Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चालघुकथा संग्रह 'एलबम' पर चर्चा सम्पन्न

लघुकथा संग्रह ‘एलबम’ पर चर्चा सम्पन्न

अवसाद को दूर करता है एलबम- डॉ दवे

इन्दौर । जीवन में व्यक्ति कितना भी अवसाद ग्रस्त हो, पुराने एलबम को देखिए, वो अवसाद से बाहर ले आएगा, इसी तरह का यह शीर्षक और संग्रह है। यह संग्रह भारतीयता को मजबूत करता संग्रह है। इसी के साथ रचनाकारों को रूढ़ता की ओर नहीं जाना चाहिए, और कैनवास को बड़ा करना चाहिए।’ उक्त बात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे ने मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा गुरुवार को श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में लेखिका यशोधरा भटनागर के लघुकथा संग्रह ‘एलबम’ पर आयोजित चर्चा के दौरान कही।
इस आयोजन में अध्यक्षता वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी ने की व पुस्तक चर्चाकार के रूप में अन्तरा करवड़े एवं अदिति सिंह उपस्थित रहें व कार्यक्रम का संचालन प्रीति दुबे ने किया।

सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर आयोजन का आरंभ किया तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत नितेश गुप्ता, हरेश दवे, सुषमा व्यास राजनिधि, डॉ नीना जोशी व संदीप भटनागर ने किया।

स्वागत उपरांत शब्द स्वागत मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने किया। उन्होंने कहा कि ‘इस समय इन्दौर के हिन्दी के आकाश में लेखन की महक सुवासित हो रही है जो हिन्दी को समृद्ध बना रही हैं।’

लेखिका यशोधरा भटनागर ने पुस्तक के बारे में बताया औऱ साथ ही संग्रह से कम्मो कहानी का पाठ किया।
अन्तरा करवड़े ने कहा कि ‘पुस्तक में स्त्री की पीड़ा शामिल है। ऐसे दौर में जब क्षमताओं को सहला कर देख लें और जान लें कि रास्ता लंबा है पर स्त्री अकेली नहीं हैं। पुस्तक एलबम में सम्मिलित कहानियाँ भावनाओं की प्रबलता के साथ बुनी हुई हैं।’

चर्चाकार अदिति सिंह ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए बताया कि ‘लेखिका ने पुस्तक में सभी रचनाओं को पौधे की तरह सहेजा है, उसे समय दिया है और इसी तरह परिपक्वता के साथ बुनी एलबम की प्रत्येक रचना महत्त्वपूर्ण हो गई। और पुस्तक में प्रयुक्त रचनाओं में प्रयुक्त प्रेम पर समर्पण की भूमिका लिखी है लेखिका ने।

कार्यक्रम अध्यक्ष सतीश राठी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान कहा कि ‘यशोधरा जी की रचनाओं में भाषा की यह प्रांजलता, यह लालित्य, माटी की सौंधी खुशबू, प्रकृति की गंध, गुलमोहर के पेड़, पारिजात के पौधे, जल के सकोरे में कलरव करती चिड़िया और बहुत सारे प्रकृति के चित्र इन सबसे यह पुस्तक भरी पड़ी है। यही लेखिका की सफलता भी है। भाषा की यह समृद्धि इस पुस्तक को हिंदी के लालित्य से पाठक को परिचित करवाने का काम करती है । किसी भी भाषा का साहित्य उस भाषा को समृद्धि की ओर ले जाने का काम करता है और इस मायने में हिंदी भाषा को समृद्ध करने का काम यह पुस्तक कर रही है। इस महत्वपूर्ण आयोजन के माध्यम से हिंदी भाषा को प्रवाहमान करने का काम मातृभाषा उन्नयन संस्थान कर रही है, यह एक महत्वपूर्ण बात है और इसके लिए उनकी सराहना की जाना चाहिए।’

पुस्तक चर्चा कार्यक्रम में हरेराम वाजपेयी, पद्मा राजेन्द्र, राममूरत राही, दीपा व्यास, माधुरी व्यास, सुनीता श्रीवास्तव, आशा धाकड़, आदि शहर के सुधि साहित्यिकजनों सहित गणमान्य नागरिक सम्मिलित हुए।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार