संसदीय लोकतंत्र में सांसदों का प्रदर्शन
भारत संसार का वृहद लोकतंत्र है ,(जनसंख्या की दृष्टि से),एवं संसदीय जनतंत्र का प्रशिक्षण स्थल है। यह लोकतांत्रिक सफलता की प्रयोगशाला, उद्देश्य पूर्ण, तार्किकता एवं वैज्ञानिक कसौटी पर उतरकर, विस्तृत तार्किक मैराथन व समुद्र मंथन परिचर्चा के पश्चात देश (राज्य) ने संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया और समाजिक पुनः संरचना के लिए दिशा ,गति और संस्था को मूर्त रूप प्रदान करने की जिम्मेदारी संसद(सर्वोच्च पंचायत) को दिया गया था।
संसदीय लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान की जाती है; क्योंकि संसद सर्वोच्च पंचायत के साथ, देश(राज्य) को गत्यात्मक विधान से नूतन ऊर्जा प्रदान करते हैं। संसद सदस्यों को बिना किसी भय, डर व पूर्वाग्रह से संसद में अपनी राय रख सकते हैं। संसदीय परंपरा में परिचर्चा के दौरान रखी गई राय ही जनमत होती है; लोकतंत्र में जनमत को ईश्वर की आवाज कही जाती है।
भारत के संसद ,लोकतंत्र का वास्तविक प्रतिनिधित्व और अभिकरण के रूप में कार्य करती है ।संसद नीति निर्माण की भूमिका निभाती है, संसद(विधायिका) कार्यपालिका पर मजबूत एवं जोरदार नियंत्रण स्थापित करती है। सामूहिक निर्णय को वैधता प्रदान करती है; क्योंकि कार्यपालिका पूर्णरूपेण विधायिका के प्रति उत्तरदाई होती है । संसद संसदीय संस्कृति के उन्नयन में राजनीतिक जागरूकता बड़ा रही है।
21वीं सदी में संसद की भूमिका में उन्नयन हुआ है ;अर्थात राजनीति का वैज्ञानिक करण और विशेषज्ञों की भूमिका बड़ी है ,राजनीति में समाज वैज्ञानिकों की उपादेयता बढ़ रही है ,जिससे राजनीति के व्यवहारिक उपागम की प्रासंगिकता बढ़ रही है ।संसदीय लोकतंत्र सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत पर कार्य करती है ।वर्तमान तकनीकी कारकों के कारण संसदीय लोकतंत्र के व्यवहारिक अव्यबयों का क्षरण हो रहा है; क्योंकि विधि एक प्रकार की तकनीकी प्रक्रिया है। संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को ठेस वर्तमान में अपरिपक्व व्यक्तियों से बहुत हो रहा है ।
महाभारत का एक प्रसंग याद आता है जिसमें भीष्म दुर्योधन से कहते हैं कि मातृभूमि सदैव/ हमेशा आदरणीय व पूजनीय होती है। इस प्रसंग को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जी को समझना चाहिए क्योंकि भारत की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता का सम्मान प्रत्येक भारतीय का करना नैतिक आभार है।समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि राहुल गांधी जी का संसद में प्रदर्शन बहुत खराब है ।अन्य सांसदों की तुलना में इनका प्रदर्शन औसत से भी कम है।
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