Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चा"मसाला सांख्यिकी एक नजर में 2021"पुस्तक का विमोचन

“मसाला सांख्यिकी एक नजर में 2021″पुस्तक का विमोचन

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘मसाला सांख्यिकी एक नजर में 2021’ पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में सभी मसालों के आंकड़ों का संग्रह किया गया है। इन आंकड़ों में क्षेत्र, उत्पादन, उत्पादकता, निर्यात, आयात, कीमत और देश में उत्पादित विभिन्न मसालों के उत्पादन के मूल्य शामिल हैं।

इस पुस्तक का प्रकाशन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत सुपारी और मसाला विकास निदेशालय (डीएएसडी) ने किया है। यह राष्ट्रीय स्तर पर मसालों के क्षेत्र और उत्पादन अनुमानों के संग्रह व संकलन के लिए नोडल एजेंसी है। यह पुस्तक देश में पिछले सात वर्षों के दौरान यानी 2014-15 से 2020-21 तक मसाला क्षेत्र की प्रगति को रेखांकित करती है।

देश में मसालों का उत्पादन 7.9 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2014-15 में 67.64 लाख टन से बढ़कर 2020-21 में 106.79 लाख टन हो गया। वहीं, इस दौरान मसाला क्षेत्र 32.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.28 लाख हेक्टेयर हो गया। प्रमुख मसालों में जीरा (14.8 फीसदी), लहसुन (14.7 फीसदी), अदरक (7.5 फीसदी), सौंफ (6.8 फीसदी), धनिया (6.2 फीसदी), मेथी (5.8 फीसदी), लाल मिर्च (4.2 फीसदी) और हल्दी (1.3 फीसदी) के उत्पादन में विशिष्ट वृद्धि दर दिखती है।

उत्पादन में भारी उछाल ने निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण मसालों की उपलब्धता सुनिश्चित की है। यह मसालों के निर्यात में बढ़ोतरी के आंकड़ों में दिखता है। उपरोक्त अवधि के दौरान मसालों का निर्यात 14,900 करोड़ रुपये मूल्य के 8.94 लाख टन से बढ़कर 29,535 करोड़ रुपये (3.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के 16 लाख टन हो गया। इस दौरान मात्रा के लिहाज से 9.8 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर और कीमत के लिहाज से मूल्य के लिहाज से 10.5 फीसदी वृद्धि दर दर्ज की गई।

देश के सभी बागवानी फसलों से प्राप्त कुल निर्यात आय में मसालों का योगदान 41 फीसदी है। वहीं, यह कृषि कमोडिटिज में केवल समुद्री उत्पादों, गैर-बासमती चावल और बासमती चावल से पीछे चौथे स्थान पर है।

देश में इन मसालों के उत्पादन में शानदार बढ़ोतरी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न विकास कार्यक्रमों के कारण हुई है। इनमें एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) आदि हैं।

सुपारी और मसाला विकास निदेशालय ने अपने रोपण सामग्री उत्पादन कार्यक्रम व प्रौद्योगिकी प्रसार कार्यक्रम के जरिए उच्च उपज देने वाली किस्मों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने देश में गुणवत्तापूर्ण मसालों के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

कोरोना महामारी की अवधि के दौरान विशेष रूप से मसालों को स्वास्थ्य पूरक के रूप में मान्यता देने की वजह से मसालों की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है। यह हल्दी, अदरक, जीरा और मिर्च आदि मसालों के निर्यात में बढ़ोतरी के आंकड़ों में साफ दिखता है।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार