Saturday, April 20, 2024
spot_img
Homeश्रद्धांजलिअमजद खान की वजह से विजू खोटे को शोले में काम मिला

अमजद खान की वजह से विजू खोटे को शोले में काम मिला

फिल्म ‘शोले’ में ‘कालिया’ का मशहूर किरदार निभाने वाले विजू खोटे का आज सुबह मुंबई में निधन हो गया। विजू 77 साल के थे और उन्होंने अपने घर पर ही अंतिम सांस ली। विजू हिंदी के अलावा मराठी फिल्मों में भी एक्टिव थे। 300 फिल्मों में काम करने वाले विजू ने टीवी इंडस्ट्री में भी खूब काम किया है। वह 1964 से फिल्मों में काम कर रहे थे. शोले के अवाला उन्हें अंदाज़ अपना अपना, अतिथि तुम कब जाओगे, गोलमाल 3 जैसी फिल्मों में उनके रोल के लिए याद किया जाता है.

विजू खोटे ‘शोले’ फिल्म में ‘कालिया’ बने थे। उन्हें आज भी इसी किरदार से जाना जाता है। इस रोल के लिए उन्हें 2500 रुपये फीस मिली थी । विजू खोटे ने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्में की हैं। हिंदी के साथ-साथ विजू खोटे ने मराठी सिनेमा में भी काफी काम किया। विजू कॉमिडी रोल्स में ज्यादा कंफर्टेबल थे। यही वजह थी कि बाद में उन्होंने खुद को विलेन के रोल से कॉमेडी किरादारों की ओर शिफ्ट कर लिया।

विजू की बहन शुभा खोटे भी मशहूर फिल्म और टीवी अभिनेत्री हैं। वह 2017 में रिलीज हुई फिल्म ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’ में अक्षय कुमार की दादी के रोल में नजर आई थीं। उनकी काकी दुर्गा खोटे और काका नयमपल्ली भी मशहूर कलाकार हैं।

विजू खोटे ने एक साक्षात्कार में बताया था कि कैसे एक शख्स का कालिया बुलाना उनके बेटे को पसंद नहीं आया था. विजू ने कहा था- शोले रिलीज होने के बाद एक दिन मैं अपने बेटे के साथ सड़क पर टहल रहा था. तभी अचानक एक आदमी ने चिल्लाते हुए खहा- वो देख कालिया….विजू ने कहा था- शोले रिलीज होने के बाद एक दिन मैं अपने बेटे के साथ सड़क पर टहल रहा था. तभी अचानक एक आदमी ने चिल्लाते हुए खहा- वो देख कालिया….

वीजू ने बताया था, “दीदी (शोभा) फिल्मों में आ चुकी थीं। तब मैं बीए कर रहा था।लोग मुझसे कहते थे कि तुम्हारी दीदी फिल्मों में काम कर रही हैं, तुम्हे करने में क्या दिक्कत है? मैं कहता था कि मैं नहीं कर पाता हूं, नहीं होता मुझसे। मेरे पिताजी साइलेंट जमाने के एक्टर थे। बाद में उन्होंने कई मराठी फिल्मों और थिएटर में काम किया। लेकिन मैं एक्टिंग नहीं कर पा रहा था। क्योंकि मैं शर्मीला था। एक दिन कॉलेज में आधा-पौने घंटे का एक ड्रामा होना था। हमारे कॉलेज के हिंदी के प्रोफेसर ने मुझसे कहा कि मैं डायरेक्ट कर रहा हूं, तुझे इसमें काम करना पड़ेगा। मैंने न चाहते हुए भी उनके डर से हामी भर दी। यह पहला मौका था, जब मैंने कोई एक्टिंग की थी। यह 1961 की बात है।”

वीजू की मानें तो बीए करने के बाद उन्होंने अपनी प्रिंटिंग प्रेस शुरू की, जिसके अंतर्गत कई तरह के साहित्य का प्रकाशन हुआ। इस दौरान नाटकों और फिल्मों से दूर थे। वे कहते हैं, “फिर पिताजी ने एक मराठी फिल्म बनाई ‘या मालक’। महमूद और शोभा ने उसमें लीड रोल किया। पिताजी ने मुझे उस फिल्म में काम करने के लिए बुला लिया।” यही से शर्मीले स्वभाव वाले वीजू खोटे का फिल्मी करियर शुरू हुआ। हालांकि, उन्हें पहचान ‘शोले’ में कालिया का किरदार निभाने के बाद मिली।

वीजू के मुताबिक, वे और अमजद एक प्ले में साथ काम करने वाले थे। वे दशरथ की भूमिका के लिए चुने गए थे और अमजद रावण का किरदार करने वाले थे। लेकिन पेमेंट को लेकर बात नहीं बनीं और अमजद ने प्ले करने से इनकार कर दिया। इस वजह से वीजू को रावण की भूमिका दे दी गई। हालांकि, बाद में यह प्ले हो नहीं पाया। लेकिन अमजद के साथ उनकी दोस्ती हो गई। वे कहते हैं, “फिल्म (शोले) के लिए कालिया के सीन की शूटिंग पहले किसी और के साथ शुरू हो चुकी थी। लेकिन मेकर्स को वह पसंद नहीं आया। तब उन्होंने अमजद से कहा कि वीजू को बुला लो। अमजद भाई ने मुझे फोन किया और कालिया के किरदार के बारे में बताया। यह फिल्म मैंने 1973 में शूट की थी।”

वीजू के मुताबिक, अमजद ने जब उनसे पूछा कि वे घुड़सवारी कर लेते हैं तो उन्होंने झूठी हामी भर दी। हालांकि, उसके बाद घुड़सवारी ट्रेनिंग ली। लेकिन शूट के दौरान उन्हें रेस की घोड़ी दी गई, जिसने उन्हें खूब परेशान किया। वीजू ने बताया था, “वह घोड़ी मुझे हर शॉट में गिरा देती थी। जिस सीन में हम गांव में माल लेने जाते हैं, उसकी शूटिंग एक सप्ताह तक हुई थी और इस दौरान घोड़ी ने मुझे 6-7 बार गिराया था। लेकिन उनके पास भूरे रंग का कोई दूसरा घोड़ा या घोड़ी नहीं थी। इसलिए इसे बदल भी नहीं सकता था। इस बीच मुंबई आया और जुहू चौपाटी पर घुड़सवारी सीखी। लेकिन बाद के सीन में घोड़े का काम ही नहीं था।”

वीजू अपने रोल में पूरी तरह घुस जाते थे। यहां तक कि कई बार उन्हें अपनी चोट का अहसास भी शूट पूरा होने के बाद होता था। उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि विनोद मेहरा के साथ एक फिल्म में उन्होंने फाइट सीन किया था। इसकी शूटिंग के दौरान उनकी उंगली कट गई थी। लेकिन वे इस बात से अनजान थे। शूट पूरा हुआ तो उन्होंने वहां खून देखा। तब पता चला कि उनकी उंगली कट गई है। इसके बाद उन्होंने अस्पताल जाकर उस पर टांके लगवाए।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार