Thursday, March 28, 2024
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वेबिनार क्यों, बेहतर हिंदी शब्द ई संगोष्ठी क्यों नहीं?

कोरोना के संक्रमण काल में अचानक अनेक इलैक्ट्रॉनिक माध्यमोॆ के द्वारा संगोष्ठियों का आयोजन किया जाने लगा है और अंग्रेजी की तर्ज पर इन संगोष्ठियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी वेबिनार कहा जाने लगा है।अगर अभी नहीं जागे तो वेबिनार हमारे संगोष्ठी शब्द को भी ले बैठेगा। इसलिए अब यह जरूरी है कि हम चर्चा-परिचर्चा के माध्यम आमराय से एक शब्द निर्धारित करते हुए उसका प्रयोग करना प्रारंभ करें। विद्वानों ने वेब-संगोष्ठी, ई-संगोष्ठी तथा दूरगोष्ठी सहित कई पर्याय सुझाए हैं।विभिन्न विद्वानों के सुझाव व विचार इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किए गए हैं। विभिन्न विद्वानों की सहमति असहमति को भी समूह पर प्रस्तुत किया गया है।
अन्य सुझावों, विचारों तथा सहमति-असहमति को संगोष्ठी के आगामी भाग में प्रस्तुत किया जाएगा।

मेरा यह सुझाव है कि अंग्रेजी के शब्द वेबिनार के बजाय यदि हम भारतीय भाषाओं में प्रयोग के लिए ई-संगोष्ठी शब्द को अपनाएँ तो यह शब्द सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न वर्तमान और भावी माध्यमों यथा – वेबसाइट, फेसबुक, ई-मेल समूह, व्हाट्सएप आदि सभी के लिए उपयुक्त होगा। अंग्रेजी से आया इलेक्ट्रॉनिक शब्द तो हिंदी मैं स्वीकृति पा चुका है। यदि इस शब्द को स्वीकार कर लिया जाता है तो इसी रूप में ऐसे अन्य शब्द भी प्रयोग में लाए जा सकेंगे।

ई- संगोष्ठी, ई- कार्यशाला, ई-परिचर्चा ई- व्याख्यान, ई- कक्षा, ई- बैठक, ई- परिचर्चा, ई- शिक्षण, ई- प्रशिक्षण सामग्री, ई- साहित्य, ई- कवि सम्मेलन आदि का भी प्रयोग कर सकेंगे।

प्रो. विमलेश कांति वर्मा, सुप्रसिद्ध भाषाविद, पूर्व प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय,

यह आवश्यक है कि हिंदी में वेबीनार के बजाए हिंदी का शब्द रखा जाए। इस समय जबकि सभी स्तरों पर बड़ी संख्या में वेबसाइट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से संगोष्ठी आयोजित की जा रही है तो इस समय वेबिनार के बजाय हिंदी में इसके सर्वमान्य पर्याय को निर्धारित कर स्थापित करने का प्रयास सराहनीय है। कुछ लोग इसे वेब-संगोष्ठी कहने लगे हैं। इसे वेबसंगोष्ठी कहना उचित नहीं है । इसलिए इसका एक कारण तो यह है कि वेब शब्द हिंदी में उत्पादक शब्द नहीं होगा। सभी रूपों में इसका प्रयोग संभव नहीं है।
मुझे लगता है कि वेबसाइट आधारित सेमिनार भी टेलीकॉन्फ्रेंसिंग ही है। जिस प्रकार कथित वेबिनार में ध्वनि के साथ चलचित्र भी होते हैं उसी प्रकार टेली कॉन्फ्रेंसिंग में भी यह सब होता है। इसलिए दूरगोष्ठी ठीक है। विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों और उपसर्ग के रूप में प्रयोग की दृष्टि से इलेक्ट्रॉनिक शब्द का संक्षिप्त रूप ‘ई’ भी प्रयोग में लाया जा सकता है। विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में प्रयोग की दृष्टि से ‘ई’ अनुसर्ग को स्वीकार करें तो ई-संगोष्ठी शब्द भी स्वीकार किया जा सकता है।

