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जिसकी कलम ने आसाराम को बेनकाब कर जेल भिजवाया

नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में आसाराम को अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी है। लेकिन उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में नरेंद्र यादव नाम के उस पत्रकार की भी बहुत बड़ी भूमिका है, जो किसी प्रलोभन में नहीं आए और निडरता से रिपोर्टिंग की। आसाराम को सजा सुनाए जाने के बाद बीबीसी से बातचीत में शाहजहांपुर के पत्रकार नरेंद्र यादव ने इस पूरी प्रक्रिया में उनके सामने आने वाली तमाम बाधाओं और चुनौतियों पर विस्तार से बात की।

उनका कहना था, ‘20 अगस्त 2013 को पहली बार ये मामला संज्ञान में आया था। चूंकि पीड़ित लड़की शाहजहांपुर की रहने वाली थी और मैं यहां धर्म-कर्म बीट कवर करता था इसलिए इसकी जानकारी के लिए मुझे जिम्मेदारी दी गई।’

पैकेट में भिजवाए गए पांच लाख

नरेंद्र यादव बताते हैं कि पहले सामान्य तौर पर इसे एक क्राइम की खबर की तरह हमने किया लेकिन जब मामले की गहराई तक पहुंचा और आध्यात्मिक चोले में लिपटे इतने ‘खतरनाक’ व्यक्ति का पता चला तो हमने इसे मिशन बना लिया।

वह बताते हैं, ‘फिर तो जैसे जुनून सवार हो गया कि शाहजहांपुर की बेटी को न्याय दिलाकर रहूंगा, चाहे जो हो।’

नरेंद्र यादव बताते हैं कि ऐसी तमाम कोशिशें हुईं जिससे मैं इस खबर से दूर हो जाऊं लेकिन वे लोग सफल नहीं हो पाए।

नरेंद्र यादव एक घटना का जिक्र करते हैं, ‘मुझे कुछ गुंडों ने पहले धमकाने का काम किया, फिर मेरे ऊपर तंत्र-मंत्र करके डराने की कोशिश की गई। उसके बाद एक दिन मेरे पास नारायण पांडे नाम का एक व्यक्ति आया। उसने एक पैकेट देते हुए कहा कि बापू ने आप के लिए ‘सद्बुद्धि का प्रसाद’ भेजा है। आप इसे पढ़िए, रखिए और बापू के पक्ष में खबर लिखिए। यदि ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा।’

नरेंद्र यादव बताते हैं कि पैकेट खोलकर देखा तो उसमें एक ऋषि प्रसाद पत्रिका थी, कुछ अखबार थे जिसमें अशोक सिंघल और तमाम बड़े नेताओं के बयान आसाराम के पक्ष में छपे थे।

नरेंद्र यादव ने इस बात को बहुत गंभीरता से नहीं लिया लेकिन अगले कुछ दिन में उन पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला हो गया।

वह बताते हैं, ‘फिर कुछ दिन बाद ही एक व्यक्ति मेरे पास पांच लाख रुपए लेकर आया और बोला कि ये टोकन मनी है, आगे और मिलेगा।’

वह कहते हैं, ‘मैंने उससे कहा कि आसाराम ने एक अपराध नहीं किया है बल्कि कई अपराध किए हैं। मेरी कलम न तो झुकेगी, न रुकेगी और न ही बिकेगी। और मैंने उसे गाली देकर भगा दिया।’

‘मुझ पर और खतरा बढ़ गया है’

नरेंद्र यादव शाहजहांपुर में दैनिक जागरण अखबार में काम करते हैं और उस वक्त भी वहीं काम कर रहे थे। वो बताते हैं कि अखबार ने उन्हें बहुत समर्थन दिया और पूरी छूट दी सही खबर छापने की।

उनके मुताबिक कई अखबारों के रिपोर्टर इस बात से हैरान भी रहते थे कि उन्हें ही सारी खबरें क्यों मिल रही हैं, ‘लेकिन सच्चाई ये है कि मैंने उस मामले से जुड़ी हर सही बात छापने की कोशिश की, भले ही मुझे उसका खामियाजा भुगतना पड़ा हो।’

नरेंद्र यादव बताते हैं कि उन्होंने करीब 287 खबरें इस मामले में लिखीं और सबका बहुत प्रभाव पड़ा। हालांकि इस दौरान उन पर न सिर्फ जानलेवा हमला हुआ बल्कि आसाराम के तमाम समर्थकों ने उनका बहिष्कार किया और बापू को निर्दोष बताते हुए मुझ पर गलत खबरें लिखने का आरोप लगाया।

नरेंद्र यादव पर 2014 में हुए जानलेवा हमले के बाद प्रशासन ने उन्हें सुरक्षा दे रखी है, बावजूद इसके वो कहते हैं, ‘आसाराम के शिष्यों का इतना ज्यादा ब्रेन वॉश किया गया है कि वो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। जहां तक मेरा प्रश्न है, तो मुझ पर खतरा और बढ़ गया है।’

(साभार: bbc.com)