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तू न समझेगा सियासत, तू अभी नादान है
करते हुए धन्यवाद। इन जैसे साहित्यकार/पत्रकार के रहते हुए यह विश्वास बना रहेगा कि हम पक्ष और विपक्ष की आवाज़ सुनने की बजाय सच की आवाज़ सुन पाएँगे।
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संपादकीयम्— भविष्य का आईना, वर्तमान की नज़र
महाभारत के युद्ध में जैसे कौरव और पांडव दो पक्ष थे लेकिन संजय ने इस युद्ध का हाल किसी एक पक्ष के तौर पर नहीं सुनाया।