दिल्ली के मेले से बहुत दूर यहां न कोई वीआईपी था, न कोई दर्शक। यहां सिर्फ बंदी थे। उनके लिए लिखी किताब उन्हीं के नाम हुई। इस किताब को पत्रकारों के एक समूह के साथ रिलीज कर दिया गया और बाद में उसे बंदियों को सौंप दिया गया। यह एक अनूठा लोकार्पण था।
· जेल से जीवंत रिपोर्टिग करती अनूठी किताब तिनका तिनका डासना रिलीज
· जेल की किताब का जेल में ही हुआ विमोचन
· पुस्तक मेले से परे इस किताब में न भीड़ थी, न कोई वीआईपी
· इससे पहले इसी जेल में इस नाम से दीवार, कैलेंडर और थीम सांग बना है
· तिनका तिनका प्रोजेक्ट की संस्थापक जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा
· तिनका तिनका देश की जेलों के लिए एक विशेष श्रृंखला
· वर्तिका नन्दा की किताब का अंग्रेजी अनुवाद नुपूर तलवार ने किया है (किताब हिंदी और अंग्रेजी –दोनों भाषाओं में)
पुस्तक मेले से दूर एक किताब जेल के अंदर लोकार्पित हुई तो कई आंखें नम थीं। अपराध पत्रकार रहीं और जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा की यह किताब जेलों पर आधारित अपनी तरह की पहली रिपोर्टिंग है। यह किताब नौ हिस्सों में बंटी है। 2 साल की मेहनत से लिखी गई इस किताब में पत्रकार भी है, कथ्य भी, कथानक भी, कविता भी और सच भी। एक हिस्से में वे पांच ज़िंदगियां भी शामिल हैं जो आजीवन कारावास पर हैं। जेल में आने के बाद उनका जीवन कैसे बदला और उन्होंने खुद को इस माहौल में ढालने की कोशिश कैसे की, यह उसका ब्यौरा है।
– इसके जरिए लेखक का मकसद किसी भी तरह के अपराध या फिर सज़ा को जायज़ या नाजायज़ ठहराना नहीं है बल्कि यह सामने लाना है कि जेल में आने के बाद ये ज़िदगियां कैसे बदलीं, कैसे सबने अपनी नई परिभाषा खुद रचने की कोशिश की और कैसे उन्हें राष्ट्र निर्माण से जोड़ा जा सकता है।
– इस किताब की एक और खासियत उन दो चर्चित बंदियों की जिंदगी में पहली बार लिखी कविताएं हैं जो उन्होंने इस किताब के लिए लिखी हैं। ये हैं – राजेश और नूपुर तलवार।जेल में आने के बाद उनकी बदली जिंदगी का यह पहला दस्तावेज है। इसके अलावा सुरिंद्र कोली भी इस किताब का एक हिस्सा है और खुद को बदलने की कहानी कहता दिखता है। इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद राजेश और नूपुर तलवार ने किया है।
– किताब के एक हिस्से में वह गाना भी है जो अब जेल का थीम सांग है और जिसे वर्तिका नन्दा ने लिखा और कैदियों ने गाया है। इस गाने की सीडी उप्र के जेल मंत्री ने जेल में ही रिलीज की थी।
– इस किताब का मकसद मानवाधिकार को लेकर नए आयाम स्थापित करना है और जेलों को लेकर एक आम धारणा में बदलाव लाना भी। यह किताब समाज, जेल और प्रशासन के बीच एक पुल बनाने का प्रयास है।
– मीडियाकर्मी, जेल सुधार विशेषज्ञ, लेखिका और शिक्षक। मीडिया, साहित्य और अपराधों पर जागरुकता लाने के लिए भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से 2014 में स्त्री-शक्ति पुरस्कार से सम्मानित। इससे पहले लिखी किताब तिनका तिनका लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में शामिल हुई। किताब अमेजन पर उपलब्ध है।
– http://www.amazon.in/Tinka-Dasna-Hindi-Vartika-Nanda/dp/9352657292