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हिंदी विभाग और लिटररी क्लब के सरस बसंत काव्योत्सव में गूंजीं गीतकार किशोर तिवारी के गीतों की स्वर लहरियाँ

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के हिंदी विभाग और लिटररी क्लब के संयुक्त तत्त्वावधान में बसंत काव्योत्सव और अतिथि व्याख्यान का सरस और प्रेरक आयोजन किया गया। मुख्य आमंत्रित कवि और गीतकार वाह, वाह क्या बात है फेम भिलाई के किशोर तिवारी थे। अध्यक्षता वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अंजना ठाकुर ने की। उन्होंने अच्छे आयोजन के लिए शुभ कामना दी। काव्योत्सव में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय, लिटररी क्लब के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रकुमार जैन, डॉ. बी. एन. जागृत और डॉ. नीलम तिवारी सहित बड़ी संख्या में स्नातकोत्तर हिंदी के विद्यार्थियों ने काव्य पाठ किया। वक्ताओं ने विशेष उदबोधन देकर जीवन में बसंत के महत्त्व और प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय का बख्शी सभागृह हर्ष और करतल ध्वनि से गूंजता रहा। इस अवसर पर डॉ. स्वाति दुबे, डॉ. गायत्री साहू, डॉ. भवानी प्रधान और डॉ. कौशिक बिशी अंग्रेजी विभाग के प्रो. चन्दन सोनी उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. नीलम तिवारी को संस्कृति ज्ञान परीक्षा के श्रेष्ठ समन्वयक का सम्मान प्रदान किया गया। विद्यार्थी पुरस्कृत किये गए।

प्रारम्भ में वाग्देवी पूजन के उपरांत अतिथि गीतकार किशोर तिवारी का आत्मीय स्वागत शाल, श्रीफल और पुष्प गुच्छ भेंटकर किया गया। डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया। गौरतलब है कि भिलाई स्टील प्लांट में सेवारत श्री तिवारी आकाशवाणी और दूरदर्शन समेत कई राष्ट्रीय स्तर के मंचों के नियमित और ख्याति प्राप्त रचनाकार हैं। डॉ. शंकर मुनि राय ने गाँव की आत्मीयता और जीवनधारा के महत्त्व पर केंद्रित लोकप्रिय गीत के साथ कुछ हृदयस्पर्शी बासंती दोहे भी सुनाये। डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने मधु मादक रंगों ने बरबस जीवन का श्रृंगार किया है, रंग उसी के हिस्से आया, जिसने मन से प्यार किया है, जैसे दिल को छूने वाली रचना के अलावा हिंदी और छत्तीसगढ़ी दोहे तथा तरन्नुम में अपनी गजलें भी सुनायीं। डॉ. बी. एन. जागृत ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी रचनाओं की प्रभावी बानगी प्रस्तुत की।

अतिथि गीतकार किशोर तिवारी ने बसंत काव्योत्सव को अपने गीतों और सुरीली आवाज़ से बासंती रंग में रंग दिया। उन्होंने प्यार ऊंचा है पर्वत की ऊँचाई से, प्यार गहरा है सागर की गहराई से। बेर शबरी के सारे थे झूठे सही, खाने वाले मगर दिल भी रूठे नहीं। राम खाते रहे मुस्कुराते रहे, प्रेम के भाव होते न झूठे कहीं जैसी मर्म को छूने वाली पंक्तियों से मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में संस्कृति ज्ञान परीक्षा और काव्योत्सव में श्रेष्ठ प्रस्तुति देने वाले विद्यार्थियों को डॉ. चंद्रकुमार जैन की कृतियां मौलिक और लेखन सामग्री भेंट कर प्रोत्साहित और पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन और आभार ज्ञापन डॉ . बी. एन.जागृत और डॉ. नीलम तिवारी ने किया
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