Saturday, September 30, 2023
spot_img
Homeधर्म-दर्शनआलोक पर्व: दीवाली मनाने का औचित्य:आज के संदर्भ में

आलोक पर्व: दीवाली मनाने का औचित्य:आज के संदर्भ में

“कई बार आई- गई यह दीवाली,
मगर तम जहां था, वहीं पर खड़ा है।”
-यह कथन आज के संदर्भ में भी शतप्रतिशत सही है। प्रतिवर्ष दीवाली के दिन हमसब अपने -अपने घरों में छोटे -छोटे दीयों को जलाकर, गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा कर दीवाली मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में 14 वर्षों तक वनवास की सजा खुशी-खुशी भुगतकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम दुराचारी रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो उनके आगमन की खुशी में समस्त अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों में घी के दीये जलाकर पहली बार दीवाली मनाई थी।वह खुशी अयोध्या की प्रजा के जन-मन की खुशी थी जो उनके राजा श्रीराम चन्द्र जी के प्रति थी।राजा राम के अयोध्या वापस आने की थी। वहीं अयोध्यापति राजा राम ने भी अपनी प्रजा के विचारों का अभिवादन करते हुए दीवाली मनाई थी। उनको भी उस वक्त अपने कर्तव्य बोध की खुशी थी। प्रतिवर्ष दीवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय का पावन संदेश है। अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का द्योतक है। दुराचार पर सदाचार की जीत का पैगाम है।हमारे अपने और समाज के नकारात्मक विचारों पर सकारात्मक विचारों के प्रभाव की संदेशवाहिका है दीवाली।

दीवाली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है लेकिन जिस अंधकार को दूर करने के लिए यह प्रकाश और जगमगाते दीपों का त्यौहार मनाया जाता है , उसका उद्देश्य आज भी पूरा नहीं हो सका है। इस त्यौहार के मनाने का आज के संदर्भ में एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि हम अपने घर में दीवाली की खुशियां मनाएं! अपने -अपने घरों में गणेश -लक्ष्मी की विधिवत पूजा कर सुख -शांति और समृद्धि लाएं !आनंद के साथ व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन जिएं। यथासंभव अपनी ओर से सभी को खुशहाल बनाएं! वास्तव में, अंधकार हमारे मन में है। अज्ञानता हमारे मन में है। गलत विचार हमारे मन में हैं। इसलिए इस वर्ष दीवाली के शुभ अवसर पर अपने गलत विचारों को मन से निकालने का संकल्प लें! मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम दुराचारी रावण का वधकर न केवल उसका अंत हमेशा हमेशा के लिए कर दिए अपितु यह भी संदेश दे दिए कि हम दीवाली के दिन देवों के देव गणेश की पूजा अवश्य करें! धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य करें लेकिन अपने आत्मविश्वास को मन, वचन और कर्म को संजोकर। अपने मन के अंदर में छिपे हुए अहंकार रूपी रावण का वधकर । कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्मा भगवान जगन्नाथ भी दीवाली के पवित्र अवसर पर यही पावन संदेश देते हैं। अपने भक्तों की भक्ति सहर्ष स्वीकार करते हैं जो अपने सभी प्रकार के अहंकारों का त्याग कर उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं। वे अपने जीवन के कुल 22 दोषों का त्याग कर देते हैं। जगन्नाथ जी को जो महादीप दानकर सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं।

आज तो पूरे विश्व में दीवाली मनाई जाती है ।भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दीवाली- संदेश में भी स्वदेशी दीवाली मनाने की अपील है। दीवाली में उपयोग की जानेवाली समस्त सामग्रियां भारतीय हों! कोई भी सामग्री विदेशी न हो,की अपील है।सच यह है कि आज के परिप्रेक्ष्य में दीवाली मनाने का औचित्य आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को हरप्रकार से साकार करना है जिसकी शुरुआत आइए हमसब इस वर्ष की दीवाली से करें, संकल्प पर्व के रूप में करें! दीवाली में पर्यावरण की सुरक्षा भी बहुत ध्यान रखने की जरूरी है ।ध्वनि प्रदूषण से लोगों को बचाने की जरूरत है । दीवाली के दिन हम कभी भी ऐसा न करें कि अपनी व्यक्तिगत खुशी के लिए सामाजिक हितों को नुकसान पहुंचायेंन ! आज के परिपेक्ष्य में दीवाली मनाने के संकल्प को सभी अपनाएं! आइए, आज दीवाली के पवित्र अवसर पर हमसब मिलकर भारत में आर्थिक समानता लाने का संकल्प लें

सृष्टि के आरंभ से ही लक्ष्मी और अलक्ष्मी के बीच संघर्ष चलता आया है और चलता रहेगा। सभी प्रकार के अंधकार अलक्ष्मी हैं और दीवाली के छोटे दीये का प्रकाश ही अष्ट महालक्ष्मी है।हमारी यह कोशिश होनी चाहिए जिस प्रकार एक छोटा -सा दीया अपनी छोटी -सी रोशनी से यथाशक्ति हमें प्रकाश देता है,हमें आंतरिक खुशी देता है ठीक उसी प्रकार हम भी दूसरों को खुशी दें। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में आर्थिक समानता के लिए संकल्पित हों! गणेश जी मोदक प्रिय हैं और मोदक हमारे कृषि प्रधान भारतवर्ष की विशिष्ट पहचान है। इसलिए किसानों की दीवाली उनके खेतों की फसल की तैयारी और होकर उसके घर आने पर मनाई जाती है। इसलिए हमारी दीवाली भारतीय दीवाली इस वर्ष होनी चाहिए।

(लेखक भुवनेश्वर में रहते हैं, वरिष्ठ साहित्यकार हैं व धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विषयों पर लिखते हैं)

image_print
RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार