Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeआपकी बातसेना की साख में सुराख होना चिन्तनीय

सेना की साख में सुराख होना चिन्तनीय

कभी-कभी एक आवाज करोड़ों की आवाज बन जाती है। जब कोई मानव का दम घुट रहा हो और वह घुटन से बाहर आना चाहता है तो उसकी आवाज एक प्रतीक बन जाती है। ऐसा ही बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव और सीआरपीएफ के एक जवान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हुआ है। सुरक्षा बलों और सेना के जवान की मनोस्थिति को समझने एवं सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहराई को जानने के लिए यह पर्याप्त हैं। इन वीडियो ने पूरे देश में हलचल मचा दी है, अनेक सवाल खड़े कर दिये हैं, खराब खाने की पोल खोल दी है, नौकरी में एवं दी जाने वाली सुविधाओं में भेदभाव को उजागर कर दिया है। सीआरपीएफ के जवानों को न वेलफेयर मिलता है न समय से छुट्टियां। आर्मी में पेंशन है, हमारी पेंशन थी वो भी बंद हो गई। बीस साल बाद नौकरी छोड़कर जाएंगे तो क्या करेंगे? हमें पूर्व कर्मचारी की सुविधा नहीं, केंटीन की सुविधा नहीं, मेडिकल की सुविधा नहीं, जबकि ड्यूटी हमारी सबसे ज्यादा है। यह भेदभाव क्यों? जवानों को कई स्तर पर भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। इन स्थितियों से सैनिकों में बढ़ती उदासीनता और निराशा चिंताजनक है। अगर उनके काम करने की परिस्थितियों को सुधारा नहीं गया तो युवाओं में सशस्त्र बलों का आकर्षण कम होगा तो फिर इनमें भर्ती होने कौन जाएगा। बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों की व्यथा काफी शर्मसार कर देने वाली है। अगर सीमा सुरक्षा बल और भारतीय सेना में भ्रष्टाचार है तो फिर सरकार को उचित कदम उठाने ही होंगे। अन्यथा प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपना कोरा सपना ही बन कर रह जाने वाला है।

सेना में भर्ती होने वाले जवानों के पास भी करियर विकल्पों की कमी नहीं हैं। वे चाहे तो आरामदेह जिन्दगी वाली अच्छी नौकरी या छोटा-मोटा धंधा चला सकते हैं लेकिन उन्होंने देश की सुरक्षा का चुनौतीपूर्ण कार्यक्षेत्र चुना। इस चुनाव के पीछे उनमें देशभक्ति की भावना के साथ-साथ देश के लिये मर-मिटने की भावना रही है। अपनी जान हथेली पर रखकर सियाचिन और कारगिल की चोटियों पर शून्य से कम तापमान में ड्यूटी देकर राष्ट्र रक्षा का जुनून। युद्ध हो या फिर आतंकवाद से जूझने का मामला, जवानों ने अपनी शहादत देकर भारत मां की रक्षा की है। सेना के जवान युद्ध के दौरान और सीमाओं पर ही अपने आपको न्यौछावर नहीं करते बल्कि देश में कहीं पर भी किसी भी तरह की आपादा एवं संकट होता है जो यही जवान लोगों की जान बचाने के लिए अपना दिन-रात एक कर दिया था। अर्ध सैन्य बलों और सेना का जीवन चुनौतियों के बीच शानदार जिंदादिल तरीके से जीने का दूसरा नाम है। मुश्किल से मुश्किल समय में भी सेना के जवानों का मनोबल हिमालय से भी ऊंचा रहता है लेकिन अपवाद स्वरूप ऐसे मामले सामने आते हैं जो कहीं न कहीं भारतीय सेना का मनोबल तोड़ते हैं और सुरक्षा बलों की साख को कमजोर करते हैं। हम अपने घरों में निश्चिंत होकर सोते हैं क्योंकि हमारी रक्षा के लिए हमारे जवान देश की सरहदों पर खड़े हैं।

