ऑस्कर अवार्ड्स के थिएटर में प्रस्तुति देने वाली पहली भारतीय कलाकार बनीं श्रेया घोषाल

श्रेया को मैं पहली बार शायद 2004-2005 में मिली थी। उन दिनों मैं डैलस के एक रेडियो स्टेशन में रेडियो जॉकी थी। श्रेया की “देवदास” फिल्म के गाने सबकी जुबां पर थे और श्रेया उन दिनों देवदास की सफलता पर ही अपने रास्ते बना रहीं थीं। डैलास के उस कॉन्सर्ट में उनके साथ महालक्ष्मी अय्यर (बंटी और बबली की गायिका) थीं, कैलाश खेर थे और बहुत सारे दूसरे कलाकार भी थे जो अपनी-अपनी राहें बना रहे थे। अपनी माँ के साथ बिलकुल साधारण कपड़ों में रेडियो स्टेशन आयीं श्रेया मुझे उतनी ही सरल लगीं जितना उनका गायन है। वे इतनी सहज और सरल थीं कि मेरी 3 साल की बेटी को अपनी गोद में लेकर उसके साथ देवदास का अपना ही गाना गाया। सब कलाकार ऐसे नहीं होते और उनकी यही सरलता मुझे भा गयी।

तब से कई बार अमेरिका में उनके कॉन्सर्ट को कवर करने का मिला और हर बार उनकी मनमोहक और मीठी आवाज़ ने पहली वाली शर्मीली और सरल श्रेया का स्थान मेरे दिल में और पुख़्ता किया। श्रेया से पहली मुलाकात के लगभग 20 वर्षों बाद उनको एक बार फिर से सुनने का मौका मिला और वो भी तब, जब वो इतिहास बना रहीं थीं।

श्रेया, हिंदी सिनेमा की वो पहली कलाकार हैं जिन्होंने हॉलीवुड के खूबसूरत और प्रतिष्ठित डॉल्बी थिएटर में 23 जून 2024 को परफॉर्म किया। श्रेया इन दिनों अपने शो “”All Hearts Tour”r” के लिए अमेरिका की यात्रा पर हैं। 2001 में बने डॉल्बी थिएटर के लिए सिर्फ इतना ही परिचय काफी होगा कि हर वर्ष ऑस्कर अवार्ड्स यहीं दिए जाते हैं। बाकी जाने कितने ही शानदार टेलीविज़न अवार्ड्स और मशहूर हस्तियों ने यहाँ परफॉर्म किया पर अब तक किसी भी भारतीय आर्टिस्ट ने यहाँ अपना शो नहीं किया था।

श्रेया का यहाँ परफॉर्म करना न सिर्फ उनका सम्मान है बल्कि ये सम्मान है भारतीय संगीत का और उनके दर्शकों का। ये सम्मान एक दिन में हासिल नहीं होता ख़ासकर जब इतनी कम उम्र में सफलता मिल जाए। आसान नहीं होता संजोये रखना अपने सुरों को, संभालना अपने दम्भ को, परिवार को और सबसे मुश्किल होता है इस तिलस्मी दुनिया में अपना जादू क़ायम रख पाना! श्रेया ने ये सब बख़ूबी किया और क्या खूब किया। उन्होंने अपने सुरों को उतनी जगह दी जितनी उसकी ज़रूरत थी पर साथ में उन्होंने अपना घर बसाया, एक माँ बनीं पर वो बेटी भी बनी रहीं, एक बेहतर इंसान भी बनी रहीं और माँ बनने के बाद जब वो फिर से इस सुरीली दुनिया में लौटीं, उन्होंने साबित किया कि वे पहले से भी बेहतर हो रही हैं।

उनकी आवाज़ थोड़ी सी और पक गयी है जिसे हम कहते हैं और परिपक्व हो गयी है, उम्र का वज़न उनके शरीर और सुरों दोनों पर पड़ा है किसे देखकर मुझे गुलज़ार साहेब का लिख याद आता है कि “अब ज़रा सी भर गई हो जो तुम, ये वजन तुम पर अच्छा लगता है”

एक सिंगर होना और एक परफ़ॉर्मर होना, दो अलग-अलग बातें हैं। हम कितना भी अच्छा खाना क्यों न बनाते हों, उसे ख़ूबसूरती से परोसना भी उतना ही ज़रूरी है। पहले की श्रेया बहुत हद तक सिर्फ एक सिंगर थीं पर अब वो परफ़ॉर्मर हो गयीं हैं। अपने पहले सेशन में उन्होंने कुछ हिंदी के, कुछ तमिल के और कुछ बंगाली गाने गाए। संगीत के सात सुरों को उन्होंने हर भाषा में इतनी सुन्दरता से गढ़ा कि वे सब गाने भाषा से परे हो गए और सब के सब दिल में उतर गए। अपनी ऑडियंस के दिल में उतरना किसी कलाकार की सबसे पहली ज़रूरत होती है जो उन्हें बख़ूबी आता है। इसके बाद उन्होंने छोटा सा ब्रेक लिया और उनकी जगह भरने के लिए स्टेज पर आये किंजल चटर्जी।

किंजल पिछले कुछ समय से श्रेया के साथ स्टेज पर गाते रहें हैं पर ये कुछ अलग मौका था जब उनको भी अकाडेमी अवार्ड्स वाले डॉल्बी थिएटर में गाने का सौभाग्य मिला। थिएटर के शानदार साउंड सिस्टम ने और वहां के माहौल ने उनके मन में और उत्साह भर दिया और उन्होंने भी स्वर्गीय केके, सुखविंदर और उस्ताद नुसरत साहेब के कई कठिन गाने बड़ी मधुरता और सरलता से गाए और फिल्म इंडस्ट्री में अपने आने की सिर्फ आहट ही नहीं दी बल्कि उन्होंने ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाया है और मुझे उम्मीद हैं की जल्दी ही वे हिंदी फिल्म जगत के नए सितारे बनेंगे। यकीनन किंजल सिर्फ एक खाली जगह को भरने के लिए आये थे पर जब उन्होंने स्टेज छोड़ा उनका मन खचाखच भरे ऑडिटोरियम की तालियों और प्रशंसा से भर गया होगा।

