Tuesday, April 23, 2024
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संघ प्रमुख ने संघ को लेकर उठे हर सवाल के जवाब दिये

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने संघ के विचारों और इतिहास पर खुलकर बात की और संघ को कठघरे में खड़ा करने वाले विपक्षियों के सवालों का जवाब दिया। भागवत मंगलवार को विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय ‘भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण, व्याख्यानमाला के दूसरे दिन बोल रहे थे।

संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन और उनके संघर्ष के बारे में बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संघ को समझने के लिए डॉ. हेडगेवार से शुरुआत करनी चाहिए। भागवत ने हेडगेवार के हवाले से संघ की राष्ट्रवादी विचारधारा को बयां करने की कोशिश की।

संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय बताते हुए उन्होंने कई घटनाओं का जिक्र किया जब उन्होंने गांधी के आंदोलन के समर्थन में बैठके आयोजित कीं या भाषण दिए। एक बैठक की अध्यक्षता तो खुद मोतीलाल नेहरू ने की थी। उनमें देशभक्ति कूट कूट कर भरी थी। वे सशस्त्र क्रांति के समर्थक थे। राजगुरु को फरारी के दौरान उन्होंने मदद की थी। लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में विदर्भ प्रांत के शीर्षस्थ कार्यकर्ता बने। 1931 के लाहौर अधिवेशन में जब कांग्रेस ने संपूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया तो संघ ने पूरे देश में संचालन कर इसका समर्थन किया।

भागवत ने बीते दिनों कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान कि आरएसएस महिला विरोधी संगठन है, महिलाओं को इसमें प्रवेश नहीं करने दिया जाता, का भागवत ने अप्रत्यक्ष तौर पर जवाब दिया।

उन्होंने कहा बहुत से लोगों को मालूम नहीं है कि आरएसएस की एक महिला इकाई, जिसे राष्ट्रीय स्वयं सेविका कहा जाता है, इसमें महिलाओं की ही भागेदारी होती है। इसे स्वतंत्रता से पहले स्थापित किया गया था। भागवत ने कहा, ‘हमारी मां और बहन, जहां भी वे हैं, आरएसएस द्वारा किए गए कार्यों में योगदान देती रहती हैं।’

संघ पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने को लेकर बहुत सारे विवाद सामने आ चुके हैं। कुछ समय पहले राहुल गांधी ने भी आरोप लगाया था कि आजादी के 52 साल बाद भी संघ मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज की बजाय भगवा ध्वज को सलामी दी जाती है।

भागवत ने अपने पहले दिन के व्याख्यान में भगवा ध्वज पर संघ की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वयंसेवक संघ हर साल भगवा ध्वज को गुरु दक्षिणा देते हैं। संगठन इस प्रकार दान दक्षिणा से चलता है। भागवत ने कहा कि संघ ने हमेशा राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान किया है।

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