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पश्चिमी भारत के बहुमुखी विकास में पश्चिम रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका

5 नवम्बर, 2019 को पश्चिम रेलवे का 69 वां स्थापना दिवस

5 मई, 1992 को दुनिया की पहली महिला विशेष ट्रेन और दिसम्बर 2017 में भारत की पहली पूर्ण रूप से वातानुकूलित उपनगरीय ट्रेन की शुरुआत के अलावा केवड़िया के शुभारम्भ से स्टैचू ऑफ यूनिटी को जोड़ने वाले रेलवे स्टेशन के शिलान्यास और राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान जैसी अनेक अहम उपलब्धियाँ हासिल करने वाली पश्चिम रेलवे विभिन्न क्षेत्रों में हमेशा अग्रणी रही है। 1850 के दशक में ब्रिटिश काल में अपने जन्म के बाद से, पश्चिम रेलवे ने, अपनी लम्बी यात्रा के दौरान कई बार अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है। विभिन्न महत्वपूर्ण उपलब्धियों के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के बाद, पश्चिम रेलवे 5 नवम्बर, 2019 को अपना 69 वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है।। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और देश के पश्चिमी हिस्सों के सार्वजनिक परिवहन के एक मजबूत माध्यम के रूप में हरसम्भव बेहतर सेवा प्रदान करते हुए पश्चिम रेलवे ने राष्ट्र को न केवल वित्तीय और औद्योगिक विकास से लाभान्वित किया है, बल्कि राष्ट्रीय एकीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पश्चिम रेलवे ने रेल सेवाओं और सुविधाओं के माध्यम से कई स्थलों और दिलों को परस्पर जोड़ा है, जिसने लोगों के बीच राष्ट्रीय अखंडता की भावना पैदा की है। पश्चिम रेलवे के 69 वें स्थापना दिवस पर, बीती बातों को याद करते हुए यह उल्लेखनीय है कि देश की अर्थव्यवस्था की प्रगति में इन सभी वर्षों में पश्चिम रेलवे ने कई उपलब्धियां और मील के पत्थर हासिल किये हैं।

पश्चिम रेलवे अपने वर्तमान स्वरूप में 5 नवम्बर, 1951 को अपने पूर्वज, भूतपूर्व बंबई, बड़ौदा और मध्य भारत रेलवे (बीबीएंडसीआई) के विलय से अस्तित्व में आई, जिसमें अन्य स्टेट रेलवे, सौराष्ट्र, राजपूताना और जयपुर शामिल थे।

बीबीएंडसीआई रेलवे का उद्घाटन 1855 में किया गया था, जिसकी शुरुआत तब गुजरात मुख्यालय में पश्चिमी तट पर गुजरात राज्य के अंकलेश्वर से उत्राण तक 29 मील के ब्रॉड गेज ट्रैक के निर्माण के साथ हुई थी। वर्ष 1863 में इसे तत्कालीन बंबई स्थानांतरित कर दिया गया। इससे पहले, बॉम्बे तक एक नई लाइन बिछाने के प्रस्ताव को शुरू में अनावश्यक माना गया था। यह बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर, माउंट स्टुअर्ट एल्फिंस्टन थे, जिन्होंने इस मामले को साम्राज्य के लिए फायदेमंद बताया।

नई लाइन बंबई को समृद्ध गुजरात प्रांत से जोड़ेगी और बंबई से कपास को परिवहन करने के लायक पाया गया। बॉम्बे (मुंबई), गुजरात और देश के पश्चिमी क्षेत्रों के तेजी से सामाजिक-आर्थिक और समग्र विकास में पश्चिम रेलवे ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और यात्रियों को तेज सेवाएं प्रदान करने के लिए वर्तमान में विभिन्न परियोजनाएं जैसे कि सेमी हाई-स्पीड और हाई-स्पीड ट्रेनें शुरू करने का काम पाइपलाइन में है। महामना एक्सप्रेस, हमसफ़र एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस और एसी डबल डेकर एक्सप्रेस ट्रेनों सहित कुछ प्रतिष्ठित ट्रेनों को पश्चिम रेलवे पर चलाया जाता है। वर्तमान में, पश्चिम रेलवे 324 मेल / एक्सप्रेस गाड़ियां और 310 पैसेंजर गाड़ियां चलती है। मुंबई में 1367 उपनगरीय सेवाओं के साथ लगभग 35 लाख यात्रियों और 37 स्टेशनों को सेवा प्रदान करने वाली दुनिया में सबसे बड़े उपनगरीय नेटवक ाटदं में से एक है। इसीलिए, इसे मुंबई महानगर की जीवन रेखा (लाइफलाइन) कहा जाता है। पश्चिम रेलवे मुंबई शहर के साथ-साथ बढ़ी है और मुंबई शहर पश्चिम रेलवे के साथ विकसित हुआ है। पश्चिम रेलवे की मुंबई उपनगरीय प्रणाली चर्चगेट से दहानू रोड तक फैली हुई है। पश्चिम रेलवे का वर्तमान क्षेत्राधिकार 6 मंडलों में है जिनमें मुंबई सेंट्रल, वडोदरा, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और रतलाम में कुल 6519.36 रूट किलोमीटर का रेल नेटवर्क है।

पश्चिम रेलवे हमेशा नये और अनूठे तरीकों से यात्रियों की सुविधा के लिए प्रगति और विकास की दिशा में अग्रसर है। पश्चिम रेलवे अपने सम्माननीय यात्रियों को स्टेशन पर और साथ ही ट्रेन में सुखद यात्रा का अनुभव सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री ए के गुप्ता के ऊर्जावान नेतृत्व में, नये मार्गों, दोहरीकरण, गेज परिवर्तन, स्टेशन पुनर्विकास, समर्पित (डेडिकेटेड) फ्रेट कॉरिडोर, विद्युतीकरण कार्य, आदि जैसे कई ढांचागत (इंफ्रास्ट्रक्टरल) कार्यों को उल्लेखनीय प्राथमिकता दी गई है, जो युद्ध स्तर पर पूरे हो गये है और साथ ही पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना और सपना, कदम दर कदम आकार ले रहा है और अगले कुछ वर्षों में यह एक वास्तविकता होगी। मुंबई – अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआरसी) परियोजना पूरी तरह से यात्रा के अनुभव को एक और नुमाइशी स्तर तक ले जायेगी।

गुजरात के सूरत जिले में उधना को जोड़ने वाले 307 किलोमीटर विद्युतीकृत डबल लाइन के उद्घाटन से, उत्तर महाराष्ट्र में जलगाँव जिले में, जो 22 जुलाई 2018 को प्रारंभ किया गया था, वर्षों से उपेक्षित इस रेल खंड के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में विकास के लिए एक संजीवनी प्राप्त हुई है। इस नई लाइन के फलस्वरूप उपलब्धियों की श्रृंखला में एक नया अध्याय जोड़ा गया है, जिससे पश्चिम रेलवे के बुनियादी ढांचे में वृद्धि हुई है। उधना – जलगाँव खंड के दोहरीकरण और विद्युतीकरण के कार्यान्वयन ने यात्रियों को, साथ ही बड़े पैमाने पर माल ढुलाई को भी लाभान्वित किया है। मध्य प्रदेश में गुजरात और धार में छोटा उदेपुर के बीच एक नई ब्रॉड गेज लाइन का काम चल रहा है, जिसमें अलीराजपुर तक 48.55 किलोमीटर नई लाइन का एक भाग पूरा हो चुका है और इसे यात्री और माल गाड़ियों के आवागमन के लिए खोला गया है। इसके साथ, इस लाइन पर अलीराजपुर तक के क्षेत्र वडोदरा के साथ जुड़ जाएंगे, जहां मुंबई – अहमदाबाद / दिल्ली मुख्य लाइन है। यह अलीराजपुर के आसपास के आदिवासी क्षेत्रों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगा। इसके अलावा, महेसाणा – वडनगर (33.43 किलोमीटर) का काम पूरा हो चुका है और यात्री रेल सेवाएं इन वर्गों पर शुरू हो गई हैं। इस क्षेत्र के लोगों को वडोदरा तक और आगे परिवहन के तेज और सुविधाजनक साधन के कारण बेहतर नौकरी और शिक्षा के अवसरों तक पहुंच प्राप्त होगी।

अन्य परियोजनाओं में पाटन – भीलड़ी नई लाइन शामिल है, जो उत्तर पश्चिम रेलवे और उत्तर रेलवे के विभिन्न गंतव्यों के लिए सबसे कम दूरी का मार्ग प्रदान करती है| अहमदाबाद और हिम्मतनगर खंड (87.5 किलोमीटर) पर गेज परिवर्तन का काम, जो अहमदाबाद – हिम्मतनगर – उदयपुर का हिस्सा है, सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। पूरे भारत के बाजारों में उपज के तेजी से आवागमन के साथ कृषि उत्पादन भी लाभान्वित होगा। बाज़ार और उपभोक्ताओं तक बेहतर पहुंच के कारण अलीराजपुर के विश्व प्रसिद्ध नूरजहाँ आम के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। ये परियोजनाएँ न केवल इन क्षेत्रों के अलग-थलग स्थानों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, बल्कि इनसे स्थानीय अर्थव्यवस्था और आसपास के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सुधार होगा।

भारत दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा – स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का घर है और आने वाले हजारों पर्यटक इस प्रतिष्ठित स्मारक का आनंद और नर्मदा घाटी की प्राकृतिक और मनमोहक सुंदरता का आनंद उठाते हैं। यह न केवल भारत से, बल्कि दुनिया भर में, पहले से ही एक विशाल प्रशंसक आधार तैयार कर रहा है।भारतीय रेलवे ने केवड़िया में एक नए विश्वस्तरीय और अति आधुनिक रेलवे स्टेशन का शिलान्यास करके इस इंजीनियरिंग चमत्कार को भारत के रेल मानचित्र पर लाने के लिए एक अहम कदम आगे बढ़ाया है। प्रस्तावित केवडिया रेलवे स्टेशन ’स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से सिर्फ 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस प्रतिष्ठित प्रतिमा पर आने वाले पर्यटकों के लिए पहुँचने का एक आसान रेल-हेड पॉइंट के रूप में पूरा करेगा।

कई परियोजनाओं को जारी रखते हुए, पश्चिम रेलवे ने अहमदाबाद के रतलाम मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों के लिए वडोदरा शहर के लिए एक अतिरिक्त स्टेशन के रूप में सेवा करने और वडोदरा स्टेशन की भीड़ को कम करने के लिए एक नए उपग्रह स्टेशन के रूप में वडोदरा जंक्शन के पास एक फ्लैग स्टेशन छायापुरी स्टेशन विकसित किया है। 17 दिसंबर, 2019 से छायापुरी स्टेशन पूरी तरह से चालू हो जाएगा और पश्चिम रेलवे द्वारा 13 महत्वपूर्ण ट्रेनों को डायवर्ट करने का फैसला किया गया है, जिन्हें छायापुरी स्टेशन पर रोका जाएगा। अन्य प्रमुख अवसंरचनात्मक परियोजनाएं जो पाइपलाइन में हैं, वह सूरत स्टेशन की ओवरहालिंग और पुनः विकास का काम एक मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्टेशन हब (एमएमटीएच) है और स्टेशन के एयर स्पेस में 300 कमरे के होटल के विकास के साथ-साथ एक विश्व स्तरीय स्टेशन के रूप में गांधीनगर कैपिटल स्टेशन का पुनर्विकास हैं|

पश्चिम रेलवे पर “राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान”, भारत का पहला डीम्ड श्रेणी के तहत रेल विश्वविद्यालय शुरू हुआ है।रेल और परिवहन विश्वविद्यालय की स्थापना का विचार माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित किया गया था, और माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा इस योजना का निर्देशन किया गया। यह कल्पना 5 सितंबर, 2018 को शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर एक वास्तविकता बन गई, जब राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (एनआरटीआई) ने दो पूरी तरह से आवासीय स्नातक पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारत के 20 राज्यों में से 103 छात्रों के पहले बैच के लिए अपने प्रवेश-द्वार खोले। यह संस्थान परिवहन से संबंधित शिक्षा, बहु-विषयक अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रदान करने और रेलवे और परिवहन क्षेत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ-इन-क्लास पेशेवरों के संसाधन पूल बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।

