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हिन्दी के लिए सरकार में बैठे अंग्रेजों से जूझने वाले- प्रवीण जैन
हिंदी के कुछ बड़ा और सार्थक करने की ललक प्रवीण जैन में बचपन से ही रही । वे कहते हैं, ‘नवम्बर 2011 से हिन्दी के लिए कुछ करने की दिशा में राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद उन्होंने सबसे पहली शिकायत 'राष्ट्रपति भवन' को ही लगाई।