प्रो. (डॉ.) कृष्ण कुमार गोस्वामी, सुप्रसिद्ध भाषाविद, सदस्य केंद्रीय हिंदी समिति
आपने वेबिनार के स्थान पर हिन्दी में ई-संगोष्ठी शब्द के प्रयोग का जो सुझाव दिया है, वह उपयुक्त लगता है। इलेक्ट्रोनिक का संक्षिप्तीकरण ‘ई’ है। किसी कार्यक्रम या वस्तु का परिचालन इलेक्ट्रोनिक यंत्र या प्रणाली या माध्यम से किया जाना ई- कार्यक्रम है; जैसे- ई-ग्रंथालय , ई-पुस्तक। वेबिनार शब्द को वेब+सेमिनार को जोड़ कर बनाया है। अंग्रेज़ी ‘वेब’ शब्द का अर्थ होता है ‘जाल’। वेब शब्द website शब्द से आया है जिसका अभिप्राय है “इन्टरनेट पर किसी संस्था या कंपनी का सूचना केंद्र”। इसको हिन्दी में वेबसाइट ही कहते हैं, लेकिन कुछ लोगों ने हिन्दी में इसका अनुवाद ‘संचार प्रौद्योगिकी’ भी किया है। इस दृष्टि से वेबिनार के लिए हिन्दी में न तो ‘जाल संगोष्ठी’ शब्द सटीक, सरल और सहज बैठेगा और न ही ‘संचार संगोष्ठी’। Teleconferencing में दूर संचार प्रणाली से कई व्यक्तियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान होता है। इसे कई लोग ‘वेब-कॉन्फ्रेंस’ भी कहते हैं। यह एक प्रकार का छाता है जिसमें वेबिनार, वेबकास्ट, वेब-मीटिंग आदि आते हैं। इसके अंतर्गत फोन कॉन्फ्रेंसिंग, आडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी आते हैं। हिन्दी में कुछ लोग इसे दूर- सम्मेलन भी कहते हैं, क्योंकि अंग्रेज़ी के tele शब्द के लिए ‘दूर’ शब्द प्रचलित है। दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों के लिए ‘टेलिकास्ट’ शब्द का प्रयोग होता है।’सेमिनार’ शब्द का प्रयोग अधिकतर शैक्षिक वर्ग अथवा विद्वत वर्ग अथवा शोधकर्ताओं द्वारा किसी विषय-विशेष अथवा अनुसंधानपरक विषयों पर केन्द्रित होता है। इसमें चर्चा-परिचर्चा, प्रश्नोत्तर, वाद-विवाद आदि होता है। सम्मेलन विभिन्न संदर्भों और अनेक विषयों पर चर्चा-परिचर्चा के लिए एक बहुत बड़े समूह या विशेषज्ञों या विद्वानों का होता है।

बालेंदु शर्मा दाधीच, प्रौद्योगिकीविद, निदेशक, माइक्रोसॉफ्ट
ई उपसर्ग का प्रयोग अब सामान्य हो चुका है- ई शिक्षा, ई प्रशासन, ई मेल आदि। इसी का प्रयोग करते हुए ऑनलाइन गोष्ठी के लिए भी शब्द प्रचलित किया जा सकता है

डॉ एस एन सिंह, निदेशक (अवकाशप्राप्त), केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार। बेंगलूर
वेबिनार शब्द ‘वेब’ और ‘सेमिनार’ के संयोग और संक्षिप्तीकरण का प्रतीक है। अंग्रेजी की दुनिया ने इस कोरोना काल में विकल्प के रूप में गढ़ा है। हिंदी जगत में और मैं देख रहा हूँ कि हिंदी अकादमिक जगत में भी यह शब्द जस का तस अपना लिया गया है। एक उम्मीद थी कि बी एच यू वाले अपनी ऐसी गतिविधियों को वेबिनार के बजाय हिंदी नाम से अभिहित करेंगे। किंतु ऐसा नहीं हुआ। वैसे भी, हमारी अकादमिक दुनिया अब लीक पीटने के सिवा कुछ मौलिक कर भी कहाँ रही है। भाषा और हिंदी की चिंता तो उसकी प्राथमिकता से कब की विदा हो चुकी है। खैर…
मेरी समझ से इ या ‘ई’ इलेक्ट्रॉनिक सुविधा के प्रतीक हैं, जबकि वेब का अर्थ जाल होता है। सेमिनार का हिन्दी अनुवाद संगोष्ठी है। ऐसे में वेबिनार के लिए सही अर्थ बोधक और संक्षिप्त हिंदी संज्ञा होगी – ‘वेब गोष्ठी’ । मेरा खयाल है कि अगर वेबिनार के लिए वेब गोष्ठी को पूरे हिंदी जगत में प्रचलित कर दिया जाए तो यह शब्द सटीकता और संक्षिप्तता के कारण चल जाएगा। हमें ऐसा करना चाहिए।
प्रयास रहे कि ‘वेबिनार’ के हिंदी रूप के लिए ‘वेबगोष्ठी’ पर सहमति बन जाए। हालांकि मुझे इसमें संदेह है, क्योंकि हिंदी के लोगों में बाल की खाल निकालने की प्रवृत्ति ज्यादा है। वैसे मैं वेब गोष्ठी और उसके पर्याय के तौर पर वेबिनार – दोनों के पक्ष में हूँ। हिंदी में भी बाहरी शब्दों को संगृहीत और अनुकूलित करने की प्रवृत्ति खूब है। यही प्रवृत्ति हिंदी को आगे और विपरीत से विपरीत समय में भी बचाए रखेगी। तो मेरे मत से वेबिनार = वेब गोष्ठी ।

डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग मुंबई विश्व विद्यालय, मुंबई

मेरे विचार से वेबिनार के स्थान पर ई-गोष्ठी शब्द अधिक उपयुक्त है। जब हिंदी में विकल्प उपलब्ध है तो हमें अंग्रेजी के द्विअर्थी शब्द प्रयोग से बचना चाहिए। यह देखने में आया है कि कुछ लोग मज़ाक में वेबिनार को वेबी नारि कहने लगे हैं। ऐसी स्थिति में ई-गोष्ठी के प्रयोग द्वारा हम उक्त शब्दबंध की गरिमा बचा सकते हैं।

वरुण कुमार, निदेशक राजभाषा, रेलवे बोर्ड

फिर भी एक बात चर्चा में छूट जा रही है। अंग्रेजी के ‘वेब’ और ‘सेमिनार’ दोनों ही कोई लंबे शब्द नहीं हैं फिर भी इनको जोड़कर उन्होंने एक छोटा शब्द बनाया ‘वेबिनार’। अगर हम संजाल संगोष्ठी जैसा बड़ा पद रखते हैं तो फिर लाघव का मूल उद्देश्य ही तिरोहित हो जाता है। हमें तो छोटा करना चाहिए – जालोष्ठी, वेबोष्ठी। यह अजीब लगता है लेकिन सोच कर देखिए शुरू में ‘वेबिनार’ भी अजीब ही लगता होगा। अंग्रेजी के web और seminar को जोड़कर बनाया गया webinar. हिंदी वाले बड़े धड़ल्ले से इस वेबीनार शब्द का प्रयोग कर रहे हैं, गोया यह हिंदी का ही शब्द हो। विश्वविद्यालयों के बड़े-बड़े हिंदी विभाग वेबिनार ही करते हैं। जरा भी कोशिश नहीं कि इसका एक हिंदी समतुल्य बना लेंं। एक बड़े विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने पूरी वेबिनार की सूचना ही अंग्रेजी में बना ली।

मूल बात अपनी भाषा के प्रति प्रेम, अनुशासन और गंभीरता का भाव है। वरना जरा सी कोशिश की जाए तो वेबगोष्ठी, वेब संगोष्ठी, ऑनलाइन संगोष्ठी आदि शब्द सहज ही सोचे जा सकते हैं और इनमें अधिकतर हिंदी के अनुकूल ही लगेंगे। मैंने अपने रेल अकादमी में ‘वेब गोष्ठी’ का प्रयोग करने का सुझाव दिया। यह शब्द छोटा है और हिंदी के अनुकूल भी लगता है।

डॉ. आर.वी.सिंह, उपमहाप्रबंधक, सिडबी, लखनऊ

‘ई’ संक्षेपाक्षर इलेक्ट्रॉनिक के लिए रूढ़ और भारत की प्रायः समस्त भाषाओं में प्रयुक्त होने लगा है। ई-पत्रिका, ई-पुस्तकालय, ई-विपणन, ई-संदेश, ई-कार्ड, ई-संस्करण आदि अनेक पदों में इसका व्यवहार पहले से ही हो रहा है। इस नाते ई-संगोष्ठी पद युक्तियुक्त प्रतीत होता है। इसे सभी प्रयोक्ता सहजता और सरलता से प्रयोग कर सकते हैं।

डॉ. आशीष कंधवे , साहित्यकार एवं उपसंपादक ( गगनांचल)
मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हो रही है कि आपने वर्तमान में प्रचलित शब्द वेबीनार के स्थान पर ई-संगोष्ठी शब्द के प्रयोग और प्रचलन के लिए के लिए सार्थक प्रयास और तर्क भी दिए हैं। मैं आपके प्रयास का पूरी तरह से समर्थन करता हूँ और वेबीनार के स्थान पर ई-संगोष्ठी शब्द को ज्यादा उचित, प्रयोजनमूलक और सार्थक समझता हूँ। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में वेबीनार के स्थान पर हिंदी संसार ई-संगोष्ठी शब्द का प्रयोग करेगी एवं “संगोष्ठी” जैसे महत्वपूर्ण शब्द की उपयोगिता और प्रतिष्ठा को जीवित रखेगी।

प्रो, शैलेंद्र शर्मा, उज्जैन
मैं राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का ही प्रयोग करता हूँ, यही उपयुक्त है। जैसे वेब पत्रिका, वेब पत्रकारिता, वेब मीडिया शब्द बहुप्रचलित हैं

विज्ञानव्रत

“संजाल संगोष्ठी” यह नाम बहुत अच्छा है !