हर भारतीय को सीमा पर खड़े अपने जवानों पर गर्व है। उनकी मेहनत, देशभक्ति की भावना, जटिल से जटिल दौर में देश की रक्षा के अडिग रहने और कुर्बानी की दुहाई हर हिंदुस्तानी देता है। जवान की तस्वीर देख कर ही हममें देशप्रेम जाग उठता है। लेकिन जब ऐसा ही एक जवान ने बेबस होकर अपनी आवाज उठाए तो उसके अफसरों को अचानक एक शराबी, अनुशासनहीन, दिमाग से हिला हुआ आदमी दिखने लगा । तेज बहादुर यादव ने बड़ा रिस्क लेकर देश को बताया कि सीमा पर पोस्टिंग के दौरान किस घटिया स्तर का खाना मिलता है। उसकी इस बहादुरी के बदले तेज बहादुर की छवि को धुंधलाने में अधिकारियों ने कोई असर नहीं छोड़ी है।
देश ऐसे नहीं चल सकता, एक चिन्ताजनक स्थिति उभर कर सामने आयी है। भ्रष्टाचार सिर्फ घूस खाना ही नहीं है, बल्कि किसी का हक मारना भी भ्रष्टाचार है। ऐसी स्थिति में सेना ही नहीं सरकार के हर स्तर पर सरकारी पदाधिकारियों के रूप में एक नया वर्ग पनप रहा है। एक नया राष्ट्रीय रोग जन्म ले चुका है। प्रशासनिक अधिकारियों के रूप में एक नया तबका भ्रष्टाचार को नयी शक्ल में अंकुरित कर रहा है। यह वर्ग अपने आपको सबकुछ मानकर चलता है। यह वर्ग अपने नीचे काम करने वालों का शोषण करता है, उनके अधिकारों का हनन करता है। इसी से वर्ग संघर्ष की बुनियाद पड़ती है। तब सद्भावना और भाईचारे का वातावरण नहीं बन सकता। शोषण और शोषित के रहते तथा व्यापक अभावों के रहते हम राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण की कल्पना भी नहीं कर सकते, जहां अधिकार से पहले कर्तव्य को प्रधानता रहती है। इन अधिकारियों की विचित्र मानसिकता एवं कर्मचारियों के प्रति कर्तव्यहीनता ने दोनों सेना के जवानों को जहर उगलने पर विवश किया हो, पर इसे हमें चुनौती के रूप में स्वीकारना चाहिए। यह चुनौती दीवार पर लिखी हुई दिखाई दे रही है। चुनौतियों को स्वीकार कर हम भारतीयों को अपना होना सिद्ध करना होगा, एक संकल्प शक्ति के साथ चुनौतियांे और समस्याओं से जूझने के लिए।

unnamed

देश की सरहदों पर बीएसएफ की तैनाती होती है। फिलहाल बीएसएफ की 188 बटालियन है। 6,385 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का जिम्मा इन पर होता है। रेगिस्तानों, नदी-घाटियों, बर्फीले इलाकों में सुरक्षा का जिम्मा बीएसएफ के जवानों पर है। इतना ही नहीं बीएसएफ के जवान बॉर्डर पर तस्करी और घुसपैठ भी रोकते है। हर कुर्बानी करके ये आदर्श उपस्थित करते रहे हैं। करोड़ो देशवासियों के लिए ये अनुकरणीय बनें, आदर्श बने हैं। इन्होंने फर्ज और वचन निभाने के लिए अपना सब कुछ होम कर दिया है। ऐसे लोगों का तो मंदिर बनना चाहिए। इनके मंदिर नहीं बने, पर लोगों के सिर इनके सम्मुख श्रद्धा से झुकते हैं। लेकिन आज जिस तरीके से हमारा राष्ट्रीय चरित्र और सोच विकृत हुए हैं, हमारा व्यवहार झूठा हुआ है, चेहरों से ज्यादा नकाबें ओढ़ रखी है। उसने हमारे सभी मूल्यों को धाराशायी कर दिया है। राष्ट्र के करोड़ों निवासी चिंता और ऊहापोह की स्थिति में हैं। दीये की रोशनी मंद पड़ रही है तेल डालना जरूरी है।

सेना की साख में यह पहला सुराख नहीं है। समय-समय पर अनेक सुराख कभी भ्रष्टाचार के नाम पर, कभी सेवाओं में धांधली के नाम पर, कभी घटिया साधन-सामग्री के नाम पर, कभी राजनीतिक स्वार्थों के नाम पर होते रहे हैं। एक बार नहीं कई बार सुराख हो चुके हैं। कभी जीप घोटाला तो कभी घटिया कम्बल खरीदने पर खूब विवाद हुआ था। कभी बोफोर्स तोप खरीद घोटाला तो कभी ताबूत खरीद में हेराफेरी के मामले उछलते रहे हैं। दाल खरीद में घोटाला हुआ तो दूध पाउडर घोटाला, अंडा घोटाला, घटिया जूतों की खरीद घोटाला भी चर्चित हुआ। हर घोटाला हमें शर्मसार करता रहा है, कुछ समय की हलचलों के बाद फिर नये घोटालों की जमीन बनती गयी है। आखिर कब तक यह चलता रहेगा? मंथन करना होगा इस तरह के विष और विषमता को समाप्त करने का। ईमानदारी अभिनय करके नहीं बताई जा सकती, उसे जीना पड़ता है कथनी और करनी की समानता के स्तर तक। ऐसा करके ही हम जवानों के गिरते मनोबल को संभाल पायंेगे।

प्रेषकः

ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
25, आई0पी0 एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोन: 22727486 मोबाईल: 9811051133

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार