Saturday, April 20, 2024
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कुत्तों के नाम देसी क्यों नहीं होते

हिंदुस्तान में जब लोग बाग घर में पालने के लिए कुत्ते लेकर आते हैं तो ज़्यादातर मामलों में उनके नाम ब्रिटिश या यूरोपीय रखते हैं . मसलन अगर यदि नर है तो चार्ली, बडी ,ऑस्कर , टेडी, जैक, ओली टाइप के होते हैं अगर मादा है तो डेज़ी, लूसी , मोली , फ़्रेंकी , रोज़ी जैसे नाम रख लेते हैं . पता नहीं क्यों मुझे तो इन नामों से ब्रिटिश कोलोनियल दिनों की बू आती है. हां, जो कुत्ते गली मोहल्लों में रहते हैं वो आज भी कालू , भूरे, मोती कहलाते हैं . जहां घरेलू कुत्ते पैड़ेग्री फ़ूड खाते हैं वहीं गली के मोती, कालू घर घर की रोटियों पर आश्रित रहते हैं . घर के पालतू केवल कूँ कूँ करते हैं वहीं गली मोहल्ले के कुत्ते किसी भी अवांछित व्यक्ति को मोहल्ले के नुक्कड़ तक भौंक भौंक कर रपट कर ही दम लेते हैं .

अब से कोई तीस वर्ष पहले हमारे मन में देश और हिंदी भाषा के प्रति सम्मान की भावना जागी थी इसलिए हमने फ़ैसला किया कि आइंदा कोई भी कुत्ता या बिल्ली पालेंगें तो उसका नाम ब्रिटिश न रख कर नितांत भारतीय परम्परा से लेंगे.

हमारे एक मित्र हमें एक पामेरियन ब्रीड का मादा पप भेंट कर गए थे , हमें लगा अब अपनी भाषा के प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रदर्शित करने का अवसर हाथ लग गया है . घर वाले वही क्यूनी, एस्टेल , एलिजा नाम रखने के लिए आग्रह कर रहे थे , हमने उसका नाम रानी रख दिया.

सुबह सबेरे हम रानी को चेन में बांध कर घुमाने ले जाने लगे, इस बहाने रानी के साथ ही हमारा वॉक भी होने लगा. एक कुत्ता पालने का विशद अनुभव रखने वाले एक मित्र ने हमें सुझाव दिया थोड़ी देर तक कुत्ते को चेन से मुक्त करना भी ज़रूरी है ताकि कुत्ता अपनी गति से भाग दौड़ और खेल कूद कर सके . उनकी सलाह मान कर अगले दिन घूमते समय हमने रानी की चेन खोल दी . रानी बिल्कुल तीर की तरह भाग निकली.

हम रानी रानी कह कर उसे पुचकार कर बुलाने की कोशिश कर रहे थे पर सुनने को तैयार नहीं लग रही थी . बमुश्किल तमाम हम रानी को पकड़ कर घर लेकर आए . हमारे घर के सामने वाले घर में आयकर अधिकारी रहते थे हमारी उनसे ऐसी मित्रता थी कि बिना किसी औपचारिकता के वे हमारे घर चाय पीने के लिए आ जाते थे . हमने नोटिस किया वे उस दिन के बाद से हमारे घर नहीं आ रहे हैं . कुछ कामन मित्रों के ज़रिए पता चला वे हम से नाराज़ चल रहे हैं . मामले की तह में गए तो पता चला कि उनकी पत्नी का नाम रानी था और उन्हें संदेह हो गया था कि हम उनकी पत्नी का नाम लेकर उन्हें छेड़ने का प्रयास कर रहे हैं .

हमने चुपचाप अपनी कुतिया का नाम रोज़ी कर लिया, अपने मित्र और उनकी पत्नी से माफ़ी माँगी , तब कहीं जा कर बात सम्भल पाई . उसके बाद से जितने भी पालतू कुत्ते घर में लाए उनके नाम विदेशी ही रखते हैं .

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