Thursday, March 28, 2024
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कोटा के विकास पुरुष बने धारीवाल

कोटा में ये क्या जो रहा है! चम्बल की किनारे रिवर फ्रंट का काम, चौराहों पर अंडर पास किसी भी सरकार के पहले दो साल कार्यो के मूल्यांकन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं। ये दो साल लोगों को सरकार के आने वाले सालों का रुख, गति और प्रगति को रेखंकित करते हैं। दो सालों के कामों का लेखा-जोखा आने वाले समय का दर्पण होता है। राजस्थान सरकार के दो साल पूरा होने पर इसी संदर्भ में कोटा शहर की चर्चा करें तो पाते हैं कि नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के कार्यो ने न केवल कोटा शहर में वरन प्रदेश में शोर मचा रखा हैं। पूरे प्रदेश में कोटा शहर के विकास कार्यों की चर्चा आम है । जो भी कोटा आता है चारों ओर चल रहें विकास कार्यो को देख कर चोंक जाता है एवं अचम्भित हो जाता है, यह क्या जिधर से गुजरों सड़कों-चौराहों पर तेजी से विकास के काम हो रहे हैं।

जी हां! यही है कोटा शहर के विकास की मुँह बोलती तस्वीर। दो सालों में ही धारीवाल के कार्यो ने राजस्थान भर में शोर मचा रखा है। कोटा के लोग भी कहते नज़र आते हैं धारीवाल जब भी आते हैं, विकास साथ लाते हैं। यही नहीं अन्य दलों के लोग भी चाहे सबी जुबान से सही धारीवाल के विकास कार्यो का लोहा मान रहे हैं।

शांति धारीवाल ने जब दो साल पहले चुनाव लड़ा था, उस समय भी लोग कहते सुने जाते थे, अबके तो धारीवाल ही जीतें ,कोटा में विकास के काम तो हो। पूर्व सरकार की कोटा में विकास के प्रति उपेक्षा से लोगों ने फिर से धारीवाल को जिताने का मानस बनाया और उन्हें विजयश्री वरण करा कर सरकार में भेजा । उनके और जनता के सोभाग्य से वे मंत्री भी बन गए तथा शहरों के विकास का भी जिम्मा उन्हें मिल गया। जब शुरू के कुछ माह सामान्य रूप से निकले तो विकास के कामों को लेकर जनता में सुगबुगाहट होने लगी, काम कब शुरू होंगे।

धारीवाल तो धारीवाल हैं, जनता ने आशीर्वाद दे कर सरकार में भेजा तो जन आकांक्षाओं को पूरा करने में भला वे पीछे कैसे रहते। जनता की नब्ज टटोली, जनता किन समस्याओं से जूझ रही हैं, क्या चाहती हैं, किस तरह के कार्य कराये जाएं, धन की व्यवस्था कैसे होगी आदि बिंदुओं पर उन्होंने गम्भीर हो कर सोचा, राय की और आयोजना बनाई। हर काम की बारीकियों को देख कर, सोच-समझ कर रूपरेखा बना कर शुरू करने से लेकर पूर्ण होने तक का समय निर्धारण किया। धारीवाल ने अपने विजन के साथ कोटा में कई मोर्चे पर कार्यो की शुरुआत की और दो साल पूरा होते -होते इन कार्यो का शोर पूरे राजस्थान की जनता के कानों गूंज रहा हैं।

कोटा शहर की प्रमुख समस्या चौराहों पर बढ़ता यातायात का दबाव, ट्रैफिक जाम के साथ-साथ पार्किंग की थी। अनेक चौराहों एवं स्थानों पर इन समस्याओं के निराकरण के काम शुरू किए जा चुके हैं। शहर में पेयजल आपूर्ति दबाव बढ़ाने, खेल एवं पर्यटन विकास के साथ अनेक दृष्टि से जन हितेषी प्रोजेक्ट्स की आयोजना बनाई गई। कुछ शुरू हो चुके हैं,तेजी से चल रहे हैं, कुछ शुरू होने की प्रक्रिया में हैं। विकास के कार्य नगर विकास न्यास और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से किये जा रहे है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत एक हज़ार करोड़ रुपये उपलब्ध हैं। इसमें केंद्र सरकार का 500 करोड़, राज्य सरकार का 300 करोड़, नगर विकास न्यास एवं नगर निगम दोनों का एक-एक करोड़ रुपये की भागीदारी हैं। इसके अतिरिक्त नगर विकास न्यास के अपने कई कार्य अलग से चल रहे हैं।

