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क्यों ज़रुरी था लव जिहाद पर कानून!

लव जिहाद। क्या ये दोनों बातें एक साथ हो सकती हैं? सवाल है कि यह लव(प्यार) के लिए जिहाद है या जिहाद के लिए लव किया जा रहा है। प्रेमियों को दुनिया हमेशा से जालिम लगती रही है, पर लव जिहाद का मामला प्रेम का वैसा सीधा सादा मामला नहीं लगता, क्योंकि प्रेम हो जाता है। वह किसी मकसद के लिए किया नहीं जाता। चर्चा गरम है कि लव जिहाद की घटनाएं अपराध हैं या इन्हें अपराध बनाने की कोशिश हो रही है? दूसरे मुद्दों की तरह यह मुद्दा भी धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता की बहस में तब्दील हो चुका है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ पहला हल्ला बोल दिया है। उनकी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की पहल करने का साहस दिखाया है। साहस इसलिए कि इससे पहले इसकी सिर्फ बातें हो रही थीं। पहली बार इसे कानूनी जामा पहनाया गया है। इससे संबंधित कानून के अध्यादेश को योगी मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मंजूरी दे दी, परंतु पूरे अध्यादेश में लव जिहाद का कहीं नाम नहीं। इससे सरकार ने साफ कर दिया है उसके लिए यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कथित लव जिहाद के जुड़े एक फैसले में कहा कि दो वयस्क लोगों को जीवन साथी चुनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन और आजादी के अधिकार में निहित है। अदालत ने यह भी कहा कि वह दो वयस्कों को हिंदू-मुस्लिम के रूप में नहीं देखती। उन्हें अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने और जीवन यापन का अधिकार है। हाईकोर्ट ने इससे पहले शादी के लिए धर्म परिवर्तन को गलत ठहराने वाले पहले के फैसले को खराब कानून बताया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से कोई असहमति नहीं होनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि पहले भी कोई असहमति थी, मगर एक सवाल अनुत्तरित रह गया। क्या जीवन साथी चुनने के अधिकार के लिए एक को (अधिकांश मामलों में लड़की को) अपने धर्म को तिलांजलि देना ही एकमात्र विकल्प है। प्रेम और विवाह में धर्म परिवर्तन की बात कहां से आ जाती है। इसी धर्म परिवर्तन की प्रवृत्ति को रोकने और अंतरधाॢमक विवाह को विघ्न रहित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है। इसमें अंतर धाॢमक विवाह पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।

मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और कर्नाटक की सरकारें लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी कर रही हैं। जो लोग इस कानून के पक्ष में हैं उनका कहना है कि लव जिहाद के नाम पर गैर मुस्लिम लड़कियों को प्रेम और शादी के जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। उनके मुताबिक इन शादियों का मकसद अंतरधाॢमक विवाह नहीं, बल्कि उसकी आड़ में धर्म परिवर्तन है। सो इसे रोकने के लिए कानून बनाना जरूरी हो गया है।

वहीं इस कानून के खिलाफ लोगों का कहना है कि लव जिहाद एक काल्पनिक अवधारणा है। इसका मकसद लोगों को अपनी इच्छा से जीवन साथी चुनने के संवैधानिक अधिकार से वंचित करना है। ये लोग कह रहे हैं कि क्या अब सरकार बताएगी कौन किससे शादी करे या न करे। अब चूंकि यह कानून भाजपा शासित सरकारें बना रही हैं इसलिए आलोचकों के लिए सहूलियत भी है, क्योंकि इनकी नजर में भाजपा जो करती है, वह सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के मकसद से ही करती है। कुल मिलाकर असली मुद्दा पीछे चला गया है। या कहें कि उसने नया रूप धारण कर लिया है। यह रूपांतरित मुद्दा यही है कि आप भाजपा के समर्थन में हैं या विरोध में। समर्थन में है तो आप सांप्रदायिक होंगे ही और विरोध में हैं तो आप धर्मनिरपेक्ष होंगे ही। ‘लिबरल’ बिरादरी के लोगों के नथुने इस समय गुस्से से फूले हुए हैं।

तो जरा शुरू से शुरू करते हैं। इस मुद्दे को पहली बार न तो भाजपा या उसके समर्थक किसी संगठन ने उठाया था और न ही इसकी शुरुआत किसी भाजपा शासित राज्य से हुई। सितंबर, 2009 में केरल की कैथोलिक बिशप काउंसिल ने आरोप लगाया कि साढ़े चार हजार गैर मुस्लिम लड़कियों को टार्गेट करके उनका धर्म परिवर्तन कराया गया। फिर 10 दिसंबर, 2009 को केरल हाई कोर्ट ने कहा कि 1996 से यह सिलसिला चल रहा है। इसमें कुछ मुस्लिम संगठन शामिल हैं, जो अच्छे घर की हिंदू और ईसाई लड़कियों को टार्गेट करते हैं। अदालत ने कहा कि सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाए। उसके बाद जुलाई, 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता वीएस अच्युतानंदन ने जो आरोप लगाया, वह अभी तक किसी भाजपा नेता ने नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि शादी के नाम पर गैर-मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाकर केरल को मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की कोशिश हो रही है। इस बयान के बाद भाजपा ने पूरे मामले की एनआइए जांच की मांग की और कांग्र्रेस ने मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना। दिसंबर 2011 में कर्नाटक की कांग्र्रेस सरकार ने विधानसभा में 84 लापता लड़कियों का मुद्दा उठा। लड़कियों की बरामदगी के बाद 69 ने कहा कि उन्हें बरगलाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।

साभार- दैनिक नईदुनिया से