Saturday, April 20, 2024
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Homeभारत गौरवनयी स्मार्ट सिटी ही नही,पुराने शहरो का भी होगा कायाकल्प

नयी स्मार्ट सिटी ही नही,पुराने शहरो का भी होगा कायाकल्प

(वीएनआई) कल्पना कीजिये एक 'नये' शहर की जहां आवाजाही बेहद आसान है, शहर साफ सुथरा है, 'ई' सुविधाये है, शहर मे जिंदगी आसान और बेहतर क्वालिटी की है और ऐसी ही तमाम सहूलियतें है , एक प्राचीन सांस्कृतिक महत्व वाली  नगरी मे,या एक पुराने शहर मे.  ये सपने है जिन्हे, जल्द ही हम भारत मे यथार्थ  रूप मे देखने की उम्मीद कर सकते है.   प्रधान नरेन्द्र मोदी आगामी 25  जून को राजधानी मे  आयोजित एक समारोह मे शहरी विकास की दो महत्वाकांक्षी परियोजनाओ के तहत 100 नए 'स्मार्ट ,  सिटी'  विकसित करने के साथ साथ 500 पुराने शहरों का  भी 'अटल मिशन' के तहत काया कल्प करने की इन दो परियोजनाओ  तथा ' 2022  तक सभी के लिये घर ' के एन डी ए सरकार की  तीन फ्लैगशिप परियोजनाओ की शुरूआत करेंगे . अटल मिशन् के तहत इन पुरने शहरो  की परंपरागत  सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ उन्हे अत्याधुनिक सुविधाओ से लैस किया जायेगा.वाराणसी, बोधगया, अजमेर और अमृतसर जैसे कई सांस्कृतिक और आध्यत्मिक महत्व वाले शहरों का भी  कायाकल्प कर उन्हे ‘स्मार्ट’  बनाए जाने की योजना है. इन शहरी विकास योजनाओ की विशेषता यह है कि इन से राज्यो को सक्रियता से जोड़ा जायेगा. अमरीका, इंग़लेंड, फ्रॉस जर्मनी,चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, कोरिया सहित 14  देशो और विश्व बेंक, एशियायी विकास बेंक, योरोपी्य यूनियन जैसे अंतर राष्ट्रीय संगठनो ने इन स्मार्ट श्हरो  के विकास मे भागीदारी की इच्छा जाहिर की है. राजस्थान,आन्ध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश ने इस संबंध मे अमरीका से करार भी करा चु्के है. 
 
 सरकार के समावेशी शहरी विकास के दृष्टिकोण की प्रतीक, स्मार्ट सिटी और अटल मिशन की  एक लाख करोड़ की दो परियोजनाओ को केन्द्रीय मंत्रिमंडल जहॉ पहले ही मंजूरी दे चुका है वही सभी के लिये वर्ष 2022 तक आवास दिये जाने की परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल् ने गत सप्ताह मंजूरी दी है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वैकैया नायडू के अनुसार प्रत्येक राज्य मे कम से कम एक स्मार्ट सिटी सरकार विकसित करेगी, सुत्रो के अनुसार बड़े राज्यो मे दस तक स्मार्ट सिटी तक बनाये जाने की योजना है. श्री नायडू के अनुसार स्मार्ट सिटी तथ अटल मिशन के लिये राज्यो को यह अधिकर दिया गया कि  वे बताये कि इस बारे मे उनकी प्राथमिकताये क्या है, ताकि उसके अनुरूप उनके सुझाव लिया जा सके.  चालीस लाख तक की आबादी  वाले शहर स्मार्ट सिटी के लिए पहली पसंद हैं, जबकि इससे बड़े शहरों के साथ सैटेलाइट शहरों को स्मार्ट बनाने की योजना है. वास्तुकारो का भी मत है कि बड़े शहरों पर जनसंख्या का भार कम करने और छोटे शहरों को पहली कतार में आगे लाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की स्मार्ट सिटी परियोजना एक आदर्श  विकल्प है. श्री नायडू के अनुसार विदेशी सरकारो और संस्थाओ मे इन योजनाओ को ले कर बहुत दिलचस्पी देखने को मिल रही है.
 
‘स्मार्ट सिटी मिशन’ एवं ‘अमृत’ का मुख्य उद्देश्य देश में बढ़ते शहरीकरण की चुनौती का पूरी मुस्तैदी के साथ सामना करना और शहरी विकास का लाभ गरीबों को भी देना है। शहरी स्थलों तक लोगों की ज्यादा पहुंच सुनिश्चि‍त करके और रोजगार अवसर बढ़ाकर इस लक्ष्य को पाने की कोशि‍श की जाएगी।. प्रयास होगा कि वहा  बुनियादी ढांचागत सुविधाएं इतनी अच्छी हों और प्रक्रियाएं इतनी सरल हों कि वहां किसी भी व्यवसाय अथवा बिजनेस को आसानी से शुरू करना तथा उसका संचालन करना संभव हो.
 
