Saturday, April 20, 2024
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सुशासन का महत्व

” शासन करने से विमुख होने का कठोरतम दंड किसी अयोग्य से शासित होना”

डिजिटल इंडिया का सपना साकार हो रहा है। इसके कारण सरकार और नागरिकों के बीच की दूरियां कम हुई हैं,अर्थात शासक और शासित के बीच की दूरियां कम हुई है ।इंटरनेट ,मोबाइल फोन ,शहर – शहर और गांव – गांव में फैले कॉमन सर्विस सेंटर(CSC) के द्वारा बेहतर एवं किफायती सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं ।शासकीय प्रक्रिया सरल हुई हैं और शासक का शासितों के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी है, जिससे सुशासन की दिशा में गुणात्मक सुधार हुआ है।

जुलाई ,2015 में माननीय नरेंद्र मोदी जी ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया तब उन्होंने कहा था कि” मैं ऐसे डिजिटल इंडिया का सपना देखता हूं ,जहां पर त्रिव रफ्तार का डिजिटल हाईवे देश को एकता के धागे में बांट रहे हो, 1.3 अरब कनेक्टेड ग्रामीण भारतीय नवाचार में जुटे हो और तकनीकी यह सुनिश्चित कर रही हो कि नागरिकों और सरकार के बीच संपर्क का माध्यम भ्रष्ट न किया जाए।”

श्रीमान मोदी के इस कथन में कई संदेश छिपे थे अर्थात भारत डिजिटल भारत में तब्दील हो, देश भर में तेज रफ्तार डिजिटल हाईवे हो यानी कि इंटरनेट और संचार सेवाओं का जाल हो, 130 अरब भारतवासी इंटरनेट एवं संचार सेवाओं से जुड़े हो एवं नवाचार पर ध्यान केंद्रित किए हो ।तकनीक इस देश में सरकार एवं नागरिकों के बीच संपर्क का माध्यम बन सके, इसके अतिरिक्त एक ऐसी शासकीय व्यवस्था का निर्माण करें जो पारदर्शी, उत्तरदाई एवं बिचौलिए से मुक्त हो।भारत का डिजिटल इंडिया कार्यक्रम एक वैश्विक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। भारत इसके पहले भी सॉफ्टवेयर और सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति माना जाता था लेकिन डिजिटल इंडिया ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विखरी हुई सेवाओं और ढांचे को संगठित ,आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में योगदान दिया है।

भारत की अर्थव्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी का योगदान पहले भी महत्वपूर्ण था, जो आज और भी अधिक बढ़ गया है ;लेकिन सूचना क्रांति अब आम आदमी को सशक्त बनाने की स्थिति में है। प्रौद्योगिकी की उपादेयता इस तथ्य में है कि वह आम आदमी को किस तरह तक लाभ पहुंचा रही है? भारत के विकास प्रक्रिया के सबसे अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को डिजिटल क्रांति से लाभ हुआ है ।

डिजिटल इंडिया भारत के सफलतम कार्यक्रमों में से एक है। डिजिटल इंडिया भारत के इतिहास में सबसे सफल तकनीको पहल में गिना जा सकता है, जिसकी कामयाबी में जैम अर्थात (जन – धन बैंक खाते ,आधार विशिष्ट पहचान और मोबाइल फोन )ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिसंबर ,2022 में हमारे यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (यूपीआई) ने 7. 6 अरब डिजिटल वित्तीय लेनदेन की संख्या को पार कर लिया है, जिनके जरिए 12 लाख 11 हजार,582 करोड़ से अधिक के मासिक लेन-देन हुए हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसके जरिए 1000 अरब डालर(1ट्रिलियन डॉलर) का लेनदेन हुआ है ।जिस तरह से आम आदमी पेटीएम (paytm),फोन पे(phone pe), रेजरपे और ऐसे दर्जनों दूसरे ऐप के जरिए सुगमता से पैसे का लेन – देन कर रहा है, जिस तरह से नेट बैंकिंग सेवाएं आम हो गई हैं ,जिससे लोगों की पहचान को प्रमाणित करने में आधार ने अद्वितीय /अनुपम योगदान दिया है। आम आदमी हमारे आईटी ढांचे के केंद्र में आ रहा है, एवं इसकी महत्वपूर्ण उपादेयता है।

सरकार ने विकास के 9 स्तंभों को चिन्हित किया है जिन पर सरकार का विशेष जोर है। यह है:-
ब्रांड बैंड हाईवे ;
सबके लिए मोबाइल कनेक्टिविटी तक पहुंच;
सार्वजनिक इंटरनेट पहुंच ;
ई – गवर्नेंस या ई – प्रशासन जिसके तहत प्रौद्योगिकी के सहयोग से सरकारी क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम चलाए जाने हैं ;
ई- क्रांति सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी;
सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स का विनिर्माण ;
नई पौध (अर्ली हार्वेस्ट) के कार्यक्रमों यानी कि ऐसे कार्यक्रम जो आगे जाकर के बड़ा रूप ले ले।

डिजिटल इंडिया एक क्रांतिकारी अवधारणा के रूप में सामने आया है जिसने एक समेकित तथा व्यापक कार्यक्रम के रूप में भारत के डिजिटल लक्ष्यों को समग्रता प्रदान की है। एक ऐसा महत्वकांक्षी पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) तथा आधारभूत ढांचा( इंफ्रास्ट्रक्चर) तैयार कर कर दिया है जो देश( राज्य) के मूल प्रशासनिक ,सरकारी तथा आर्थिक ढांचे के साथ हिल – मिलकर काम कर रहा है। सुशासन के क्षेत्र में आने वाली योजनाओं ,परियोजनाओं, कार्यक्रमों , पहलों आदि को एक सार्थक, सुपरिभाषित, उद्देश्य पूर्ण तथा परिणाम मुखी दायरे में रखना संभव हो चुका है ।सुशासन इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से सरकारी सेवाएं प्रदान करने और प्रबंधित करने का एक तंत्र है और एक स्मार्ट (SMART)अर्थात सरल, नैतिक ,जवाबदेह, जिम्मेदार और पारदर्शी सरकार प्रदान करने में मदद करता है।

सुशासन की उपादेयता इस तथ्य में है कि जन धन खाते में जमा राशि इस प्रकार रही है:-
मार्च,2018 1065 करोड़ रुपए
मार्च,2016 1665 करोड़
मार्च,2018 2497 करोड़
मार्च,2020 3090 करोड़
जनवरी,2021 3263 करोड़
दिसंबर,2022 3768 करोड़

(लेखक प्रोफेसर हैं व समसामयिक विषयों पर लिखते हैं)
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