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ज़ी समूह ने जीती बड़ी जंग

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) के लिए यह काफी राहत भरी खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिकी निवेश फर्म ‘इनवेस्को‘ (INVESCO) ने ‘जी एंटरटेनमेंट‘ के शीर्ष प्रबंधन को हटाने की मुहिम अब छोड़ दी है। इनवेस्को ने Zee के बोर्ड से एमडी और सीईओ पुनीत गोयनका और दो अन्य निदेशकों को हटाने और छह नए स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करने पर मतदान करने के लिए शेयरधारकों की एक असाधारण आम बैठक (EGM) आयोजित करने के लिए कहा था।

‘इनवेस्को’ ने 23 मार्च को कहा है कि उसने छह स्वतंत्र निदेशकों को बोर्ड में शामिल करने के लिए एक ‘असाधारण आम बैठक’ नहीं बुलाने का फैसला किया है। यानी वह अब इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं करेगी। इसके साथ ही लगभग 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ‘ZEE‘ में सबसे बड़े शेयरधारक ‘इनवेस्को’ ने ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया‘ (SPNI) के साथ ‘ZEE‘ के प्रस्तावित विलय के लिए अपना समर्थन दोहराया।

दरअसल, जी एंटरटेनमेंट की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर ‘इनवेस्को’ ने निवेशक के खिलाफ एंटरटेनमेंट कंपनी द्वारा दायर याचिका में न्यायमूर्ति जीएस पटेल द्वारा पारित निषेधाज्ञा के आदेश को चुनौती दी थी। फिलहाल मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में था। 22 मार्च को बंबई हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने इनवेस्को के पक्ष में फैसला देते हुए इनवेस्को की ईजीएम बुलाने की मांग को कानूनी रूप से सही करार दिया था।

‘इनवेस्को’ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है,‘हम बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले से खुश हैं, जिसे हम भारत में शेयरधारकों के अधिकारों की एक महत्वपूर्ण पुन: पुष्टि के रूप में देखते हैं। यह फैसला भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिए वरदान है और शेयरधारक लोकतंत्र (shareholder democracy) की जीत है।’

हमने ‘ईजीएम’ की मांग करने और ‘जी’ के निदेशक मंडल में छह स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करने के अपने इरादे की घोषणा की थी। ‘जी’ ने सोनी के साथ एक विलय समझौता किया है। हमें विश्वास है कि इस सौदे में अपने मौजूदा स्वरूप में ‘जी’ शेयरधारकों के लिए काफी संभावनाएं हैं। हम यह भी मानते हैं कि, विलय की समाप्ति के बाद, नई संयुक्त कंपनी के बोर्ड का पर्याप्त रूप से पुनर्गठन किया जाएगा, जो कंपनी के बोर्ड की निगरानी को मजबूत करने के हमारे उद्देश्य को प्राप्त करेगा। इन घटनाक्रमों और लेन-देन को सुविधाजनक बनाने की हमारी इच्छा को देखते हुए हमने 11 सितंबर 2021 की अपनी मांग के अनुसार ईजीएम को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।