Wednesday, April 17, 2024
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राजभाषा हिन्दी है फिर सरकारी वेबसाइटों पर विदेशी भाषा अंग्रेजी को प्राथमिकता क्यों?

सेवा में,
स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र सरकार
नई दिल्ली 

सन्दर्भ: 2 मार्च 2014 का इसी विषय पर भेजा गया ईमेल 

विषय: राजभाषा हिन्दी है फिर सरकारी वेबसाइटों पर विदेशी भाषा अंग्रेजी को प्राथमिकता क्यों?

महोदय/महोदया, 
अत्यंत पीड़ा के साथ लिख रही हूँ कि भारत सरकार आज़ादी के सडसठ साल बाद भी राजभाषा के नाम पर लीपापोती कर रही है. आप से अनुरोध है कि आप  मंत्रालयों, विभागों में राजभाषा हिन्दी के अपमान, उसके साथ हो रहे छलावे  और सरकारी कामकाज में उसकी दुरावस्था को दूर करने हेतु ठोस पहल करें, हम सब आपके साथ हैं. हम भारत के असहाय नागरिक हैं जिन्हें उनकी अपनी भाषा में सेवाएँ, सुविधाएँ देने से वंचित रखा गया है और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है.

निम्नलिखित मुद्दों पर सरकारी मंत्रालय, विभाग, कम्पनियाँ, बैंक आदि नियम ना होने की दुहाई देकर राजभाषा के प्रयोग से बचते रहते हैं, अतः आपसे अनुरोध है कि स्पष्ट निर्देश जारी करें:

१. सभी सरकारी वेबसाइट अनिवार्य रूप से पूर्व निर्धारित रूप में (बाई डिफाल्ट) हिन्दी में खुलें  अथवा वेबसाइट पर दोनों भाषाएँ हिन्दी -अंग्रेजी के क्रम में एकसाथ प्रदर्शित हों अथवा वेबसाइट को दो हिस्सों में बाँटा जाए – बायीं ओर हिन्दी की सामग्री हो और दायीं ओर अंग्रेजी की. ऐसी द्विभाषी वेबसाइटों की उपलब्धता हेतु एक समय निर्धारित किया जाए और जो पालन ना करे उस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए. (विभाग इसके लिए सरकार से शक्तियों की मांग करे)

२. सभी सरकारी ऑनलाइन फॉर्म अनिवार्य रूप से हिंदी-अंग्रेजी के क्रम में एकसाथ द्विभाषी बनाए जाएँ, ऐसे फॉर्म को भरने हेतु उनमें हिन्दी कीबोर्ड जोड़ना अनिवार्य किया जाए और ऑनलाइन फ़ॉर्मों में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के ई-फ़ॉर्मों जैसी अंग्रेजी को प्राथमिकता देने की साजिश पर रोक लगाई जाए. (कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के इन फ़ॉर्मों में अंग्रेजी डिफॉल्ट भाषा सेट है और हिन्दी को चुनने का कहीं-२ विकल्प दिया गया है पर हिन्दी में फॉर्म भरने की मनाही है, अंग्रेजी में फॉर्म भरना अनिवार्य किया गया है)

३. सरकार द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल में अंग्रेजी के साथ हिन्दी  का प्रयोग अनिवार्य किया जाए ताकि जनता का सरकार जुड़ाव बना रहे.

आपके उत्तर की प्रतीक्षा करुँगी.

( मैंने आपको यह ईमेल 13 फ़रवरी 2015 को भेजा था और आज तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है पर अभी तक मुझे कोई उत्तर नहीं मिला है.)

 
भवदीय 
विधि जैन 
जी-12, हावरे फैंटेशिया 
वाशी रेलवे स्थानक के पास, सेक्टर 30 ए,
वाशी, नवी मुम्बई – 400703

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