पश्चिम रेलवे व्यापार करने की पारदर्शिता, दक्षता और आसानी के लिए खुद को रेलवे बोर्ड के निर्देशों के अनुरूप बना रही है। यूटीएस ऐप को टिकट बुकिंग काउंटर पर नहीं जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए लॉन्च किया गया है और साथ ही यह डिजिटल इंडिया की पहल का एक प्रमुख केंद्र है। “रेल मदद” को शिकायतों के निवारण के लिए एक नये पोर्टल के रूप में पेश किया गया है। ‘रेलवे में सभी संस्थाओं द्वारा यात्रियों को बिल जारी करने के लिए बड़े पैमाने पर ’नो-बिल-नो पेमेंट’ अभियान शुरू किया गया है, जिससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिल सके। हमारे बहुमूल्य यात्रियों के लिए एक विस्तारित यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए, पश्चिम रेलवे ने 19 “उत्कृष्ट” रेक चालू कर दिये ह,ठ जो वर्ष 2018-19 के दौरान भारतीय रेलवे में ऐसे रेकों की सबसे अधिक संख्या है।। प्रोजेक्ट “स्वर्ण” के तहत, राजधानी एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस के 8 रेक अपग्रेड किए गए। इसके अलावा, एक “अनुभूति कोच” जैसी सुविधाओं के साथ शताब्दी एक्सप्रेस में संलग्न किया गया है। पश्चिम रेलवे द्वारा अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व करते हुए अपने विभिन्न रेल विरासत संग्रहालयों के माध्यम से इस खजाने की निधि को संरक्षित करने के लिए हर सम्भव कदम उठाये जा रहे है। चाहे धरोहर इमारतें हो, या अतीत के लोकोमोटिव, कलाकृतियां, आदि| इस दिशा में, पश्चिम रेलवे ने पातालपानी और कालाकुंड के बीच 150 साल पुरानी मीटर गेज लाइन को एक धरोहर खंड घोषित किया है तथा पातालपानी और कालाकुंड स्टेशनों के बीच एक विशेष विरासत ट्रेन शुरू की है। यह हेरिटेज ट्रेन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के बीच कुछ ही समय में लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी है। इसी तरह, पश्चिम रेलवे हरित ऊर्जा और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपायों को अपना रहा है। पर्यावरण पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के बिना एक स्वच्छ और स्थायी सार्वजनिक परिवहन के लिए योगदान करने के लिए इस दिशा में कई उपाय अपनाए गए हैं। इस पहल को पूरा करने के लिए पश्चिम रेलवे में सोलर पैनल, बॉटल क्रशिंग मशीन, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट, एलईडी लाइट्स का प्रावधान आदि स्थापित किए गए हैं। स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत मिशन भी उपरोक्त पहल के साथ जुड़ जाता है। 374 स्टेशनों को अनुबंध के आधार पर साफ किया जा रहा है, जिनमें से 128 स्टेशन मैकेनाइज्ड सफाई के तहत हैं और 246 स्टेशन सेमी मैकेनाइज्ड/मैनुअल सफाई के तहत हैं और बाकी सभी विभागीय रूप से साफ किए जाते हैं। पश्चिम रेलवे के 64 स्टेशनों का सौंदर्यीकरण स्थानीय कलाकारों, स्वयंसेवकों या निजी समूहों की भागीदारी के माध्यम से किया गया है।

पश्चिम रेलवे ने हमेशा “ग्राहकों की सेवा एक मुस्कान के साथ” के मूलमंत्र में विश्वास किया है तथा यह आने वाले वर्षों में अपने सभी प्रयासों में संरक्षा, सेवा और गति के तीन बुनियादी सिद्धांतों को अमल में लाते हुये हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगी।

(लेखक पश्चिम रेल्वे के जनसंपर्क अधिकारी हैं)