैं। कथित रूप से एक आतंकी के मामले में एक महिला जासूस ने अपने आप को अमेरिका के एक बड़े समाचार पत्र का पत्रकार बन कर मिली। उसने कहा कि उसे इंटरव्यू लेना है और संभवतः उसने कश्मीर पर उसका पक्ष दुनिया को बताने का लालच दिया जिसके बाद उसने अपना पहचान स्वीकार कर लिया। पहचान स्वीकार करते ही उसका शिकार हो गया।

पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के सूत्रों का कहना है कि वह इन ग़ैरन्यायिक हत्याओं पर बहुत शोर नहीं मचा सकते क्यूँकि उससे दुनिया में मैसेज जाएगा कि भारत में आतंकवाद करने वाले लोगों को पाकिस्तान में शरण दिया हुआ है। इसी तरह कनाडा के आतंकियों की हत्या के बारे में अख़बार ने दावा किया है।

सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी अमेरिका में रहने वाले ख़ालिस्तानी आतंकी पन्नू के बारे में है जिसमें अख़बार का दावा है कि भारतीय एजेंसियों ने अमेरिका में ऐसा कोई मिशन नहीं चलाया लेकिन रॉ का एक जासूस जो बिलकुल नियंत्रण से बाहर है उसने इसे अंजाम दिया। हालाँकि इस घटना को अंजाम देने से पहले ही रॉ ने उसे निष्कासित कर दिया था पर वह अमेरिका में बैठकर अपने स्तर पर इन कामों को अंजाम देने में लगा हुआ है।

गार्डियन का यह लेख चुनाव से ऐन पहले भारत पर विदेशी दबाव बढ़ाने के लिए प्रकाशित किया गया है।

खलिस्तान समर्थक विदेशी एजेंट एवं नेता अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद खलिस्तान पर अस्तित्व का संकट आ गया है। अभी आतंकी पन्नू ने यह भी बयान दिया है कि केजरीवाल ख़ालिस्तान आंदोलन के करोड़ों रुपये दबाकर बैठे हैं, ऐसे में केजरीवाल का जेल से बाहर आना ज़रूरी है ताकि उन रुपयों का हिसाब हो सके। जर्मनी अमेरिका की तरफ़ से केजरीवाल को समर्थन मिलना, पन्नू द्वारा रुपयों का हिसाब माँगना और अचानक यह लेख छपना सब आपस में मिले हुए हैं लेकिन लग ऐसा रहा है कि इस आर्टिकल से उल्टा मोदी को चुनावी लाभ मिलने वाला है क्यूँकि मोदी की अपनी नीति है “काँटे से काँटा निकालना”।