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी भारत में स्मार्ट सिटी बनाने की बात  चुनाव प्रचारों के वक्त से ही करते आए हैं और पिछले वर्ष सरकार बनने के बाद कैबिनेट ने स्मार्ट सिटी परियोजना को मंज़ूरी दे दी है और शहरी विकास मंत्री वैंकया नायडू ने इसे कार्य रूप देना शुरू कर दिया.केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के ड्राफ्ट प्रस्ताव के अनुसार आबादी के अनुसार स्मार्ट सिटी का निर्धारण किया जा रहा है.
 
सूत्रो का मत है कि शहरों के बुनियादी सुधार के लिए बने जेएनयूआरएम योजना की जगह नई योजना  यानि अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉरमेशन , संक्षेप में  'अमृत' पहली योजना से अलग है ,इसमे राज्यो को अधिक सक्रियता से जोड़ा गया है तथा उन्हे ज्यादा अधिकार दिये गये है, सूत्रो के अनुसार इस कार्यक्रम के लिये देश के 500 नगर पालिका प्रमुखो को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है ताकि इन शहरों  के विकास को ले कर इनके विचारो को भी समझा जाये. । .
 
 केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के मसौदे के अनुसार.स्मार्ट सिटी कैसी हो, उसकी एक झलक:
 
देश के सौ स्मार्ट शहरों में 24 घंटे बिजली और पानी की उपलब्धता.
ऐसा ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाए जाने की योजना है, जिससे 30 से 45 मिनट में शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक की दूरी तय की जा सके.
हर घर से अधिकतम 800 मीटर की दूरी पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध हो.
इन शहरों में स्मार्ट हेल्थकेयर सेवाओं और सरकारी कार्यों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम उपलब्ध हो.
स्मार्ट सीवेज-कूड़ा निस्तारण प्रणाली का इंतजाम.
सरकारी कामकाज को पारदर्शी रखने की योजना है ताकी निवेशकों में भरोसा जगे और व्यापार और रोज़ग़ार के मौके बढ़े.
स्मार्ट शहरों में स्मार्ट शिक्षा का प्रबंधआईटी नेटवर्क से जुड़े इन शहरों में जनप्रबंधन के लिए ज्यादा से ज्यादा तकनीक के प्रयोग की योजना है.
 
कैसे आगे बढ़ रही है योजना:
 
ख़बरों के मुताबिक राज्य सरकारों ने इस परियोजना की रिपोर्ट बनाने के लिए केंद्र से तकनीकी मदद और इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए वित्तीय सहायता मांगी है.
राज्यों का मत है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए मूल निवेश सरकार करे और उसे सुचारू ढंग से चलाने के लिए पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप के विकल्पों को तलाशा जाए.
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने राज्यों के सुझावों पर विचार के लिए अधिकारियों को ज़रूरी निर्देश दिए हैं. 
 
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा  है कि भारत अपने यहां स्मार्ट सिटी, औद्योगिक गलियारों व रेलवे के विकास के साथ मेक-इन-इंडिया और स्किल इंडिया अभियान में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की गहरी भागीदारी चाहता है।   कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस कदम से न केवल देश में अनेक शहरों की तस्वीर पूरी तरह से संवर जाएगी, बल्कि‍ देशवासियों को भी बिल्कुल नई तरह के शहरों में  जीवन का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा। स्माार्ट सिटी पहल के तहत वहां रहने वाले लोगों को प्रमुख बुनियादी ढांचागत सेवाएं सुलभ कराने पर ध्या्न केन्द्रित किया जाएगा।
जानकारों के मुताबिक स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जहां एक ओर परंपरागत पुराने शहरों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, वहीं इन शहरों के निकट ही स्मार्ट सिटी नाम से उपनगर विकसित किए जाएंगे। दूसरे शब्दों में, स्मार्ट सिटी दो तरह से बसाई जाएंगी। पहला, कुछ पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी में बदला जाएगा। दूसरा, पूरी तरह नए शहर बसाए जाएंगे, जो स्मार्ट सिटी के रूप में उभर कर सामने आएंगे। 
 
स्मार्ट सिटी में पेयजल, बिजली, कचरा प्रबंधन, सीवरेज, साइबर कनेक्शन, सड़क, रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट से संलग्नता, भवन निर्माण और आपदा प्रबंधन की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा वहां शिक्षा,स्वास्थ्य, मनोरंजन, सभी वर्ग के लिए आवास आदि सुविधाएं देने पर भी विचार किया जाएगा। दूसरे शब्दों में,स्माार्ट सिटी पहल के तहत वहां रहने वाले लोगों को प्रमुख बुनियादी ढांचागत सेवाएं सुलभ कराने पर ध्या्न केन्द्रित किया जाएगा।
 