रंगपुर रोड पर गुडला सोगरिया बाईपास रेलवे लाईन पर लेवल क्रासिंग एक पर 32.15 करोड की लागत से आर.ओ.बी का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिससे एक लाख जनसंख्या सहित कोटा शहर के नागरिकों को भी सुगम आवागमन की सुविधा मिलना शुरू गई है। पार्किंग की समस्या के निदान हेतु न्यायालय के सामने स्थित महाराव भीमसिंह चिकित्सालय के परिसर में चिकित्सकों के आवासों के सामने जी+2 पार्किंग विकसित की गई है। जिससे न्यायालय एवं कलेक्ट्रेट परिसर में आने वाले आगंतुकों को पार्किंग की सुविधा उपलब्ध हुई है। उद्योग नगर थाने के पास 9.52 करोड़ से छत्रपति शिवाजी पार्क का निर्माण शरू किया गया है, जिससे औद्योगिक क्षेत्र में रहने वालेकरीब एक लाख लोगों को मनोरंजन एवं बेहतर पर्यावरण की सुविधा मिलेगी।

एक और जहाँ आधारभूत सुविधाओं के विकास को प्राथमिकता दी गई वहीं, धारीवाल ने पर्यटन विकास का दृष्टिकोण भी साथ में लिया और चम्बल नदी पर कोटा बैराज से नयापुरा उच्चस्तरीय पुल के मध्य में चम्बल नदी पर 700 करोड़ रुपये की लागत से चम्बल रिवर फ्रंट विकसित करने और आई. एल. टाउनशिप की 30 हैक्टेयर भूमि पर 112.83 करोड़ की लागत से सिटी पार्क ऑक्सीजोन विकसित करने जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट्स की परिकल्पना की। इन दोनों योजनाओं को यथार्थ में साकार करने का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। पर्यटन विकास के लिये इन्हें अभिनव कल्पनाओं के साथ आकर्षक बनाया जा रहा है और इसकी अभिकल्पना को विख्यात वास्तुकार अनूप भरतरिया साकार कर रहे हैं। चम्बल फ्रंट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत बाढ़ नियंत्रण के उपाय भी सम्भव होंगे। कोटा शहर के पशुपालकों के लिए ग्राम धर्मपुरा एवं देवरी पुनिया के समीप न्यास की 105 हैक्टेयर भूमि पर 300 करोड़ से एकीकृत आवासीय योजना विकसित की जा रही है।

सौन्दर्यी करण कार्यो में साथ ही नयापुरा विवेकानन्द सर्किल का 22.37 करोड़ से सौन्दर्यीकरण, नयापुरा स्थित छत्रबिलास उद्यान का 12.88 करोड़ से सुदृढीकरण, घोडे़ वाले बाबा चौराहे का 13.83 करोड़ से विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्य और शहर की मुख्य सड़क एवं अदालत के समीप स्थित चौराहे का 7.30 करोड़ से विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्य भी शहर को आकर्षक बनायेंगे।

अन्य प्रमुख कार्यो में अनन्तपुरा तिराहे पर भारी यातायात होने के कारण यातायात को सुचारू करने के लिये 70 करोड़ से फ्लाई ओवर का निर्माण,अन्टाघर चौराहे पर 23.96 करोड़ से अण्डरपास का निर्माण , एरोड्राम चौराहे पर 50 करोड़ से अण्डरपास का निर्माण ,गोबरिया बावड़ी चौराहे पर 20.89 करोड़ से अण्डरपास का निर्माण ,जयपुर गोल्डन के समीप 12.06 करोड़ से पार्किंग का विकास, मल्टीपरपज स्कूल गुमानपुरा के परिसर में 15.19 करोड से पार्किंग का विकास , गुमानपुरा के इंदिरागांधी तिराहे पर 55.40 करोड़ से अण्डरपास/फ्लाईओवर का निर्माण, झालावाड़ रोड़ पर रेजोनेन्स/सिटीमॉल के सामने 46.36 करोड़ से ऐलीवेटेड रोड़ का निर्माण कार्य शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार ला कर सुगम बनाएंगे।

अन्य विविध कार्यों में जेके लोन अस्पताल में 30 करोड़ की लागत से 156 बेड की क्षमता का इनडोर ब्लॉक एवं ओपीडी ब्लॉक के निर्माण तथा कोटा शहर में चौबीस घंटे जलापूर्ति सुनिश्चित करने की दृष्टि से 163.38 करोड़ से श्रीनाथपुरम में नवीन 50 एमएलडी का जल शोधन संयंत्र, 130 एमएलडी परियोजना में अतिरिक्त 70 एमएलडी सुविधा का विस्तार तथा अकेलगढ़ जल शोधन संयंत्र पर जलापूर्ति से संबंधित अन्य आवश्यक कार्य , नयापुरा स्थित जेके क्रिकेट पैवेलियन में इनडोर खेल सुविधाओं को विकसित करने हेतु 25 करोड़ से स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का विकास कार्य शामिल हैं। शहर के प्राचीन परकोटे से लगे विशाल दरवाजों को भी फिर से हेरिटेज लुक में चमकाया जा रहा हैं।

धारीवाल का विकास के प्रति सतत चिंतन-मंथन और उनकी परिकल्पनाओं का कोटा आने वाले दो सालों सब की नजरों के सामने होगा। लोग देखेंगे एक नये कोटा का रूप-रंग, जो बहुत कुछ बदला-बदला होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजस्थान जनसंपर्क विभाग के सेवा निवृत्तअधिकारी हैं)

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