Saturday, September 30, 2023
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प्रधानमंत्री ने कहा, स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति के लिए भारत आएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार, 23 जनवरी को स्विटजरलैंड के दावोस में आयोजित हो रही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 48वीं वार्षिक बैठक के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि दावोस में भारत की शुरुआत 1997 में हुई थी, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा दावोस पहुंचे थे. तब से लेकर अब तक भारत की जीडीपी 6 गुना बढ़ चुकी है.

ज्ञात रहे एचडी देवेगौड़ा के दो दशकों बाद नरेंद्र मोदी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जाने वाले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. प्रधानमन्त्री ने इस मंच से अपना भाषण हिंदी में किया.

मोदी ने आगे कहा, उस वक्त इस मंच का आदर्श-वाक्य था ‘बिल्डिंग दि नेटवर्क सोसाइटी’. आज हम नेटवर्क सोसाइटी ही नहीं बल्कि बिग डेटा, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के युग में जी रहे हैं.

आज दो दशकों के बाद हमारा समाज एक जटिल नेटवर्क से बंधा है, 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन या हेरी पोटर का नाम सुना था. इंटरनेट पर आपको इमेजोन सर्च करने पर जंगल और नदियों के बारें में जानकारी मिलती थी. उस वक्त ट्वीट करना चिड़ियों का काम था. देखा जाए तो उस युग में भी दावोस अपने समय से आगे था और आज भी आगे है.

मोदी ने कहा कि आज डेटा एक बड़ी संपदा है. जो डेटा पर अपना काबू रखेगा वही विश्व में अपनी शक्ति कायम रख सकेगा.

उन्होंने कहा कि भारत, भारतीयता और भारतीय धरोहर का प्रतिनिधि होने के नाते, मेरे लिए इस फोरम का विषय जितना समकालीन है, उतना ही समयातीत भी है. हजारों साल पहले भारतीय चिंतकों ने कहा था ‘वसुधैव कटुंबकम’ यानी पूरी दुनिया एक परिवार है, यह भावना आज भी हमारी दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए सार्थक और प्रांसगिक है. मोदी ने विश्व की चुनौतिओं का जिक्र किया तो उसके उपाय भी सुझाए और इसके लिए शास्त्रों को उद्धरित भी किया.

विश्व के समक्ष तीन खतरों का जिक्र करते हुए मोदी ने दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन को पहला खतरा बताया तथा आतंकवाद को दूसरा बड़ा खतरा बताया. तीसरे खतरे के रूप में विकसित देशों का आत्मकेंद्रीत होते जाना बताया.

भारतीय लोकतंत्र पर बोलते हुए उन्होंने कहा, लोकतंत्र राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवन शैली है. धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और कई तरह की विविधता को लिए समाज के लिए लोकतंत्र महज राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवनशैली की एक व्यवस्था है.

उन्होंने अपने उद्बोधन में विश्व को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा, स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति के लिए भारत आएं. आज भारत एक भरोसेमंद, टिकाऊ, पारदर्शी और प्रगतिशील देश है.

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