Saturday, April 20, 2024
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सूचना देने में साफगोई और समझदारी दोनों जरूरी – मुख्य सूचना आयुक्त सरजियस मिंज

दिग्विजय कालेज में संपन्न राज्य स्तरीय आरटीआई कायर्शाला में प्रभावी मार्गदर्शन

राजनांदगांव। "जनता को सूचना तक पहुँच का अधिकार है। यह मौलिक और मानवाधिकार की तरह आधुनिक लोकतंत्र का एक बड़ा अधिकार है। सुशासन के स्वप्न को साकार करने और पारदर्शिता के साथ प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने में सूचना का अधिकार क़ानून एक प्रकाश स्तम्भ के समान है। जरूरत इस बात की है कि सूचना मांगने और देने दोनों में साफगोई और समझदारी के लिए जगह बने। वास्तव में आरटीआई इक्कीसवीं सदी की एक बड़ी क्रान्तिदर्शी पहल है।"

छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त श्री सरजियस मिंज ने उक्त विचार यहां शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय में सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधान और क्रियान्वयन पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में व्यक्त किया। वे मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। कार्यशाला के उदघाटन सत्र में अतिथि वक्ता के रूप में रायपुर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता और सिविल जज परीक्षा के मार्गदर्शक डॉ.अमिताभ मिश्रा ने प्रभावशाली ढंग से अनेक विशिष्ट जानकारियां दीं।

महाविद्यालयों के जन सूचना अधिकारियों, सहायक जन सूचना अधिकारियों और कार्यालयीन सहायकों के लिए आयोजित इस सफल व उपयोगी कार्यशाला में प्राचार्य डॉ.आर.एन.सिंह ने स्वागत उद्बोधन में कार्यशाला की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आरटीआई के जुड़े कर्तव्यों के निर्वहन के लिए सही, सटीक और समयोचित मार्गदर्शन देना की इसका उद्देश्य है। महाविद्यालय के सूचना अधिकार प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो एच.एस.भाटिया ने कायर्शाला की रूपरेखा बताई। कार्यशाला के दोनों सत्रों का प्रासंगिक और प्रभावी संयोजन सूचना के अधिकार के स्टेट रिसोर्स पर्सन डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने किया। स्टेट रिसोर्स पर्सन श्री आर.बी.सिंह और स्टेट रिसोर्स पर्सन श्री कैलाश शर्मा ने दूसरे सत्र में सूचना का अधिकार क़ानून के प्रावधानों और व्यावहारिक जिज्ञासाओं पर केंद्रित प्रेरक चर्चा की। प्रारम्भ में अतिथियों ने माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया। महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। पश्चात अतिथियों का स्वागत किया गया।

मुख्य अतिथि श्री सरजियस मिंज ने पावर पाइंट प्रस्तुतीकरण में सूचना की परिभाषा से लेकर उसके इतिहास और विकास के विभिन्न चरणों को भली भाँति समझाया। उन्होंने कहा कि उत्तरदायी प्रशासन समय की बड़ी मांग है। लोकतंत्र जनता की आशाओं को पूरा करने में तभी कामयाब हो सकता है जब उसे उसके हक़ और हिस्से की जानकारी सही ढंग से मिले। भष्टाचार मुक्त व्यवस्था के निर्माण में भी इस अधिनियम की अहम भूमिका है। व्यावहारिक शासन पद्धति के विकास और विरोधी हितोँ के बीच सामंजस्य के मद्देनज़र भी यह क़ानून मील के पत्थर के समान है। श्री मिंज ने आव्हान किया कि लोक प्राधिकारी अधिनियम को ठीक से पढ़ें, समझें और उसमें संशोधनों के प्रति जागरूक रहकर अपने संस्थान में सूचना की शक्ति को जनहित में पूरी दृढ़ता के साथ चरितार्थ कर दिखाएँ।

अतिथि वक्ता डॉ.अमिताभ मिश्रा ने सूचना की महता के साथ-साथ बताया कि जनता को संवैधानिक, विधिक, मानव अधिकारों के आलावा कई अधिकार प्राप्त हैं, किन्तु सूचना के अधिकार ने उसे अपने हक़ का एहसास कुछ अलग अंदाज़ में करवाया है। विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी इस क़ानून का मूल दर्शन है। सूचना को छुपाना, देने से मना करना, सूचना न देने का दबाव बनाना बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि सूचना देने को लेकर सकारात्मक रहना बेहद जरूरी है। आमंत्रित वक्ता श्री आर.बी.सिंह ने आरटीआई एक्ट की महत्वपूर्ण धाराओं को समझाते हुए उसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अत्यंत उपयोगी सुझाव दिए। श्री कैलाश शर्मा ने सूचना की ताकत का सुलझे हुए अंदाज़ में ज़िक्र करते हुए सूचना देने की समयावधि और उसके तौर तरीके कारगर सुझाव दिए। डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने कहा कि सूचना एक शक्ति है, पहेली और समाधान भी है। यह रहस्य के विरुद्ध खुलेपन का शंखनाद भी है। यह मज़बूत लोकतंत्र से राष्ट्र निर्माण का उद्घोष भी है। इसे सफल बनाना हर नागरिक की पहली बड़ी जिम्मेदारी है। प्रत्येक सत्र में अभ्यागतों के सभी प्रश्नों के अतिथि वक्ताओं स्पष्ट उत्तर दिए गए। महाविद्यालय परिवार द्वारा समस्त अतिथियों का शाल,श्री फल भेंट कर सम्मान किया गया।
शोध ग्रन्थ भेंट
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कायर्शाला के मुख्य अतिथि मुख्य सूचना आयुक्त श्री सरजियस मिंज को, संयोजन कर रहे डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज कृत मूकमाटी महाकाव्य पर केंद्रित अपना बहुचर्चित शोध ग्रन्थ भेंट किया। हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री मिंज ने डॉ.जैन को शुभमनाएं दीं। महाविद्यालय परिवार द्वारा समस्त अतिथियों का शाल,श्री फल भेंट कर सम्मान किया गया।

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