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मोदीजी के जापान दौरे से भारत को क्या मिला

ई दिल्ली: भारत और जापान ने आपस में 75 अरब डालर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया है. यह सबसे बड़े द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था समझौतों में से एक है. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि जापान के साथ इस तरह की सुविधा से रुपये की विनिमय दर तथा पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी. इस समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और प्रगाढ़ होगा तथा इसमें विविधता बढ़ेगी. जापान की यात्रा पर गये प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं के बीच शिखर स्तर की बातचीत के बाद भारत-जापान की साझा सोच पर जारी वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘वित्तीय तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के दृष्टिकोण से जापान और भारत की सरकारें 75 अरब डालर के द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली समझौते (बीएसए) पर सहमति का स्वागत करती हैं.’’
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वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘अदला-बदली समझौते से भारत विदेशी विनिमय और पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता आएगी. इस सुविधा के तहत भारत के लिये जापान से उक्त राशि के बराबर विदेशी पूंजी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.”

दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की संभावना को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने पिछले चार साल में हासिल उल्लेखनीय उपलब्धियों की समीक्षा की.

भारत और जापान ने सोमवार को आपस में 75 अरब डालर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया.

विदेशी मुद्रा अदला-बदली समझौते के बारे में आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘जापान के 75 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की द्विपक्षीय अदला-बदली की यह व्यवस्था दुनिया में इस तरह के सबसे बड़े समझौतों में एक है.”

उन्होंने कहा, ‘‘जापान के अनुरोध को स्वीकार करते हुए भारत बुनियादी ढांचे के लिये पांच साल या उससे अधिक की न्यूनतम परिपक्वता अवधि के विदेशी वाणिज्यक कर्जों के मामले में ‘हेजिंग’ यानी संबंधित विदेशी कर्ज को लेकर विदेशी विनिमय दर के वायदा और विकल्प बाजार में सौदे करने की अनिवार्यता को खत्म करने पर सहमत हो गया है.”

दोनों नेताओं ने समृद्ध भविष्य के लिये भारत-जापान आर्थिक भागीदारी की संभावना के सही मायने में हकीकत रूप देने को लेकर भारत की युवा आबादी के लाभ तथा जापान की पूंजी एवं प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल को लेकर प्रतिबद्धता दोहरायी.

संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘भारत ने मेक इन इंडिया, कौशल भारत और स्वच्छ भारत मिशन जैसी रूपांतरणकारी पहल में जापान के मजबूत समर्थन का स्वागत किया.”

दोनों नेताओं ने येन में कर्ज के लिये दस्तावेज के अदाल-प्रदान, मुंबई-अहमदाबाद उच्च गति की रेल समेत विभिन्न परियोजनाओं में प्रगति की समीक्षा की और संतोष जताया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने सोमवार को पाकिस्तान से कहा कि वह मुंबई और पठानकोट आतंकवादी हमलों के अपराधियों को इंसाफ के कठघरे में लाए.

वक्तव्य में कहा गया है कि उन्होंने अल कायदा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और उनसे संबद्ध संगठनों समेत विभिन्न समूहों से आतंकवादी खतरों के खिलाफ सहयोग मजबूत करने का प्रण किया.
दोनों नेताओं ने आतंकवादियों की पनाहगाहों, बुनियादी ढांचा नष्ट करने, आतंकवादी नेटवर्क और वित्तपोषण के चैनल तोड़ने और आतंकवादियों के सरहद पार आवागमन रोकने का सभी देशों का आह्वान किया.

भारत के आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी) मंत्रालय और कनागावा प्रीफेक्चरल गवर्नमेंट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के दौरान सहयोग पत्र (एमओसी) पर हस्ताक्षर हुए. यह सहयोग-पत्र एक दूसरे एमओसी का पूरक है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देता है.

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, ‘‘यह सहयोग पत्र हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और ऑफिस ऑफ द हेल्थकेयर पॉलिसी ऑफ द कैबिनेट ऑफिस ऑफ जापान एवं जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच हुए एक सहयोग पत्र का पूरक होगा.

इसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन में चिन्हित क्षेत्रों जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, गैर-संचारी बीमारियों की देखभाल, साफ-सफाई, स्वच्छता, पोषण एवं बुजुर्गों की देखभाल जैसे क्षेत्रों में सहयोग का बढ़ावा देना है.”

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ वार्षिक द्विपक्षीय सम्मेलन के बाद मोदी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भारत और जापान के बीच बिना सहयोग के, 21वीं सदी एशियाई सदी नहीं हो सकती.”

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