वो चेहरे, जो भाजपा की हार के सूत्रधार बने

हिंदू आतंकवाद के आर्किटेक्ट की हार, बहुत कुछ कहती है!

हिंदू आतंकवाद के आर्किटेक्ट और इसके प्रचार, दोनों इस बार भाजपा की टिकट से चुनाव हार गये। यूपीए कार्यकाल में जब पी.चिदंबरम और सुशील शिंदे गृहमंत्री थे, उस समय आर.के.सिंह गृहसचिव थे। संघ आतंकवाद जिसे तब भगवा और हिंदू आतंकवाद के रूप में प्रचारित किया गया था, उसके मुख्य आर्किटेक्ट आर.के.सिंह (Pic-1) ही थे। इन्होंने समझौता, अजमेर, माले गांव आदि ब्लास्ट में NIA द्वारा चार्जशीटेड 10 संघ प्रचारकों और स्वयंसेवकों का नाम मीडिया में जारी किया था, जो किसी न किसी बम धमाके में अभियुक्त थे।

तत्कालीन गृहमंत्री सुशील शिंदे ने जब कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन में कहा था कि भाजपा-संघ के शिविरों में आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है, तो इसे मीडिया ने हिंदू आतंकवाद लिखते हुए प्रचारित किया था। फिर शिंदे मीडिया में यह कहने आए कि उनके बयान को गलत कोट किया जा रहा है। उन्होंने संघ के शिविरों में आतंकवादी प्रशिक्षण की बात की, न कि हिंदू आतंकवाद कहा। फिर कांग्रेस के नेता जनार्दन द्विवेदी ने भी इस पर बयान दिया था कि आतंकवाद को भगवा से हमने नहीं जोड़ा है। आतंकवाद का एक ही रंग है, और वह काला है।

मीडिया ने ज्यों ही इसे छापा, त्यों ही तत्कालीन गृहसचिव आर के सिंह सामने आए और उन्होंने संघ के 10 स्वयंसेवकों और प्रचारकों के नाम की सूची जारी कर दिया था और दावा किया कि इन आतंकवादियों के संबंध संघ से हैं।(Pic-2, Pic-3) । उन्होंने इस मुद्दे को ठंडा नहीं पड़ने दिया। साक्ष्य के साथ पहली बार पब्लिक फोरम में संघ को आतंकवादी आर. के.सिंह ने ही साबित किया था, इसीलिए उन्हें इसका आर्किटेक्ट माना जाता है।

ताज्जुब की बात यह है कि इसके बाद यह सेवानिवृत्त हुए और तुरंत भाजपा ने इन्हें शामिल कर लोकसभा का टिकट दे दिया। भाजपा की टिकट पर 2014 और 2019 में न केवल यह सांसद बने, बल्कि मोदी के गुड बुक में रहने के कारण राज्य मंत्री से केबिनेट मंत्री तक का सफर इन्होंने तय किया‌। ऐसा लगा जैसे संघ को आतंकवादी साबित करने का ईनाम इन्हें संघ-भाजपा की ओर से दिया गया, क्योंकि यही वह ‘ट्रिगर प्वाइंट’ था, जहां से देश भर के हिंदुओं के अंदर कांग्रेस के प्रति गुस्सा भरा और उन्होंने भाजपा के पक्ष में मतदान किया।

यदि थोड़ा पीछे चलें तो यही मोडस ओपरेंडी भाजपा के विकास की कहानी में भी देखने को मिलती है और वहां भी आर.के.सिंह ही भाजपा के सहायक साबित हुए!

1990 में लालकृष्ण आडवाणी को रथयात्रा के दौरान समस्तीपुर में गिरफ्तार करने वाले अधिकारी आर.के.सिंह ही थे। इस गिरफ्तारी के बाद भाजपा उत्तरोत्तर बढ़ती चली गई। जब NDA की सरकार आई तो आडवाणी गृहमंत्री बने। उन्होंने भी आर.के.सिंह को खुद को गिरफ्तार कर भाजपा को सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने के लिए अवार्ड दिया! आडवाणी ने उन्हें गृहमंत्रालय में संयुक्त सचिव का पद दिया, जिस पर सिंह 1999-2004 तक रहे।

2004 में बिहार में NDA की पहली नीतीश कुमार सरकार बनी (2004-2009) तो आर.के.सिंह को नीतीश सरकार में सड़क निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया‌। लालू राज में बिहार की सड़कें खास्ताहाल थी। जाने से पहले वाजपेई सरकार ने बिहार की सड़क को बेहतर बनाने के लिए जिस अधिकारी पर भरोसा किया वह यही आर.के.सिंह थे!

इस बार 2024 में आर के सिंह तीसरी बार आरा से चुनाव जीतने में सफल नहीं हुए। लेकिन संघ-भाजपा को बदनाम कर सत्ता दिलाने में इनकी जो हमेशा भूमिका रही है, उसका ईनाम इन्हें मोदी सरकार में लगातार 10 साल मिला और संभव है इस बार भी मिल जाए!

दूसरे हैं कृपाशंकर सिंह, जो पूर्व में कांग्रेस के नेता था और जिन्होंने 26/11 RSS की साजिश नामक पुस्तक दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर लांच की थी । इस बार भाजपा ने उन्हें अपने कार्यकर्ताओं पर वरीयता देते हुए जौनपुर से टिकट दिया था। भाजपा में ज्वाइनिंग के बाद कृपाशंकर सीधे पीएम मोदी से मिले (Pic-5, 6), जिसके बाद यह कयास लगाया गया कि मोदी के कहने पर ही इन्हें भाजपा में एंट्री मिली है। कृपाशंकर सिंह जौनपुर से करीब 1 लाख वोटों से हार गये। उधर हिन्दू आतंकवाद के प्रचारक कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी मप्र के राजगढ़ सीट से हार गये। दिग्विजय सिंह का भी संघ और भाजपा से बहुत पुराना याराना है। इसके काफी साक्ष्य पब्लिक फोरम में मौजूद है।

हिंदू आतंकवाद के दो अन्य साजिशकर्ता भी अभी भाजपा की छतरी के नीचे हैं। एक हैं, यूपीए के समय गृहराज्य मंत्री रहे और कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह, जिन्होंने 2022 भाजपा ज्वाइन कर ली । दूसरे हैं, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम। आरोप के मुताबिक ये दोनों अजमेर बम ब्लास्ट में संघ प्रमुख मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार का नाम शामिल कराने के लिए दिग्विजय सिंह के साथ ब्लास्ट के आरोपी भावेश पटेल से प्रमोद कृष्णम के उसी आश्रम में मिले, जिसके पुधरुद्धारित रूप का हाल-फिलहाल पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था भावेश पटेल ने NIA अदालत में पत्र लिखकर इसका खुलासा किया था।

आज आचार्य प्रमोद कृष्णम और आरपीए सिंह दोनों भाजपा के बल्लेबाज हैं! इनके द्वारा भी भाजपा-संघ के विरुद्ध साजिश व फाल्स नरेशन का लाभ भाजपा को सत्ता प्राप्ति में हुई, शायद इसलिए भाजपा ने इन्हें भी पुरस्कृत किया है!

ऐसे विकटों को सनातनधर्मी हिंदुओं ने पहचान कर गिराना आरंभ कर दिया है। आर.के.सिंह और कृपाशंकर सिंह की हार इसका उदाहरण है।

साभार- https://www.facebook.com/sdeo76 से