Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चाभुवेन्द्र त्यागी की पुस्तक ‘ये है मुंबई’ पर परिचर्चा

भुवेन्द्र त्यागी की पुस्तक ‘ये है मुंबई’ पर परिचर्चा

पत्रकार-लेखक भुवेन्द्र त्यागी की पुस्तक ‘ये है मुंबई’ पर डॉ. जयश्री सिंह ने मुंबई के मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज में हुए एक समारोह में बहुत सार्थक चर्चा की। उन्होंने मुंबई के साहित्यप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ये है मुंबई’ भुवेंद्र त्यागी जी की आठवीं पुस्तक है। इसमें मुंबई की 50 लाइफलाइन कहानियाँ हैं, जो मुंबई तथा मुंबईकरों के ज़ज्बे से प्रेरित हो कर लिखी गयी हैं। इन कथाओं की घटनाएँ मुंबईकरों के विषम परिस्थितियों से जूझते रहने के हौसले को रेखांकित करती हैं।

सकारात्मकता का संदेश

डॉ. जयश्री ने पुस्तक की कथाओं पर चर्चा करते हुए कहा, ‘इस पुस्तक में त्यागी जी ने समय की तेज रफ़्तार में पीछे छूटते, टूटते–बिखरते तथा बनते–बिगड़ते सामाजिक मूल्यों को बखूबी दिखने का प्रयास किया है। मुंबई महानगर के महाजनसागर में मशीनी जिंदगी, प्रतिस्पर्धा में पिसता जीवन, वास्तविक आनंद से दूर होता बचपन, आर्थिक तंगी, निराशा, कुंठा और नकारात्मकता को साथ लेकर चलने वाली बेहद आम लोगों की बेहद आम घटनाएं बड़े सलीके से पिरोयी गयीं हैं। अंतत: सकारात्मकता का संदेश लगभग हर कथा में है।’

पात्रों का मूल्यांकन

इन कथाओं के पात्रों का मूल्यांकन करते हुए उन्होंने कहा, ‘बच्चों के प्रति त्यागी जी के मन में अपार करुणा है। उनकी पढाई, दिनचर्या, आकांक्षाएं, मनोकामनाएं, सपने, सुरक्षा तथा स्वास्थ्य पर लेखक ने सजगता से लेखनी चलायी है। मुंबई के युवाओं पर उन्हें अटूट विश्वास है। उनकी जी-तोड़ मेहनत, ईमानदारी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, काम करने के तरीके, सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास, नित नये प्रकल्पों की खोज और भावी जीवन के नियोजन से उन्हें काफी उम्मीदे हैं। कुछ किस्से ऐसे भी हैं, जहाँ पत्रकार की सजग लेखनी का प्रत्यक्ष प्रभाव भी दिखायी पड़ता है।’

भाषा-शैली

डॉ. जयश्री ने पुस्तक की भाषा-शैली के बारे में कहा, ‘इन कथाओं की भाषा अत्यंत सरल एवं सहज है। सामान्य हिन्दी पढ़ने-समझने वाला व्यक्ति भी इनका आनंद ले सकता है। रचनाएं छोटी हैं तथा सामान्य रूप से गतिशील भी हैं। उनमें कहीं भी बनावटी या दिखावटीपन नहीं है। वाक्यों में अंग्रेजी व कहीं–कहीं मराठी शब्दों का सहज प्रयोग हुआ है, जो पूर्णत: मुंबईकरों की हिंदी के अनुरूप है।’

चार और पुस्तकों का विमोचन

इस समारोह में ‘स्टोरी मिरर’ की चार और पुस्तकों – कथा संग्रह ‘सिंगिंग बेल’ (सुभाष पंत), व्यंग्य लेख संग्रह ‘मरवा दिया इमान्दारी ने’ (जवाहर चौधरी), उपन्यास ‘उम्मीद अभी बाकी है’ (मधु अरोड़ा) और सौ कोस मूमल (मीनाक्षी स्वामी) का विमोचन हुआ। रवींद्र कात्यायन के कथा संग्रह ‘प्यार में लड़की’ पर भी परिचर्चा हुई।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार