Friday, March 29, 2024
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मुंबई के गोरेगाँव के इन हजारों आदिवासियों ने बिजली ही नहीं देखी

ईशा और उसके दोस्त हर सुबह सोकर उठते हैं तो उनके चेहरे पर कालिख होती है। उनकी मासूम आँखों में भी कालिख की एक परत सी जमी होती है क्योंकि वो रातभर डिबरी के उजाले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। उनके घरों में आज भी बिजली का कनेक्शन नहीं है। ये भारत के किसी दूर-दराज़ गाँव की कहानी नहीं है, इन मासूमों का घर सपनों के शहर- मुंबई में है।

ये अकेले उनकी कहानी नहीं है, ये मुंबई के आरे जंगल में बसे हज़ारों आदिवासी घरों की कहानी है। ये जंगल, जो इस जगमाते शहर की कोख में अँधेरे में पल रहा एक सपना है। अँधेरे से भरे अपने घर में ये बच्चे बड़ी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, डिबरी का धुआँ इन बच्चों के फेफड़े को भी नुकसान पहुँचाता है। इस सब के बावजूद वो ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वो अपने सपनों को पूरा कर सकें।

आज़ादी के 71 साल बाद भी देश की आर्थिक राजधानी-मुंबई के कुछ निवासियों तक बिजली नहीं पहुँच पाई है?

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’(हर घर में बिजली) सरकार की योजनाओं में से एक है, जिसे स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था। अप्रैल 2018 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने क्वेस्ट(क्वालिटी इवैलुएशन फॉर ससटेन्बल ट्रांफर्मेशन) की शुरआत की, जिसमें आदिवासियों के लिये विशेष बजट रखा गया था। इन योजनाओं के बाद भी सपनों के इस शहरमुंबई में कुछ घर ऐसे हैं, जिनके लिये बिजली आज भी एक सपना है।

नौशाचा पाड़ा, मुंबई के आरे जंगल में स्थित एक पुराना आदिवासी गाँव है, जो गोरेगाँव पूर्व के मुंबई वेटिनरी कॉलेज की चार दिवारी में बसा है। स्वच्छ भारत और खुले में शौच से मुक्ति अभियान के अंतर्गत मैंने इस गाँव के लिये शौचालयों का प्रबंध किया है।

इस अन्याय को रोकें। इस याचिका पर हस्ताक्षर करें ताकि इन आदिवासी परिवारों को बिजली का कनेक्शन मिल सके।

एक बार मैं गाँववालों से मिलने गई तो मेरी आँखों से अपने आप आँसू बहने लगे। मैंने देखा कि सारे सरकारी मकानों में बिजली थी और उन्हीं के पास बने आदिवासियों के घरों में बस अँधेरा था।

मैं पूरी कोशिश कर रही हूँ कि इन घरों को रोशन कर सकूँ और इन मासूम बच्चों और उनके परिवार को उनका हक़ दिला सकूँ। पर ये मैं अकेले नहीं कर सकती हूँ।

अगर आपकी तरह लाखों लोग इस याचिका  पर हस्ताक्षर करेंगे तो हम सरकार पर दबाव बना सकते हैं ताकि वो इन गाँवों में बिजली की व्यवस्था करवा सकें।

इस याचिका पर हस्ताक्षर करें ताकि ये बच्चे चेहरे पर कालिख लेकर नहीं बल्कि एक मुस्कान लेकर अपने दिन की शुरुआत करें।

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