स्मार्ट सिटी में समस्याओं के स्मार्ट सोल्यूशंस यानी हल भी उपलब्ध होंगे। लोगों को सूचनाएं प्रदान करने का बेहतरीन प्रबंधन, नागरिकों की भागीदारी, शि‍कायतों का ऑनलाइन निपटारा और सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी स्मार्ट सिटी में लोगों को सुलभ होगी। इसी तरह स्मार्ट मीटर्स एवं प्रबंधन, अपशि‍ष्ट जल का सौ-फीसदी प्रशोधन, पेयजल की क्वालिटी की निगरानी, ऊर्जा के अक्षय स्रोत, स्मार्ट पार्किंग, यातायात प्रबंधन की बेहतरीन प्रणाली इत्यादि हल भी स्मार्ट सिटी में लोगों को मयस्सर होंगे।इसके तहत शहरी नियोजन में नागरिकों की भागीदारी पर विशेष जोर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी से जुड़ी कार्य योजनाओं को विशेष उद्देश्य  वाहन (एसपीवी) के जरिए क्रियान्वित किया जाएगा। हर शहर के लिए एसपीवी बनाया जाएगा और राज्य‍ सरकारें एसपीवी के लिए संसाधनों का सतत प्रवाह सुनिश्चित करेंगी।
 
हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने अगले पांच वर्षों के दौरान दो नए शहरी मिशनों के तहत केन्द्र  सरकार की ओर से शहरी विकास पर तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने को अपनी स्वीककृति दी है। कैबिनेट ने 'स्माकर्ट सिटी मिशन' और '500 शहरों के कायाकल्प एवं शहरी रूपांतरण के लिए अटल मिशन (अमृत)' को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं पर क्रमश: 48,000 करोड़ रुपये व 50,000करोड़ रुपये का खर्च आएगा।  स्मार्ट सिटी बनने की आकांक्षा रखने वाले शहरों का चयन एक 'सिटी चैलेंज कंपटीशन' के जरिए किया जाएगा, जिसके तहत मिशन के लक्ष्यों  को पाने की दिशा में शहरों की क्षमता को वित्त  पोषण से जोड़ा जाएगा।    इसके तहत शहरी नियोजन में नागरिकों की भागीदारी पर विशेष जोर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी से जुड़ी कार्य योजनाओं को विशेष उद्देश्य  वाहन (एसपीवी) के जरिए क्रियान्वित किया जाएगा। हर शहर के लिए एसपीवी बनाया जाएगा और राज्य‍ सरकारें एसपीवी के लिए संसाधनों का सतत प्रवाह सुनिश्चित करेंगी।
 
प्राप्त जानकारी के अनुसार बजट आवंटन का 10 फीसदी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को बतौर प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो पिछले वर्ष के दौरान लागू किए गए सुधारों से जुड़ी उपलब्धि पर आधारित होगा। इस मिशन को ऐसे 500 शहरों एवं कस्बों  में क्रियान्वित किया जाएगा, जहां की आबादी एक लाख या उससे ज्यांदा है। राज्या इस मिशन के तहत चिन्हित शहरों की जरूरतों के आधार पर योजनाएं तैयार कर सकेंगे।

10 लाख तक की आबादी वाले शहरों एवं कस्बों के लिए जो केन्द्रीय सहायता दी जाएगी वह परियोजना लागत का 50फीसदी तक होगी। और 40 फीसदी की तीन किस्तों में जारी की जायेगी, जो राज्यों  की वार्षिक कार्य योजनाओं में उल्लेखित लक्ष्यों की प्राप्ति पर आधारित होगी।
 
स्मार्ट सिटी बनाने की परियोजनाओं में केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों की भूमिका भी अहम होगी। शहरी विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को दस सूत्री मानक भेजकर स्मार्ट सिटी बनने योग्य शहरों की सूची मांगी है। स्मार्ट सिटी के लिए हर राज्य से कम से कम एक शहर अवश्य चुना जाएगा। 100 स्मार्ट शहरों में से कुछ प्रमुख नदियों के तट पर स्थि‍त होंगे, जबकि कई अन्य स्मार्ट सिटी पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीपों एवं पर्यटन स्थलों पर बसाई जाएंगी। इसी तरह कुछ राज्यों की राजधानियों को भी स्मार्ट सिटी के रूप में तब्दील किया जाएगा।  इस परियोजना में केंद्र सरकार सिर्फ सहायक या सुविधाप्रदाता के तौर पर काम करेगी। 
 
ऐसी उम्मीद हैं कि स्मार्ट सिटी के रूप में इस साल 20 शहरों और अगले दो वर्षों के दौरान 40-40 शहरों का चयन किया जाएगा। वास्तुकारो का भी मत है कि बड़े शहरों पर जनसंख्या का भार कम करने और छोटे शहरों को पहली कतार में आगे लाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की स्मार्ट सिटी परियोजना एक आदर्श  विकल्प है, तो करते है इंतजार इन सपनो के यथार्थ रूप लेने का…       

साभार-वीएनआई

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