मकर सक्रांति का पर्व हमारी सनातन पंरपरा में दान-धर्म का प्रतीक है और इस अवसर पर हम कुछ न कुछ दान देकर समाज के प्रति अपना अहोभाव व्यक्त करते हैं। मुंबई के लॉयंस क्लब ऑफ वेस्टर्न के सदस्यों ने मकर सक्रांति के इस पर्व पर अपने सदस्यों के साथ इसी भावना के साथ मुंबई से 80 किलोमीटर दूर वानगाँव के जवार, विक्रमगढ़, जिला- पालघर के पास स्थित आदिवासी आश्रमशाला (श्रीमती पार्वती जसवाल पाठक विद्यालय) के वनवासी बच्चों के बीच जाकर उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी।
अपने बचपन का स्कूल बचाने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी
लॉयंस क्लब और श्री भागवत परिवार ने वनवासी बच्चों के चेहरे को दी मुस्कान
कार्यक्रम में लॉयंस क्लब के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लॉयन डॉ. ख्वाजा मुदस्सर मुख्य अतिथि के रूप में व लॉयन मनोज बाबुर विशेष अतिथि के रुप से उपस्थित थे। ये कार्यक्रम लॉयन श्री सत्यनारायण पाराशर के लगातार प्रयासों से संभव हो सका। इस अवसर पर लॉयन्स क्लब के अध्यक्ष श्री जयंती भाई गाँधी ने गीत प्रस्तुत कर सभी छात्र छात्राओं व उपस्थित लोगों में जोश भर दिया। कार्यक्रम में लॉयन श्री नटवर बंका एवँ श्रीमती गायत्री बंका भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुंबई के समाजसेवी एवँ कल्याणमस्तु संस्था के अध्यक्ष श्री नीलेश भाई शाह एवँ उनके सहयोगी श्री जयेश भाई संघवी ने संस्था की श्रीमती इन्दिरा बेन जयंत भाई भंसाली की ओर से 11 हजार की सहायता राशि भेंट की।
600 वनवासी बच्चों वाले इस विद्यालय में ऐसे बच्चे पढ़ने आते हैं जिनके माँ-बाप के पास पहनने को चप्पल और जूते तक नहीं होते हैं। बच्चों के पास पहनने के लिए कपड़े और पढ़ाई का खर्च चलाने की व्यवस्था तक नहीं होती है। लेकिन इस स्कूल के प्राचार्य श्री वाटस सर जो खुद इसी विद्यालय से पढ़कर निकले हैं, अपने प्रयासों से स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए भाग-दौड़ करते रहते हैं।
मुंबई के श्री भागवत परिवार ने इस स्कूल को गोद ले रखा है और श्री भागवत परिवार के मार्गदर्शक मुंबई के अध्यात्म जगत के जाने पहचाने चेहरे श्री वीरेन्द्र याज्ञिक के प्रयासों से मुंबई का संपन्न समाज इस विद्यालय के बच्चों के लिए कुछ न कुछ सेवा उपलब्ध कराता रहता है। विद्यालय में पानी की टंकी से लेकर बच्चों के भोजन, उनके रहने की सुविधाओं आदि की व्यवस्था याज्ञिकजी के प्रयासों से लगातार हो रही है।
याज्ञिकजी के प्रयासों से ही लायंस क्लब मुंबई के लॉयंस क्लब ऑफ वेस्टर्न के सदस्य बच्चों के बीच जाते रहते हैं, उनके साथ समय बिताते हैं और जो भी संभव होता है सहायता उपलब्ध कराते हैं।
याज्ञिक जी के प्रयासों से इसी विद्यालय के परिसर में एक सर्वसुविधा युक्त अस्पताल की व्यवस्था की गई है, जिसका लाभ आसपास के 15 से 20 किलोमीटर के वनवासी लोग उठा रहे हैं। सेवा भाव से भरी हुई डॉ. समृध्दि सप्ताह में तीन दिन यहाँ पूरे दिन रहकर सभी मरीजों की जाँच करके दवाईयाँ देती है। इन लोगों से दवाई और ईलाज का कोई पैसा नहीं लिया जाता है। क्लब की ओर से स्वास्थ्य सहायता के तहत स्कूल के 600 छात्रों और आस-पास रहने वाले आदिवासी लोगों को इलाज के लिए दवा की व्यवस्था की। स्कूल में रहने वाले 400 बच्चों के लिए 700 किलो चावल की व्यवस्था की। विद्यालय की 23 वनवासी छात्राओं को 23 साइकिलें प्रदान की। आदिवासी लड़कियों और शिक्षिकाओं के लिए सेनेटरी पैड उपलब्ध कराए। बच्चों को फलों का वितरण किया।