किंजल के बाद श्रेया फिर से स्टेज पर आयीं और किंजल के अनुरोध पर उनका स्वागत इस बार हाल के हर व्यक्ति ने खड़े होकर और अपने सेल फ़ोन की बत्तियाँ जला कर किया। झिलमिलाते सेल फ़ोन के जुगनुओं के बाग़ीचे में एक सुरीले सितारे सी “श्रेया” फिर उभरीं और इस बार उन्होंने सबके अंधेरों में अपने संगीत का उजाला भर दिया! जैसा श्रेया ने स्टेज पर आते ही कहा कि ये सेगमेंट उनके दिल के सबसे करीब है क्योंकि ये सेगमेंट था हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बेहतरीन म्यूजिक डायरेक्टर्स , गीतकारों और सिंगर्स को याद करने का और वो तो इसमें डूबीं ही, सारे दर्शक भी इसमें डूब गए। लता, मुकेश और रफ़ी साहेब के सदाबहार नगमों से थिएटर पिघलता रहा।

उसके बाद उन्होंने कुछ ख़ूबसूरत ग़ज़लें भी गायीं और जब उन्होंने “हीरामंडी” का नाम लिया तो लोग खुश होकर तालियॉँ बजाने लगे! मैंने श्रेया को कितनी ही बार परफॉर्म करते देखा है पर ये शायद उनके जीवन का सबसे बेहद सुरीला पल था जिसे न सिर्फ उन्होंने जिया पर हम सबने भी जिया और भरपूर जिया। ये ख़ुशी और संतोष उनके चेहरे पर भी साफ़ झलक रहा था। मुझे नहीं पता की वो पहले भी पियानो बजातीं थीं या नहीं पर इस सेगमेंट के कुछ गानों पर उन्होंने ख़ुद पियानों संभाला और अपने गीत और संगीत दोनों से सबका दिल जीतती रहीं।

जैसे खाने में होता है, पहले स्टार्टर, फिर मेनकोर्स और फिर स्वीट डिश, ठीक उसी तरह अपने संगीत को भी ऐसे ही परोसा श्रेया ने अपने चाहने वालों के लिए! अपने हल्के-फुल्के गानों से शुरुआत कर पहले उन्होंने सबका ध्यान खींचा, फिर अपनी मेलोडी से सबके दिल और दिमाग को तृप्त किया और अब स्वीट डिश की बारी थी। इस बार “चिकनी चमेली”, “डोला रे डोला” और “मेरे डोलना सुन” जैसे सदाबहार गीतों की बारी थी और एक के बाद एक वो गाने गातीं रहीं और लोग झूमते और नाचते रहे।

रचना श्रीवास्तव की अन्य रिपोर्ट 

मैंने श्रेया को इससे पहले कभी नाचते नहीं देखा, हालांकि वो नाच रहीं थी पर अपने इस प्रयास में वो बहुत सफल नहीं थीं और नाचते-नाचते वो खुद भी हँसने लगतीं थीं कि ये मैं क्या कर रही हूँ। सही भी है कि हम लता मंगेशकर से तो ये उम्मीद कभी नहीं कर सकते थे वो “बाँहों में चले आओ” पर झूमते हुए गाएं और श्रेया उन्हीं की परम्परा को आगे बढ़ाने वाली गायिका हैं। हालाँकि अब समय अलग है क्योंकि अब ये सब, एक शो का हिस्सा होता है। यकीनन जब श्रेया, टेलर स्विफ्ट और दूसरी स्थापित गायिकाओं को परफॉर्म करते हुए देखती होंगीं तो उनसे भी थोड़ी प्रेरणा तो लेती ही होंगी और जैसा मैंने पहले भी कहा था की अब वे सिर्फ एक सिंगर नहीं हैं, वे एक परफ़ॉर्मर बन चुकी हैं, जिसकी सरलता और मधुरता के लोग कायल हैं और उनसे थोड़ी चपलता की भी उम्मीद रखते हैं।

और बस इसी हँसी-ख़ुशी के बीच 23 जून 2024 की एक सुरमयी रविवार को डॉल्बी थिएटर में एक इतिहास बना और “राग-श्रेया” संम्पन हुआ!

इससे पहले की मैं अपने रिपोर्टिंग को विराम दूँ, श्रेया का ये कॉन्सर्ट भले ही मनोंरजन के लिए हो पर इससे होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा “Shankara Eye Foundation” को जाएगा जो पिछले कई वर्षों से भारत में शानदार काम कर रहे हैं और Vision 2023 के तहत उनका लक्ष्य है कि वे करोड़ों लोगों की आँखों की रौशनी लौटा सकें। Krishnamurthy Muralidharan (Executive Chairman, Shankara Team) और Anju Desai (Board Member) के साथ पूरी Shankara team को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ और साथ ही इस कार्यक्रम के प्रमुख कर्ता-धर्ता Intense DMV Entertainment के मनीष सूद और दीपा शाहनी को इस शानदार आयोजन और उपलब्धि के लिए बधाई।

रचना श्रीवास्तव अमेरिका में रहतीं हैं और वहां होने वाली गतिविधियों पर हिंदी मीडिया के लिए लिखती रहती हैं।