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मठ अखाड़ों की करोड़ों-अरबों की संपत्ति से हिंदुओं के कौनसे हित पूरे हो रहे हैं?

महंत नरेंद्र गिरि से कई गुना बेहतर है… किसी गंदे मोहल्ले की मस्जिद का मौलवी… जो 4 शादियां करके 40 बच्चे पैदा करके दीन का विस्तार करता है और आजीवन इस्लाम का प्रचार भी करता है

(कटुसत्य है लिखूंगा अवश्य… चाहे कितनी ही आलोचना हो)

-महंत नरेंद्र गिरि की मौत हो चुकी है । उन्होंने सुसाइड किया है… सुसाइड से पहले सुसाइड नोट बनाया और सुसाइड नोट में जो लिखा है वही बात उन्होंने अपने एक वीडियो में भी बयान की है। ये सुसाइड के बयान का वीडियो भी प्रयागराज पुलिस के पास मौजूद है । यानी सुसाइड नोट पूरी तरह से प्रामाणिक है । महंत नरेंद्र गिरी के द्वारा लिखा गया है और उसमें लिखी गई बातें सत्य हैं ।

-लेकिन सवाल ये है कि आखिर महंत नरेंद्र गिरि को बदनामी का डर क्यों था ? उन्होंने अपने सुसाइड नोट में स्पष्ट लिखा है कि आनंद गिरि किसी महिला के साथ उनकी फोटो या वीडियो वायरल करवाने की धमकी दे रहा था और इसी बदनामी के डर से उन्होंने आत्महत्या कर ली

-यानी मामला सीडी का है… बात बहुत स्पष्ट है महंत नरेंद्र गिरि भी किसी मामूली सीडी के चलते तो सुसाइड करेंगे नहीं । जरूर उसमें ऐसा कुछ ना कुछ होगा… जिसके चलते उन्होंने बदनामी के डर से सुसाइड का फैसला लिया

-इस संबंध में प्रयागराज के कई लोगों से मेरी बात हुई है जिन्होंने बाघम्बरी मठ में फैले भ्रष्टाचार की कहानियां बताई हैं । बाघम्बरी मठ 300 साल पुराना मठ है और इसको राजाओं और बादशाहों से भारी मात्रा में धन और संपदा मिलती रही है । इसी वजह से इसकी संपत्ति अरबों रुपयों में है ।

-इतना ही नहीं प्रयागराज के लेटे हुए हनुमान या बड़े हनुमान जी का मंदिर भी बाघम्बरी मठ के अंतर्गत ही आता है और प्रयागराज में इस मंदिर पर मंगलवार और शनिवार को हजारों लाखों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं । इस मंदिर पर भी हर महीने लाखों करोड़ों रुपयों का चढ़ावा चढ़ता है और इस चढ़ावे को लेकर भी आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर आरोप लगाए थे ।

-यानी एक तरफ हिंदू धर्म के लोग गरीबी की वजह से धर्मांतरित हो रहे हैं ईसाई या फिर मुसलमान बने जा रहे हैं और दूसरी तरफ इस तरह के मठ हैं जिसमें इतनी अकूत संपदा और धन है कि वहां ऐशो आराम के साधनों पर और मठ की गद्दी पर कब्जा जमाने के लिए जूतमपैजार हो रही है । ये दशा है हिंदू धर्म की । और जब इस देश में गरीब हिंदू ईसाई या मुसलमान ही बन जाएगा तो आज नहीं कल कोई ना कोई मुहम्मद गोरी और महमूद गजनबी इस देश पर हमला करके ऐसे भ्रष्ट और धन संपदा संपन्न मठों को लूटकर इस्लाम का खजाना (बैतुलमाल) संपन्न करेगा ।

-आनंद गिरि जिस पर महंत नरेंद्र गिरि को सुसाइड के लिए मजबूर करने के आरोप लग रहे हैं वो खुद ऑस्ट्रेलिया, दुबई, अरब, अमेरिका के टूर पर जाता था । वो मुंबई के ताज होटल में ठहरता था और उसको ताज में भी सबसे वीआईपी कमरा हासिल होता था । आखिर इतनी अय्याशियों के लिए उसे पैसा कहां से मिल रहा था ? ये हिंदू समाज का ही पैसा है जिस पर ये महंत संत अय्याशियां कर रहे हैं । बीएमडब्ल्यू गाड़ियों से अपना काफिला निकाल रहे हैं ।