हरिसिंह पाल, सचिव नागरी लिपि परिषद

मेरी असहमति है। ई एक माध्यम के रूप में प्रयुक्त होता है।यह द्व मार्गी व्यवस्था नहीं है। जब कि संगोष्ठी संवादी व्यवस्था है। यों तो कोई भी शब्द प्रयोग में लाने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन नया शब्द औचित्यपूर्ण होना आवश्यक है। एक शब्द दूरस्थ संगोष्ठी भी हो सकता है। लेकिन संजाल संगोष्ठी अधिक उपयुक्त है।एक शब्द दूरस्थ संगोष्ठी भी हो सकता है। लेकिन संजाल संगोष्ठी अधिक उपयुक्त है।

वीरेन्द्र कुमार यादव, सदस्य हिन्दी सलाहकार समिति भारत सरकार तथा सदस्य अनुशासन समिति सह सदस्य प्रदेश कार्यसमिति एवं प्रदेश परिषद, भाजपा।
मुझे भी वेबिनार के लिए ई संगोष्ठी शब्द उपयुक्त लगता है। सरल है, समझ में आता है। ई श्रृंखला के अनेक शब्द पहले से चल रहे हैं इसलिए यह भी आसानी से चलेगा।

प्रेम अग्रवाल, अंबाला

ई और वैब के स्थान पर भी किसी भारतीय भाषा का शब्द प्रयोग किया जाए। इस पर विचार करें।

डॉ. सुस्मिता भट्टाचार्य, उपनिदेशक (कार्यान्वयन), राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय

वेबिनार शब्द को यथावत हिंदी में स्वीकारना उचित नहीं है। अब जबकि वैबसाइट और इलैक्ट्रॉनिक शब्द हिंदी मे मान्यता प्राप्त कर चुके हैं तो यह उचित होगा कि ई अथवा वेब को उपसर्ग के रूप में हिंदी में प्रयोग की संभावनाओं तथा विभिन्न इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों में शब्द का अधिकाधिक प्रयोग हो सके, इस दृष्टि से विचार करते हुए ई-संगोष्ठी अथवा वेब-संगोष्ठी में से किसी एक शब्द को मान्य करते हुए सभी के द्वारा प्रयोग में लाना चाहिए।

आरुणि त्रिवेदी, प्राध्यापक, हि.शि.यो., राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय
ई संगोष्ठी अच्छा है। मैंने एक और सोचा है, दूरगोष्ठी। इसमें पूरी तरह हिंदी है और साथ में सभी प्रकार की संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों के लिए भविष्य में कई शब्द बनाए जा सकते हैं। ये कार्यक्रम दूर से बैठे बैठे तो होते ही हैं साथ ही इसमें सभी प्रकार के ऐप, वेब और वीडियो/टेली कॉन्फ्रेंसिंग भी शामिल किए जा सकते हैं। जैसे दूरमेलन, दूरगोष्ठी, दूरशाला, दूरकक्षा। शब्दों को छोटा करने के लिए मैंने कुछ अक्षरों का विलोपन किया है ताकि लोगों की जिह्वा में आसानी से चढ़ सकें और इनके समकक्ष अंग्रेजी के शब्दों को विस्थापित कर सकें। मैंने सोचा बहुत था कि ‘वेबिनार’ में वेबसाइट का इन गोष्ठियों से कोई लेना-देना नहीं है। अतः वेबिनार में वेब से अधिक महत्त्वपूर्ण दूर से गोष्ठी है जिसमें कई प्रकार के ऐप का प्रयोग होता है जिसका आधार इंटरनेट ही है। पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी होती थीं। इन दोनों के लिए ‘दूरगोष्ठी’ शब्द मुझे उपयुक्त लगा। कोई आवश्यक नहीं है कि हम अनुवाद ही करें, अपनी मौलिक सोच भी तो हो सकती है। केवल वेब शब्द का पूर्ण अर्थ नहीं है। वह world wide web है।

बलदेवानन्द सागर
डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ जी ने वेबीनार के लिए ई-संगोष्ठी का परामर्श दिया है | चूँकि मैं संस्कृत-साहित्य और संस्कृत-पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करता हूँ इसलिए निवेदन करना चाहूँगा कि लोकडाउन [संचाररोध] के समय में बहुतायत प्रयुक्त इस शब्द के लिए ‘अंतर्जालीय संगोष्ठी’ या ‘ई-संगोष्ठी’ का प्रयोग प्रमुखरूप से किया जा रहा है | केवल आप सुधी जनों के संज्ञान के लिए…

पांडेय जी, सिंडिकेट बैंक

वस्तुबोधक शब्दों को ज्यों का त्यों ले लेना हिंदी के हित में होगा। केवल विद्वज्जन संकल्पना बोधक शब्दों को हिंदी में बनाने के बारे में चिंतन, मनन, निजध्यासन करें तो इससे हिंदी का भी हित होगा और विद्वानों का भी ।

उदय कुमार सिंह (पूर्व राजभाषा प्रभारी) गेल मुंबई

संजाल-गोष्ठी या संजाल- संगोष्ठी यह तो “वेबिनार” को कह सकते हैं किन्तु मेरा मानना है कि वेबिनार का कोई हिन्दी प्रतीक. नहीं मिल पाएगा । ई – गोष्ठी, वेबिनार शब्द की व्युत्पत्ति एवं संरचनात्मकता के हिसाब से सही पर्याय हो सकता है किन्तु एकशब्दीय प्रतीक व पर्याय वह नहीं ही कहा जाएगा क्योंकि इन शब्दों में विजुअल संक्रियाओं की कोई बात समाविष्ठ नहीं हो रही । अत: हिन्दी में कोई एक शब्द व पद तो कदापि बन पाएगा । यह हर भाषा की लाचारी होती है । संस्कृत में या अन्य भारतीय भाषा में कोई समानार्थी शब्द मिले तो उसे भी प्रयोग में ला सकते हैं तो उस तरफ जरुर खोजबीन होनी चाहिए । मगर मुझे संदेह ही है कि अन्य भारतीय भाषाओं में भी ‘वेबिनार’ के लिए कोई एकार्थी व समानार्थी पद या शब्द मिले । वैसे इन समस्याओं से आप भी बखूबी वाकिफ हैं – ऐसा मैं समझता हूं ।

राजेश्वर वशिष्ट, लेखक व राजभाषाकर्मी
ई-संगोष्ठी सही प्रयोग है। इसे चलाना है।

इंद्र कुमार शर्मा पूर्व सहायक महाप्रबंधक, सैंट्रलबैंक
बिल्कुल सही है लेकिन हाई फाइ लोगो को अच्छा नहीलगेगा।

अमरजीत

इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आप ई संगोष्ठी शब्द का उपयोग कीजिये और कोष्ठक में वेबिनार भी लिख दीजिये। कुछ समय तक दोनों चलाएं और बाद में अंग्रेजी वाला हटा दें।

यशोभान तोमर, राष्ट्रवादी साहित्य मंच

हिंदी में इसे वैद्युतकी कहते हैं। लेकिन वै-संगोष्ठी कैसा लगेगा बताईये जरा ?

निम्नलिखित विद्वानों ने ई-संगोष्ठी पदबंध पर अपनी सहमति व्यक्त की है।

डॉ साकेत सहाय, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स

गुलाब चंद यादव, उपमहाप्रबंधक , आई.डीबी.आई. बैंक

नगेंद्र कुमार मिश्र, उपमहाप्रबंधक, इंजीनियर्स इंडिया लिं।

मुरलीधर पांडेय, साहित्यकार एवं संपादक, संयोग साहित्य।

महेश मिश्र पूर्व राजाभाषा अधिकारी, सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया

राजेंद्र जे ठक्कर, क्षेत्रीय प्रभारी, पतंजलि योग संस्थान

1.वैश्विक हिंदी सम्मेलन फ़ेसबुक समूह पर वेबिनार के लिए ई-संगोष्ठी के विचार को करीब 68 टिप्पणी देनेवाले सदस्यों ने सहमति दी है। कई लोगों ने अन्य सुझाव दिए हैं।

2. राजभाषा परिवार फ़ेसबुक समूह पर वेबिनार के लिए ई-संगोष्ठी शब्द के विचार को सभी करीब 57 टिप्पणी देनेवाले सदस्यों ने सहमति दी है। एक अन्य सुझाव भी है।

3. अन्य कई फे़स बुक समूहों पर ई-संगोष्ठी के विचार को करीब 90 प्रतिशत टिप्पणी देनेवाले सदस्यों ने सहमति दी है।

वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
[email protected]

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एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

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