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नई पीढ़ी क्या नवरात्रि की इस परंपरा और दुर्गा के इस स्वरूप को कभी जान पाएगी
तो दुर्गा को अब कैसे देखा जाए - महिषमर्दिनी के रूप में उन्हें आराध्य माना जाए या सार्वभौम पुत्री के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करने की कोशिश की जाए. बेटी भी अब वह बेटी नहीं है, मायके के मायने भी बदल गए हैं,