– इतना ही नहीं आनंद गिरि पर आस्ट्रेलिया में दो महिलाओं को छेड़ने का आरोप भी लगा जिसके लिए उसको जेल भी हुई और बाद में महंत नरेंद्र गिरि ने ही उसको छुड़वाया भी था । सोचिए… किस तरह के लोग आपके मठ मंदिरों पर आसीन हो चुके हैं । अगर आनंद गिरि पर इतना गंभीर आरोप लगा तो उसको ऑस्ट्रेलिया की जेल से छुड़वाने की आवश्यकता क्यों थी ? भरी जवानी में सन्यास आनंद गिरि ने अपनी मर्जी से नहीं लिया था । वो चाय की दुकान पर काम करता था… घर से भाग चुका था… 10 साल की उम्र से ही नरेंद्र गिरि ने ही उसको पाल पोसकर बड़ा किया था और फिर वो संन्यासी बन गया ।

-अब मेरा देश के सभी साधु संतों और महंतों से एक ही सवाल है कि वो देश और समाज तथा हिंदू धर्म के लिए क्या कर रहे हैं ? उन्होंने कितने लोगों की घरवापसी करवाई है ? कितनी हिंदू महिलाओं की लव जिहाद से रक्षा की है ? उनके पास अरबों की संपत्ति है और उन्होंने इस संपत्ति से हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कितने लोगों को तैयार किया है ?

-हमारे हिंदू धर्म के लोगों में भी कमियां हैं उन्हें लगता है कि शादी ना करना ही सबसे बड़ा त्याग और बलिदान है । इसीलिए वो ऐसे संतों महंतों के चरणों पर मत्था टेकते हैं जो अविवाहित होते हैं । भले ही जनता के आंखों से छुपकर वो कितनी ही अय्याशियां कर रहे हैं ।

-मैंने श्री वाल्मीकि रामायण पढ़ी है और उसमें महर्षि वाल्मीकि ने राजा दशरथ की 300 रानियां बताई हैं क्या राजा दशरथ धर्मात्मा नहीं थे ? ब्रह्मऋषि विश्वामित्र जब कठोर तपस्या कर रहे थे उस वक्त भी उनकी सैकड़ों रानियां वन में उनके साथ थीं और वो उनसे समागम भी कर रहे थे क्योंकि इस दौरान उनके बच्चे भी हुए । ये बात भी श्री वाल्मीकि रामाण में है तो क्या विश्वामित्र धर्मात्मा नहीं थे क्या उनमें शक्ति नहीं थी ? उन्होंने तो भगवान श्री राम और लक्ष्मण को भी युद्ध का प्रशिक्षण दिया ।

-कहने का मतलब बिलकुल स्पष्ट है कि पारदर्शी जिंदगी जियो… अब मन में तो स्त्री का आकर्षण लिए घूम रहे हैं और ऊपर से भगवा वस्त्र धारण कर लिए हैं तो इससे कोई लाभ नहीं है । इससे हिंदू धर्म का बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है । इससे तो अच्छा होता कि नरेंद्र गिरी ग्रहस्थ होते चार शादियां करते और कम से कम 20 बच्चे पैदा करते तो ये हिंदू धर्म की ज्यादा बड़ी सेवा होती ।

-सोने चांदी के सिंहासनों पर बैठे हुए ये नकली महंत महात्मा ही हिंदू धर्म के पतन की असली वजह हैं। मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि चढ़ावा और चंदा सिर्फ उसी को दें जो वाकई में हिंदू धर्म के लिए कुछ कर रहा है इसके अलावा किसी को एक पैसा भी देने की आवश्यकता नहीं है । मंदिर के पुजारियों को स्वयं पैसा दें… अपने हाथ से पैसा दें और उसी मठ मंदिर में दान दें जो हिंदू धर्म के प्राण प्रण से लगा हुआ । बाकी आप जो पैसा फालतू के मठों में दे रहे हैं वो एक दिन इकट्ठा होकर इतना ज्यादा हो जाएगा कि तैमूर और गोरी-गजनबी जैसे इस्लामिक लुटेरे को भारत पर हमला करने के लिए प्रेरित ही करेगा । इसलिए आपसे अनुरोध है कि दान उसी को करें जो योग्य हो ।

(लेखक विभिन्न घनाक्रमों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं और हिंदू हितों से जुड़े विषयों पर लिखते है- उनके विचार वाट्सप पर पाने के लिए इस नंबर 7011795136 से उन्हें मिस काल दें)