Friday, March 29, 2024
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असंवैधानिक अनुच्छेद 35-ए से छुटकारा कब होगा

6 अगस्त को माननीय सुप्रीमकोर्ट में 35A पर सुनवाई के मद्देनजर घाटी के कई इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। घाटी में हिंसक प्रदर्शनों की आशंकाओं के मद्देनजर श्रीनगर समेत दक्षिण जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों की ओर से अधिकारियों को हालातों पर पूरी नजर बनाए रखने के निर्देश जारी किए गए हैं, यही नहीं इस मुद्दे पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है, अलगवावादी धमकी पर धमकी दिए जा रहे हैं तो वहीं अलगाववादियों की निगाहें कोर्ट पर हैं, इन सारी बातों के बीच में केवल एक ही बात कौंध रही है कि आखिर धारा 35A है क्या और क्यों मचा है इस पर बवाल। बतादें कि जम्मू-कश्मीर का यह असवैधानिक अनुच्छेद घाटी में पक्षपात करता है, जिस वाल्मिकी समाज की 5 पीढिया जम्मू-कश्मीर में रह रही है, उस वाल्मिकी समाज के बच्चें बीटेक, एमटेक या फिर पीएचडी की डिग्रियां भी लेते है तो असंवैधानिक अनुच्छेद 35- A उनको भी केवल सफाई कर्मचारी ही नियुक्त करेगा न कि किसी और सरकारी सेवा में।

जम्मू-कश्मीर में मुस्लामानों को छोड़कर बाकि समाज को लोकसभा चुनाव को छोड़कर जम्मू-कश्मीर की विधानसभा और पंचायत चुनाव में वोट देने का अधिकार नही है। अगर यह अनुच्छेद हटता है तो जम्मू-कश्मीर के हिंदू और सिख समाज को वोट देने का अधिकार प्राप्त होगा। इतना ही नही, यह काला कानून जम्मू-कश्मीर की बेटियों को भी बंधक बनाएं हुए है। जम्मू-कश्मीर की बेटियां देश के किसी अन्य प्रांत के लड़कों से शादी करती है तो उनकी जम्मू-कश्मीर से नागरिकता खत्म करता है या अनुच्छेद 35-A, अगर वहां की बेटियां पाकिस्तान या अन्य किसी देश के लड़कों से शादी करती है तो उस लड़की के पति को जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है।

इस काले कानून को असंवैधानिक अनुच्छेद इसलिए कहा गया है कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। समय-समय पर भारत सरकार अपने हिसाब से राष्ट्रहित के लिए संविधान में संशोधन करती रहती है। भारत में संविधान में संशोधन के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद-368 में प्रावधान है। संविधान में संशोधन या नए अनुच्छेदों को जोड़ने के लिए संविधान की एक रीती-नीति होती है कि किसी भी अनुच्छेद को संविधान में जोड़ने से पहले उस अनुच्छेद को दोनों सदन लोकसभा या राज्यसभा में रखना होता है।

लोकसभा या राज्यसभा में उस अनुच्छेद की एवज में जो बिल आता है। सत्ता पक्ष या विपक्ष के पास बिल को पास करने का समर्थन हो तो लोकसभा से पास होकर वो बिल राज्यसभा के पास जाता है।

राज्यसभा में लोकसभा की तरह बिल को पास करने के लिए समर्थन चाहिए होता है। किसी कारण अगर लोकसभा या राज्यसभा में सत्तापक्ष या विपक्ष के पास समर्थन न हो तो बिल अटक भी जाता है। राज्यसभा बिल को पास करके राष्ट्रपति के पास भेजती है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तब जाकर वो बिल संविधान में लागू किया जाता है। इतनी सारी प्रक्रियाओं में गुजरकर बिल को संविधान में अनुच्छेद के रुप में मान्यता मिलती है।

लेकिन यदि आज जम्मू कश्मीर में लागू एक अनुच्छेद 35A के विषय में पड़ेगे तो आप हैरान रह जाएगें। जम्मू कश्मीर में 1954 में एक असवैंधानिक अनुच्छेद 35-A को जोड़ा गया। इस अनुच्छेद को असंवैधानिक इसलिए कहा गया। क्योकि यह अनुच्छेद कभी संसद के समक्ष नहीं रखा गया भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के कहने पर 1954 जम्मू कश्मीर के लिए अनुच्छेद जोडा गया जिसे 35-A नाम दिया गया। संविधान में कोई भी अनुच्छेद जोड़ा जाता है तो उसकी एक प्रक्रिया होती है लेकिन अनुच्छेद 35-A के साथ ऐसा कुछ भी नही किया गया और उसको संविधान के मूल प्रावधानों से भी दूर रखा गया।

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