Friday, April 19, 2024
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हर नवरात्रि पर सुबह 4 बजे 80 साल से यही आवाज़ गूँज रही है

बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा का आगाज महालया से ही हो जाता है। ये दिन सालों से एक पर्व की तरह मनाया जाता है। साल 1931 से आज तक महालया की वो सुबह वैसे ही मां की मीठी और सौंधी खूशबू से शुरू होती है। सुबह 4 बजे हर घर में रेडियो और टीवी ऑन हो जाता है। पिछले 8 दशक से यही परंपरा चली आ रही है।

आपको बता दें कि बंगाल कितना भी मॉर्डन हो गया है लेकिन आज भी महालया का क्रेज वैसे ही बरकरार है। 80 से ज्यादा सालों महालया का मतलब केवल बीरेंद्र कृष्ण भद्र की आवाज में महिषासुर मर्दनी का पाठ सुनना है। सुबह सुबह ठंडी हवा और काश फूल की सुगंध के साथ दादी अपने बच्चों को उठाती है और रेडियो पर मां दूर्गा का पाठ शुरू हो जाता है।

पितृपक्ष विसर्जन अमावस्या के दिन सुबह 4 बजे दुनिया तमाम बंगाली उठ जाते हैं और रेडियो ऑन करके वीरेंद्र भद्र की आवाज में महिषासुर के वध की कहानी सुनने लगते हैं।

महालया प्ले का इतिहास

1966 में रेडियो पर पहली बार महालया के दिन बीरेंद्र भद्र के प्ले महिषासुर मर्दनी को ब्रॉडकास्ट किया गया था। भारी भरकम आवाज में सुनाए जाने वाला दुर्गा मां के आगमन का प्रतीक बन गया है।

1905 में पैदा हुए बीरेंद्र भद्र प्ले राइटर, एक्टर और डायरेक्टर थे। संगीतकार पंकज मल्लिक के साथ बनाई गई उनकी ये कंपोजीशन महिषासुर मर्दनी ने उन्हें साहित्य और कला जगत के साथ-साथ धार्मिक रस्मो-रिवाज का हिस्सा बना दिया। हालांकि साल 1976 में बंगाली एक्टर उत्तम कुमार ने इसका रिसाइटेसन किया लेकिन उनका वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली और इसे पुराने फॉर्म में लौटना पड़ा। एक से डेढ़ घंटे के इस प्ले में मां चंडी का पाठ होता है।

बंगाली के बाद इस मेलोड्रामा को हिंदी में भी ट्रांसलेट किया गया। हर साल डीडी बांग्ला और रेडियो में सुबह सुबह महालय़ा सुनने के लिए बच्चे और बूढ़े तैयार हो जाते हैं। इस प्ले को महिषासुर मर्दिनी कहते हैं। जिस भारी आवाज से बीरेंद्र पूरे ड्रामा का व्याख्यान करते हैं, वह काबिल ए तारीफ है।

उनकी आवाज का दूसरा विकल्प नहीं मिला। देवी दुर्गा को किस तरह से आठ शक्तियां मिलीं और किस तरह से उन्होंने असूर का वध किया इसे ऐसे व्याख्यान किया गया है मानो साक्षात हो रहा है। साल 1991 में बीरेंद्र भद्र ने दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन आज भी उनकी आवाज महालाया के दिन गूंजती है। हर प्लैटफॉर्म पर आज भी महालया के दिन बस उनकी ही आवाज सुनाई देती है।

आप भी सुनिये इस गरज़दार खनकती आवाज़ में महिषासुरमर्दिनी

https://www.youtube.com/watch?v=JXDnhN-hPT4&t=171s

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